धान की फ़सल को रोगों और खरपतवार से बचाएं, पैदावार बढ़ाएं

गाँव कनेक्शन | Jun 11, 2017, 09:11 IST |
धान की फ़सल को रोगों और खरपतवार से बचाएं
लखनऊ। धान हमारे देश की प्रमुख खाद्यान फ़सल है। इसकी खेती लगभग 4 करोड़ 22 लाख है0 क्षेत्र में की जाती है आजकल धान का उत्पादन लगभग 9 करोड़ टन तक पहुंच गया है। राष्ट्रीय स्तर पर धान कीऔसत पैदावार 20 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर है। जो कि इसकी क्षमता से काफ़ी कम है, इसके प्रमुख कारण है - कीट एवं ब्याधियां, बीज की गुणवत्ता, गलत शस्य क्रियाएं और खरपतवार।

धान की फ़सल के प्रमुख खरपतवार तीन प्रकार के पाये जाते हैं -

  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार
  • संकरी पत्ती वाले खरपतवार
  • मोथा कुल खरपतवार

खरपतवारों से हानियां

खरपतवार फ़सल से नमी, पोषक तत्व, सूर्य का प्रकाश तथा स्थान के लिये प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे मुख्य फ़सल के उत्पादन में कमी आ जाती है। धान की फ़सल में खरपत्वारों से होने वाले नुकसान को 15-85 प्रतिशत तक आंका गया है। कभी-कभी यह नुकसान 100 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। सीधे बोये गये धान में रोपाई किये गये धान की तुलना में अधिक नुकसान होता है। पैदावार में कमी के साथ -साथ खरपतवार धान में लगने वाले रोगों के जीवाणुओं एवं कीट व्याधियों को भी आश्रय देते हैं।

कुछ खरपतवार के बीज धान के बीज के साथ मिलकर उसकी गुणवत्ता को खराब कर देते हैं। इसके अतिरिक्त खरपतवार सीधे बोये गये धान में 20-40 किग्रा0 नाइट्रोजन , 5-15 किग्रा0 स्फुर, 15-50 किग्रा0 पोटाश तथा रोपाई वाले धान में 4-12 किग्रा. नाइट्रोजन , 1.13 किग्रा. स्फुर, 7-14 किग्रा. पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से शोषित कर लेते हैं तथा धान की फ़सल को पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं।

खरपतवारों की रोकथाम कब करें ?

धान की फ़सल में खरपतवारों से होने वाला नुकसान खरपतवारों की संख्या, किस्म एवं फ़सल से प्रतिस्पर्धा के समय पर निर्भर करता है। घास कुल के खरपतवार जैसे सावां, कोदों फ़सल की प्रारम्भिक एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार बाद की अवस्था में अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। सीधे बोये गये धान में बुवाई के 15-45 दिन तथा रोपाई वाले धान में रोपाई के 35-45 दिन बाद का समय खरपतवार प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से क्रान्तिक (नाजुक) होता है। इस अवधि में फ़सल को खरपतवारों से मुक्त रखना आर्थिक दृष्टि से लाभदायक होता है तथा फ़सल का उत्पादन अधिक प्रभावित नहीं होता है।

खरपतवारों की रोकथाम कैसे करें ?

खरपतवारों की रोकथाम में ध्यान देने वाली बात यह है कि खरपतवारों का सही समय पर नियन्त्रण किया जाये चाहे किसी भी तरीके से करें। धान की फ़सल में खरपतवारों की रोकथाम निम्न तरीकों से की जा सकती है।

1- निवारक विधि

इस विधि में वे क्रियायें शामिल है जिनके द्वारा धान के खेत में खरपतवारो के प्रवेश को रोका जा सकता है, जैसे प्रमाणिक बीजों का प्रयोग, अच्छी सड़ी गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद का प्रयॊग, सिंचाई कि नालियों की सफ़ाई, खेत की तैयारी एवं बुवाई में प्रयोग किये जाने वाले यन्त्रों की बुवाई से पूर्व सफ़ाई एवं अच्छी तरह से तैयार की गई नर्सरी से पौध को रोपाई के लिये लगाना आदि।

2- यान्त्रिक विधि

खरपतवारों पर काबू पाने की यह एक सरल एवं प्रभावी विधि है। किसान धान के खेतों से खरपतवारों को हाथ या खुरपी की सहायता से निकालते हैं। 'पैडीवीडर' चलाकर खरपतवारों की रोकथाम की जा सकती है। सामान्यतः धान की फ़सल में दो निराई -गुड़ाई , पहली बुवाई / रोपाई के 20-25 दिन बाद एवं दूसरी 40-45 दिन बाद करने से खरपतवारों का प्रभावी नियन्त्रण किया जा सकता है तथा फ़सल की पैदावार में काफ़ी वृद्धी की जा सकती है।

रासायनिक विधि

खरपतवारनाशी रसायनों की आवश्यक मात्रा को 600 ली. पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिये। अथवा 60 किलो सूखी रेत में मिलाकर रोपाई के 2-3 दिन के भीतर 4-5 सेमी खड़े पानी में समान रूप से बिखेर देना चाहिए।

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