कभी इस चेहरे सेडरते थे लोग, आज यही चेहरा महिलाओं की मदद में आ रहा आगे

Neetu Singh | Sep 25, 2017, 10:40 IST |
कभी इस चेहरे से
लखनऊ। जिस जले चेहरे को देखकर कभी लोग डरते थे और बात करने से कतराते थे। आज वही लोग अर्चना सिन्हा के इस जले चेहरे को सम्मान देने लगे हैं। इन्होने अपनों से और समाज से लड़ाई लड़कर अपनी पढ़ाई जारी रखी और आज महिला हेल्पलाइन 181 से जुड़कर अबतक सैकड़ों महिलाओं को सम्मान से जिन्दगी जीने का हक दिला चुकी हैं।

मूल रूप से बिहार की रहने वाली अर्चना सिन्हा (34 वर्ष) इस समय गाजियाबाद महिला हेल्प लाइन 181 में काम कर रही हैं। अर्चना गाँव कनेक्शन को फोन पर बताती है, "जब मैं 10 साल की थी, तब होली के त्योहार में स्टोव फटने से बहुत ज्यादा जल गई, मेरा पूरा चेहरा खराब हो गया था। चार साल तक रिकवरी होने में लगे, चेहरा जलने की वजह से बहुत डरावना था। परिवार के लोग घर के बाहर नहीं निकलने देते थे, लेकिन मेरी माँ ने मुझे बाहर जाने और पढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया।” वो आगे बताती हैं, "मेरे जले चेहरे को समाज ने बेचारी समझकर स्वीकारा था, सब कहते थे कौन इसका हाथ थामेगा। लोगों की ये बातें मुझे तोड़ती थी, परेशान करती थी, आगे बढ़ने से रोकती थी।” माँ की मदद से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की पढ़ाई पूरी करने के बाद अर्चना पिछले साल महिला हेल्पलाइन 181 से जुड़कर आज घरों में पिटने वाली महिलाओं की काउंसलिंग कर रही हैं।



महिला हेल्पलाइन 181 में काम करती अर्चना सिन्हा अर्चना के इस जले चेहरे के पीछे की जिंदगी इतनी आसान नहीं थी। इनका चेहरा इतना ज्यादा जला हुआ था कि बच्चे इनसे बात करने से डरते थे। जो भी देखता यही कहता बेचारी कितनी जल गई है, कैसे इसकी शादी होगी। इनका लोग हौसला अफजाई करने की बजाए बेचारी कहकर मनोबल तोड़ते थे। अर्चना की माँ ने इस मुश्किल वक़्त में इनका साथ दिया और कहा तुम पढ़-लिख जाओ और अपनी जैसी लड़कियों की मदद करो जो जिंदगी से हार गई हैं।

अर्चना अपनी जिंदगी का एक वाकया बताते हुए भावुक हो जाती हैं, "मेरी दोस्त का एक फ्रेंड मुझसे बात करता था, एक दिन मेरी दोस्त ने मुझसे कहा, ‘शक्ल देखी है अपनी कि मेरे दोस्त से बात ही करने लगी’ ये बात मुझे कई दिनों तक परेशान करती रही थी। उस दिन मुझे लगा क्या एक जली लड़की को समाज में किसी से बात करने की भी इजाजत नहीं है।” अर्चना ने बताया, "एसिड अटैक या कोई भी जली लड़की अपने आप को बेचारी न समझे, ऐसी लड़कियों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए मैं काम करना चाहती थी, इनके लिए काम करने के लिए मैंने सोशल वर्क से मास्टर डिग्री ली। 181 में काम करने के बाद मै अपने इस काम को और अच्छे से कर पा रही हूँ।”

अर्चना के शरीर का हिस्सा बहुत ज्यादा जला हुआ है, एक हाथ अर्चना का अभी भी ठीक नहीं हुआ है। इतना सब होने के बावजूद अर्चना वो सभी काम करती है जिसे लोग कहते हैं कि वो नहीं कर सकती हैं। अर्चना ने पार्लर और म्यूजिक का भी कोर्स किया है। अर्चना ने बताया, "मुझे लोगों को संजाने-संवारने का बड़ा शौक है, पार्ट टाइम में जब भी मौका मिलता है, मैं लड़कियों का मेकअप करती हूँ, एक हाथ खराब होने के बावजूद स्कूटी चलाती हूँ, मैं वो हर एक काम करती हूँ जो मैं करना चाहती हूँ।”



अर्चना के इस चेहरे से कभी डरते थे लोग, पर अब देने लगे हैं सम्मान वो आगे बताती हैं, "आशा ज्योति केंद्र से जुड़ने के बाद पूरी टीम के सहयोग से एक साल में 500 से ज्यादा मामले सुलझा चुकी हूँ, महिला के शरीर का अगर एक अंग खराब हो जाए उस पर समाज की क्या नजर हो जाती इसे बहुत करीब से देखा है, एक जली हुई लड़की अगर हिम्मत न हारे तो वो इस समाज में सम्मान से जी सकती है, उनकी हिम्मत बनी रहे इसके लिए मै उन्हें उत्साहित करती हूँ।”

शादी को लेकर अर्चना क्या सोचती है इस सवाल के जबाब में अर्चना ने बताया, "अगर कोई लड़का मेरी इस शक्ल को इसी रूप में स्वीकार करे तो मैं शादी करने को तैयार हूँ, पर जिन्हें हमारी शक्ल से आज भी गुरेज है उनके लिए मैं अपनी शक्ल नहीं बदल सकती।” अर्चना कहती है, "कितनी भी कठिन परिस्थिति आये महिला कभी हिम्मत न हारे, तो वो खुद से और समाज से जीत सकती है, मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी जिसकी वजह से 181 में अपनी जैसी लड़कियों की आवाज़ बन पा रही हूँ, अब लोगों ने मेरे इस जले चेहरे को सम्मान की नजरों से स्वीकारना शुरू कर दिया है।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।



Tags:
  • रानी लक्ष्मी बाई आशा ज्योति केंद्र
  • गाजियाबाद
  • उत्तरप्रदेश सरकार
  • महिला एवं बाल कल्याण विभाग
  • महिला हेल्पलाइन 181
  • काउंसलर
  • Women's Helpline 181
  • अर्चना सिन्हा
  • archana sinha

Previous Story
सूरत के कारोबारी ने दिवाली पर कर्मचारियों को बांटी 1260 कारें और 400 फ्लैट

Contact
Recent Post/ Events