इस वजह से उत्तराखंड का सरमोली गाँव बना देश का बेस्ट टूरिज्म विलेज

गाँव कनेक्शन | Sep 29, 2023, 11:37 IST |
इस वजह से उत्तराखंड का सरमोली गाँव बना देश का बेस्ट टूरिज्म विलेज
पर्यटन मंत्रालय ने उत्तराखण्ड के सरमोली गाँव को कई लिहाज से बेहतरीन माना है इसीलिए उसे राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार के लिए चुने गए देश के 35 गाँवों में पहला स्थान दिया है।
उत्तराखंड के सरमोली गाँव को अब आप मामूली मत समझिए, देश के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव का पुरस्कार मिला है उसे। जी हाँ, गोल्ड मेडल मिला है उसे।

देश की राजधानी दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील में है सरमोली गाँव।

‘राष्ट्रीय पर्यटन दिवस’ के मौके पर दिल्ली में जब ये पुरस्कार इस गाँव को मिला तो उत्तराखंड में लोग ख़ुशी से झूम उठे। सरमोली गाँव में तो जश्न का माहौल है। पर्यटन मंत्रालय के ग्रामीण पर्यटन भारत की नोडल अधिकारी कामाक्षी माहेश्वरी ने गाँव की सरपंच मल्लिका विर्दी को ये पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

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सरमोली गाँव में साल 2004 में मल्लिका विर्दी के मार्गदर्शन में सामुदायिक आधारित होम स्टे और प्रकृति कार्यक्रम शुरू किया गया था। बतौर वन सरपंच उन्होंने जंगल और विशेष रूप से मेसर कुंड को पुनर्जीवित करने में बेमिसाल काम किया।


यही नहीं, साल 2007 से मेसर वन कौतिक वन मेले के साथ-साथ हिमाल कलासूत्र एक प्रकृति और संस्कृति उत्सव शुरू किया गया है। हिमाल कलासूत्र के दौरान, पक्षी उत्सव, तितली और कीट उत्सव, पारंपरिक भोजन उत्सव, डामो नगाड़ा ढोल उत्सव, खलिया चैलेंज एक नवाचारी उच्च ऊँचाई मैराथन जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

मल्लिका विर्दी दो बार (2004 से 2010 और 2017 से 2022) वन पंचायत की सरपंच रहीं हैं । उनकी देख रेख में प्रकृति पर्यटन को बढ़ावा देने, जंगल और जल संरक्षण के प्रयासों को बढ़ाने का बेहतरीन काम हुआ।

पर्यटन मंत्रालय द्वारा बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान की योजना बनाई गई है। सरकार ने स्वच्छता अभियान के शुभारंभ के लिये 108 पर्यटक स्थानों की पहचान की। यह अभियान इन 108 स्थलों के साथ-साथ अन्य पर्यटक महत्त्व के स्थानों पर भी चलाया जाएगा।


इस अभियान का मकसद कूड़े की सफाई, स्वच्छता तय करना और एक बार इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगाने के साथ पर्यावरण के अनुकूल पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा देना है।

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बेहतर पहुँच के लिए, स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों और युवा पर्यटन क्लब के सदस्यों को भी इसमें शामिल किया गया है। इसका मकसद पर्यटन के जरिए सांस्कृतिक विरासत और सतत् विकास (आर्थिक,सामाजिक, न्याय संगत और पर्यावरण संरक्षण) के समावेशन से विकास को बढ़ावा देना है। जो इसमें बेहतर काम कर रहे हैं उन्हें और बढ़ावा देने के साथ संरक्षण के लिए सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण पर्यटन पुरस्कार दिये गए।


ये प्रतियोगिता इतनी आसान नहीं थी। देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 750 से अधिक गाँवों में से 35 गाँवों को राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार के लिए चुना गया था। इनमें से 5 गाँवों को स्वर्ण पदक, 10 को रजत तथा 20 गाँवों को कांस्य दिए गए।

कोल्हापुर जिले के पाटगाँव को 'सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण पर्यटन गांव' श्रेणी में कांस्य पदक से सम्मानित किया गया है।

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