कोरोना वायरस जीनोमिक निगरानी के प्रयासों में तेजी
India Science Wire | Dec 06, 2021, 12:41 IST |
कोरोना वायरस जीनोमिक निगरानी के प्रयासों में तेजी
यह पहल भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्शियम (INSACOG) के नेतृत्व में किए जा रहे कोरोना वायरस की निगरानी से जुड़े राष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा है। उम्मीद की जा रही है कि इस तरह के प्रयास वायरस के चिंताजनक रूपों के प्रसार को रोकने से संबंधित त्वरित प्रतिक्रिया में सहायता करेंगे।
देश के चार शहरों - बेंगलुरु, हैदराबाद, नई दिल्ली और पुणे में स्थित राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का संघ निरंतर कोरोना वायरस की जीनोमिक निगरानी कर रहा है, जिसने वायरस के अधिक से अधिक नमूनों को अनुक्रमित करने के अपने प्रयासों को बढ़ा दिया है।
सेंटर फॉर सेलुलर ऐंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस), बेंगलुरु के अलावा, कंसोर्शियम में सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी), नई दिल्ली; पुणे नॉलेज क्लस्टर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन ऐंड रिसर्च (आईआईएसईआर), पुणे; और सीएसआईआर-नेशनल केमिकल लेबोरेटरी (एनसीएल), पुणे शामिल हैं।
यह पहल भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्शियम (INSACOG) के नेतृत्व में किए जा रहे कोरोना वायरस की निगरानी से जुड़े राष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा है। उम्मीद की जा रही है कि इस तरह के प्रयास वायरस के चिंताजनक रूपों के प्रसार को रोकने से संबंधित त्वरित प्रतिक्रिया में सहायता करेंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा ओमिक्रॉन को कोरोना का चिंताजनक संस्करण घोषित करने के बाद कंसोर्शियम ने अपने अनुक्रमण प्रयासों को तेज कर दिया है। इस तरह के एक गहन प्रयास में ही INSACOG की सदस्य प्रयोगशाला एनसीबीएस को स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) के सहयोग से दो कोविड-19 संक्रमित व्यक्तियों के नमूनों में कोरोना के ओमिक्रॉन संस्करण की पहचान, त्वरित अनुक्रमण, और संक्रमण की पुष्टि में सफलता मिली है।
नमूने प्राप्त करने के चार दिनों के भीतर एनसीबीएस द्वारा स्थानीय और राष्ट्रीय अधिकारियों जानकारी प्रदान की गई, और भारत सरकार द्वारा 02 दिसंबर, 2021 दोपहर को इस संबंध में एक बयान जारी किया गया। हाल ही में, सीसीएमबी के एक बयान में बताया गया है कि दोनों SARS-CoV-2 जीनोम; SARS-CoV-2 अनुक्रम, GISAID के वैश्विक भंडार में भी अपलोड किये गए हैं, ताकि वे वैज्ञानिक समुदाय के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो सकें। (इंडिया साइंस वायर)
सेंटर फॉर सेलुलर ऐंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस), बेंगलुरु के अलावा, कंसोर्शियम में सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी), नई दिल्ली; पुणे नॉलेज क्लस्टर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन ऐंड रिसर्च (आईआईएसईआर), पुणे; और सीएसआईआर-नेशनल केमिकल लेबोरेटरी (एनसीएल), पुणे शामिल हैं।
यह पहल भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्शियम (INSACOG) के नेतृत्व में किए जा रहे कोरोना वायरस की निगरानी से जुड़े राष्ट्रीय प्रयासों का हिस्सा है। उम्मीद की जा रही है कि इस तरह के प्रयास वायरस के चिंताजनक रूपों के प्रसार को रोकने से संबंधित त्वरित प्रतिक्रिया में सहायता करेंगे।
एनसीबीएस, जो चार शहर समूहों - बेंगलुरु, हैदराबाद, नई दिल्ली और पुणे में जीनोमिक निगरानी करने वाली राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के कंसोर्शियम का हिस्सा है, द्वारा हाल में बेंगलुरु में ओमिक्रॉन के पहले दो मामलों की पुष्टि की गई थी। द रॉकफेलर फाउंडेशन के महामारी निवारण संस्थान के समर्थन से चार महीने पहले कंसोर्शियम की स्थापना की गई थी, जिसका नेतृत्व सेंटर फॉर सेल्युलर ऐंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद कर रहा है।
नमूने प्राप्त करने के चार दिनों के भीतर एनसीबीएस द्वारा स्थानीय और राष्ट्रीय अधिकारियों जानकारी प्रदान की गई, और भारत सरकार द्वारा 02 दिसंबर, 2021 दोपहर को इस संबंध में एक बयान जारी किया गया। हाल ही में, सीसीएमबी के एक बयान में बताया गया है कि दोनों SARS-CoV-2 जीनोम; SARS-CoV-2 अनुक्रम, GISAID के वैश्विक भंडार में भी अपलोड किये गए हैं, ताकि वे वैज्ञानिक समुदाय के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो सकें। (इंडिया साइंस वायर)