मोदी ने एफएनएन की समीक्षा बैैठक टाली
 Ankit Mishra |  Sep 29, 2016, 15:19 IST | 
 मोदी ने एफएनएन की समीक्षा बैैठक टाली
    नई दिल्ली (भाषा)। पाकिस्तान को प्रदान किए गए सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक अगले सप्ताह तक टाल दी गई है। माना जा रहा है कि भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए इसे फिलहाल टाल दिया गया है।   
   
दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने बताया, ‘‘एमएफएन और इससे संबंधित हर तरह के सहयोग पर आज होने वाली बैठक अगले सप्ताह तक टाल दी गई है।'' उरी हमले के मद्देनजर जवाबी विकल्प के तौर पर एमएफएन दर्जे की समीक्षा का फैसला किया गया था।
   
डब्ल्यूटीओ के शुल्क तथा व्यापार पर आम समझौता के तहत भारत ने 1996 में पाकिस्तान को एकतरफा सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा दिया था। इस पर भारत और पाकिस्तान दोनों के हस्ताक्षर हैं जिसका अर्थ है कि उन्हें एक दूसरे के और डब्ल्यूटीओ के शेष सदस्य देशों के साथ तरजीही कारोबारी सहयोगी के तौर पर व्यवहार करना होगा।
   
एसोचैम के मुताबिक 2015-16 में भारत के 641 अरब डॉलर के कुल वस्तुओं के कारोबार में से पाकिस्तान के साथ महज 2.67 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। भारत के कुल निर्यात का 0.83 प्रतिशत निर्यात पड़ोसी देश को हुआ जो कि 2.17 अरब डॉलर है जबकि कुल आयात 0.13 प्रतिशत रहा जो कि 50 करोड़ डॉलर से भी कम है।
   
   
   
 
दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने बताया, ‘‘एमएफएन और इससे संबंधित हर तरह के सहयोग पर आज होने वाली बैठक अगले सप्ताह तक टाल दी गई है।'' उरी हमले के मद्देनजर जवाबी विकल्प के तौर पर एमएफएन दर्जे की समीक्षा का फैसला किया गया था।
डब्ल्यूटीओ के शुल्क तथा व्यापार पर आम समझौता के तहत भारत ने 1996 में पाकिस्तान को एकतरफा सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा दिया था। इस पर भारत और पाकिस्तान दोनों के हस्ताक्षर हैं जिसका अर्थ है कि उन्हें एक दूसरे के और डब्ल्यूटीओ के शेष सदस्य देशों के साथ तरजीही कारोबारी सहयोगी के तौर पर व्यवहार करना होगा।
एसोचैम के मुताबिक 2015-16 में भारत के 641 अरब डॉलर के कुल वस्तुओं के कारोबार में से पाकिस्तान के साथ महज 2.67 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। भारत के कुल निर्यात का 0.83 प्रतिशत निर्यात पड़ोसी देश को हुआ जो कि 2.17 अरब डॉलर है जबकि कुल आयात 0.13 प्रतिशत रहा जो कि 50 करोड़ डॉलर से भी कम है।
 Previous Storyहाथ नहीं फिर भी जज्बा बरकरार
Next Story ‘महिलाओं की सुरक्षा को लेकर क्या किया जाए?’