फिनलैंड में गोल्ड जीतने वाली किसान की बेटी हिमा ने अब एशियाड में जीता सिल्वर

गाँव कनेक्शन | Aug 27, 2018, 06:49 IST |
फिनलैंड में गोल्ड जीतने वाली किसान की बेटी हिमा ने अब एशियाड में जीता सिल्वर
फिनलैंड में गोल्ड जीतने वाली किसान की बेटी हिमा ने अब एशियाड में जीता सिल्वर
हिमा ने पिछले दो दिनों में दो बार 400 मीटर रेस का राष्ट्रीय रेकॉर्ड तोड़ा है। शनिवार को हिमा ने 51 सेकंड के नए राष्ट्रीय रेकॉर्ड के साथ एशियाड के फाइनल में जगह बनाई थी। उन्होंने 14 साल पुराने 51.05 सेकंड के रेकॉर्ड को तोड़ा था। इसके बाद रविवार को उन्होंने इस रेकॉर्ड को भी तोड़कर 50.59 सेकंड का नया कीर्तिमान बनाया।
लगभग एक महीने पहले आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली हिमा दास ने रविवार को एशियाड खेलों में 400 मीटर रेस में सिल्वर मेडल हासिल किया है। हिमा ने यह दौड़ 50.59 सेकंड में पूरी की। पहले नंबर पर रही बहरीन की सलवा नासेर ने नया रेकॉर्ड बनाया और 50.09 सेकंड के साथ रेस जीती। इस साल डायमंड लीग सीरीज के चार चरण जीत चुकी सलवा को पहले से ही गोल्ड का दावेदार माना जा रहा था। इसी वजह से हिमा रेस शुरू होने से पहले कुछ दबाव में भी थीं। इस दौड़ की एक अहम बात यह भी है कि हिमा ने पिछले दो दिनों में दो बार राष्ट्रीय रेकॉर्ड तोड़ा है। शनिवार को हिमा ने 51 सेकंड के नए राष्ट्रीय रेकॉर्ड के साथ फाइनल में जगह बनाई थी। उन्होंने 2004 में चेन्नै में मनजीत कौर के 14 साल पुराने 51.05 सेकंड के रेकॉर्ड को तोड़ा। इसके बाद रविवार को उन्होंने इस रेकॉर्ड को भी तोड़कर 50.59 सेकंड का नया कीर्तिमान बनाया।








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अपने कोच निपॉन दास के साथ हिमा

हिमा ने अपना पिछला मेडल 12 जुलाई 2018 को फिनलैंड के टेम्पेरे में हासिल किया था। इस रेस के आखिरी कुछ सेकंडों में हिमा सभी खिलाड़ियों को पछाड़ती हुई आगे निकल गईं थी और सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं। चारों तरफ इस बात की चर्चा थी कि कैसे धान के खेतों में रेस की प्रैक्टिस करने वाली हिमा आईएएफ वर्ल्ड अंडर 20 खिताब जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं। पूर्वोत्तर राज्य असम के शहर गुवाहाटी से 140 किलोमीटर दूर एक गांव धींग गांव में रहने वाली हिमा के पिता रॉन्जित दास एक साधारण किसान हैं। हिमा दास रॉन्जित और जौमाली की छह संतानों में सबसे लाड़ली और सबसे छोटी है।


एशियाड में 400 मीटर की दौड़ में दूसरे स्थान पर रहने के बाद 18 साल की हिमा ने कहा, "दबाव दिखता नहीं है लेकिन मुझे पता है कि मैं दबाव में थी। नासेर बड़ी खिलाड़ी हैं। मैं उनके साथ प्रतिस्पर्धा करके खुश हूं। उनके साथ दौड़ने से मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। मैं उनकी दौड़ने की तकनीक के बारे में जान पाई। मैंने उनसे काफी कुछ सीखा।"

हिमा ने फिनलैँड में 400 मीटर की दौड़ को 51.46 सेकंड में पूरा किया था। इस बार उन्होंने अपने समय में सुधार किया है। इस पर हिमा का कहना था, "यह मुश्किल प्रतियोगिता थी। मैं खुश हूं कि मैंने अपने समय में सुधार किया।" हिमा की तकनीक के बारे में हिमा के भारतीय कोच निपॉन दास ने फिनलैँड में मिली जीत के बाद कहा था, "उसकी रेस आखिरी 80 मीटर में ही शुरू होती है।"

हिमा को बचपन से ही फुटबॉल खेलना पसंद था। वह धान के खेतों के पास खाली पड़े मैदान में गांव के लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थी। उसका खेल देखकर किसी ने उससे कहा कि वह एथलेटिक्स में हिस्सा क्यो नहीं लेती, और इस तरह हिमा स्थानीय स्तर की प्रतियोगिताओं में दौड़ने लगी।

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असम के अपने घर में मां के हाथ का खाना खाती हिमा दास

एक जिला स्तरीय प्रतियोगिता में उस पर नजर पड़ी निपॉन दास की, वह उस समय प्रदेश के खेल व युवा मामलों के मुख्यालय में एथलेटिक्स कोच थे। अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उस दौड़ को याद करके निपॉन कहते हैं,"हिमा सस्ते से जूते पहने हुए थी लेकिन उसने 100 और 200 मीटर की दौड़ में गोल्ड जीता। वह हवा की तरह उड़ती थी, मैंने अरसे से ऐसी प्रतिभा नहीं देखी थी।" निपॉन ने हिमा और उसके परिवार को बड़ी मुश्किल से इस बात के लिए मनाया कि हिमा अपना गांव छोड़कर गुवाहाटी में रहे और खेल की तैयारी करे। इसके बाद निपॉन ने गुवाहाटी में राज्य खेल अकादमी में भर्ती कराया। यहां बॉक्सिंग और फुटबॉल पर विशेष ध्यान दिया जाता था पर एथलेटिक्स के लिए कोई अलग से विंग नहीं था। निपॉन तब से हिमा को गाइड करते आ रहे हैं। वह हिमा को अगस्त में होने वाले एशियन गेम्स की रिले टीम के लिए तैयार कर रहे थे लेकिन उन्हें भी भरोसा नहीं था कि हिमा उससे पहले ही एक वर्ल्ड चैंपियनशिप के व्यक्तिगत इवेंट में गोल्ड मेडल हासिल कर लेगी।

किए आलोचकों के मुंह बंद: फिनलैंड में जीत के बाद खेल के कई जानकारों ने आशंका जताई थी कि कहीं ऐसा न हो कि एक दिन हिमा दास भी महज कुछ एशियन और कॉमनवेल्थ खेलों की टॉप टेन लिस्ट में रहकर ही गायब हो जाएं। उनका कहना था कि हिमा में गजब की प्रतिभा है लेकिन डर है कि उसका भी वही हाल न हो जो और खिलाड़ियों का हुआ है। हिमा ने यह जीत जूनियर इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट में हासिल की है अभी सीनियर लेवल पर उनकी परख बाकी है।

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