अमेरिका ने खाने में लैब मीट परोसने को मंजूरी दी
 गाँव कनेक्शन |  Nov 17, 2018, 10:44 IST | 
 अमेरिका ने खाने में लैब मीट परोसने को मंजूरी दी
    लखनऊ। अमेरिकी अधिकारियों ने पशु कोशिकाओं से प्राकृतिक रूप से विकसित किए गए खाद्य उत्पादों को नियमित करने के तौर-तरीके पर शुक्रवार को सहमति व्यक्त की जिससे अमेरिका में अब खाने में तथाकथित लैब मीट परोसे जाने का रास्ता साफ हो गया है।   
   
   
अमेरिकी कृषि विभाग और खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि दोनों कोशिका-संवर्धित खाद्य उत्पादों का संयुक्त रूप से नियमन करने के लिए सहमत हुए हैं। इस सिलसिले में अक्टूबर में एक सार्वजनिक बैठक हुई थी।
   
इसके तकनीकी विवरणों की पुष्टि अभी तक की जानी बाकी है लेकिन जब स्टेम कोशिकाओं का विकास विशेषीकृत कोशिकाओं में होगा तो एफडीए कोशिकाओं के जमा करने और उनके विभेदीकरण की निगरानी करेगा। यूएसडीए (युनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर लैब मीट, अमेरिका में लैब मीट को मंजूरी, भारत में लैब मीट को मंजूरी) खाद्य उत्पादों के उत्पादन और लेबलिंग की निगरानी करेगा।
   
गौरतलब है कि भारत के वैज्ञानिकों ने भी इसी साल दावा किया है कि वे भी 2025 तक भारतीय बाजारों में प्रयोगशालाओं में विकसित मीट उपलब्ध करा देंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा मांस तैयार करने के लिए पशुओं की कोशिकाओं को लिया जाएगा और उन्हें उनके शरीर के बजाय, अलग से एक पेट्री डिश में विकसित किया जाएगा। आमतौर पर जानवरों के मांस के लिए पशुओं के मूलभूत कल्याण की उपेक्षा की जाती है जिससे पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा को भी खतरा होता है।
   
भारत में प्रयोगशाला में तैयार मीट (गोश्त) को विकसित करने के लिए पशु कल्याण संगठन ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल (एचएसआई) इंडिया और हैदराबाद में स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मोलिकुलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने हाथ मिलाया है। इस साझेदारी का मकसद स्वच्छ मांस विकसित करने की तकनीक को बढ़ावा देना तथा स्टार्ट अप और नियामकों को साथ लाना है।
   
 lab meat (Photo courtesy- theguardian)
lab meat (Photo courtesy- theguardian)   
   
पशुपालन उद्योग में बड़े पैमाने पर असुरक्षित तरीके सामने आने के बाद इस तरह के गोश्त को विकसित करने की जरूरत महसूस की गई। वर्ष 2013 में स्वच्छ ऐसे मांस से एक बर्गर तैयार किया गया था। शोधकर्ताओं ने बताया कि स्वच्छ मांस तैयार करने के लिए पारंपरिक मांस उत्पादन की तुलना कम भूमि और पानी का इस्तेमाल होता है, जो जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करता है।
   
   
(भाषा से इनपुट)
   
   
   
 
अमेरिकी कृषि विभाग और खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि दोनों कोशिका-संवर्धित खाद्य उत्पादों का संयुक्त रूप से नियमन करने के लिए सहमत हुए हैं। इस सिलसिले में अक्टूबर में एक सार्वजनिक बैठक हुई थी।
इसके तकनीकी विवरणों की पुष्टि अभी तक की जानी बाकी है लेकिन जब स्टेम कोशिकाओं का विकास विशेषीकृत कोशिकाओं में होगा तो एफडीए कोशिकाओं के जमा करने और उनके विभेदीकरण की निगरानी करेगा। यूएसडीए (युनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर लैब मीट, अमेरिका में लैब मीट को मंजूरी, भारत में लैब मीट को मंजूरी) खाद्य उत्पादों के उत्पादन और लेबलिंग की निगरानी करेगा।
गौरतलब है कि भारत के वैज्ञानिकों ने भी इसी साल दावा किया है कि वे भी 2025 तक भारतीय बाजारों में प्रयोगशालाओं में विकसित मीट उपलब्ध करा देंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा मांस तैयार करने के लिए पशुओं की कोशिकाओं को लिया जाएगा और उन्हें उनके शरीर के बजाय, अलग से एक पेट्री डिश में विकसित किया जाएगा। आमतौर पर जानवरों के मांस के लिए पशुओं के मूलभूत कल्याण की उपेक्षा की जाती है जिससे पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा को भी खतरा होता है।
भारत में प्रयोगशाला में तैयार मीट (गोश्त) को विकसित करने के लिए पशु कल्याण संगठन ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल (एचएसआई) इंडिया और हैदराबाद में स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मोलिकुलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने हाथ मिलाया है। इस साझेदारी का मकसद स्वच्छ मांस विकसित करने की तकनीक को बढ़ावा देना तथा स्टार्ट अप और नियामकों को साथ लाना है।
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पशुपालन उद्योग में बड़े पैमाने पर असुरक्षित तरीके सामने आने के बाद इस तरह के गोश्त को विकसित करने की जरूरत महसूस की गई। वर्ष 2013 में स्वच्छ ऐसे मांस से एक बर्गर तैयार किया गया था। शोधकर्ताओं ने बताया कि स्वच्छ मांस तैयार करने के लिए पारंपरिक मांस उत्पादन की तुलना कम भूमि और पानी का इस्तेमाल होता है, जो जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करता है।
(भाषा से इनपुट)