खर्च हुए लगभग एक हज़ार करोड़, नहीं मिला विमान एमएच 370
Shefali Srivastava | Jan 17, 2017, 20:51 IST |
खर्च हुए लगभग एक हज़ार करोड़
सिडनी। लगभग तीन साल बाद 239 यात्रियों के साथ सवार मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट एमएच 370 के गायब होने के तलाशी अभियान को मलेशिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों ने मंगलवार को खत्म कर दिया गया। इसी के साथ सबसे महंगा लगभग 1,020 हजार करोड़ रुपए का सर्च ऑपरेशन बेनतीजा साबित हुआ। विमान का गायब होना अब रहस्य बन चुका है।
गौरतलब है कि आठ मार्च 2014 में 239 यात्रियों के साथ एमएच 370 ने क्वालालंपुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरी थी लेकिन वह रास्ते में ही रहस्यमय ढंग से लापता हो गया था। इसमें पांच भारतीय के अलावा ज्यादातर चीनी नागरिक सवार थे। लापता लोगों के परिजन ने इस पहल का विरोध करते हुए इसे गैर जिम्मेदाराना बताया है।
चीन, ऑस्ट्रलिया और मलेशिया के अधिकारियों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में बताया गया, ‘उपलब्ध बेहतर विज्ञान के साथ ही अत्याधुनिक तकनीक का हरसंभव इस्तेमाल करने और पेशेवरों की सलाह के बावजूद दुर्भाग्य से विमान का पता नहीं लगाया जा सका।’ बयान में कहा गया है, ‘एमएच370 की पानी के अंदर तलाशी रोक दी गई है। पानी के अंदर तलाशी को न तो हल्के में न ही लापरवाही के साथ किया गया।’
बोइंग 777 -200 का लापता होना आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा वैमानिक रहस्य बन गया है। एमएच-370 विमान के मलबे का पता लगाने के लिए तीनों देशों ने मिलकर दक्षिण हिंद महासागर के करीब 1,20,000 वर्ग किमी (46,000 स्क्वायर मील) के दायरे में तलाशी अभियान चलाया गया। यह क्षेत्र पूरे बेल्जियम के चार गुना जितना बड़ा था। विमानन इतिहास के इस सबसे खर्चीले खोज अभियान पर लगभग 1,020 करोड़ रुपए का खर्च आया। इस जगह में विमान का एक भी मलबा नहीं मिला। इससे सवाल उठता है कि क्या सर्च अभियान सही जगह किया गया था।
बीते तीन साल से इस विमान की खोज के लिए गहरे समुद्र में अभियान चल रहा था। इसी के साथ इस अभियान में कुछ सवाल खड़े हुए हैं-
-ऑस्ट्रेलियाई सरकार के नेतृत्व में पानी के अंदर खोज अभियान हमेशा से इस पूर्वानुमान में रहा कि विमान सुदूर स्थित दक्षिणी भारतीय महासागर में गायब हुआ है। इस क्षेत्र को एमएच 370 से प्राप्त सिग्नल पर विश्लेषण व सेटेलाइट की मदद से निर्धारित किया गया था। ऐसा माना जा रहा था कि आखिरी बार विमान इसी क्षेत्र के आसपास दक्षिणी या उत्तरी इलाके पर था।
-दिसंबर में आए हालिया रिसर्च में सर्च ऑपरेशन से जुड़े अधिकारियों ने लगभग 25,000 वर्ग किमी के नए इलाके में विमान के मलबे की होने की संभावना जताई थी।
-हालांकि ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया सरकार इस बात पर राजी हुए कि जब तक विमान की स्पष्ट स्थिति सामने नहीं आती, उसकी तलाश बंद कर दी जाए।
एमएच-370 के लापता होने को विमानन इतिहास की सबसे रहस्यमयी घटना माना जाता है। इसके लापता होने के बाद अलग-अलग कयास लगे। इनमें विमान से पायलटों का नियंत्रण हटने, इसका अपहरण होने या इसके समुद्र से टकराने जैसी बातें शामिल थीं।
गौरतलब है कि आठ मार्च 2014 में 239 यात्रियों के साथ एमएच 370 ने क्वालालंपुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरी थी लेकिन वह रास्ते में ही रहस्यमय ढंग से लापता हो गया था। इसमें पांच भारतीय के अलावा ज्यादातर चीनी नागरिक सवार थे। लापता लोगों के परिजन ने इस पहल का विरोध करते हुए इसे गैर जिम्मेदाराना बताया है।
चीन, ऑस्ट्रलिया और मलेशिया के अधिकारियों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में बताया गया, ‘उपलब्ध बेहतर विज्ञान के साथ ही अत्याधुनिक तकनीक का हरसंभव इस्तेमाल करने और पेशेवरों की सलाह के बावजूद दुर्भाग्य से विमान का पता नहीं लगाया जा सका।’ बयान में कहा गया है, ‘एमएच370 की पानी के अंदर तलाशी रोक दी गई है। पानी के अंदर तलाशी को न तो हल्के में न ही लापरवाही के साथ किया गया।’
खोजी क्षेत्र बेल्जियम के चार गुना जितना बड़ा था
बीते तीन साल से इस विमान की खोज के लिए गहरे समुद्र में अभियान चल रहा था। इसी के साथ इस अभियान में कुछ सवाल खड़े हुए हैं-
-ऑस्ट्रेलियाई सरकार के नेतृत्व में पानी के अंदर खोज अभियान हमेशा से इस पूर्वानुमान में रहा कि विमान सुदूर स्थित दक्षिणी भारतीय महासागर में गायब हुआ है। इस क्षेत्र को एमएच 370 से प्राप्त सिग्नल पर विश्लेषण व सेटेलाइट की मदद से निर्धारित किया गया था। ऐसा माना जा रहा था कि आखिरी बार विमान इसी क्षेत्र के आसपास दक्षिणी या उत्तरी इलाके पर था।
-दिसंबर में आए हालिया रिसर्च में सर्च ऑपरेशन से जुड़े अधिकारियों ने लगभग 25,000 वर्ग किमी के नए इलाके में विमान के मलबे की होने की संभावना जताई थी।
-हालांकि ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया सरकार इस बात पर राजी हुए कि जब तक विमान की स्पष्ट स्थिति सामने नहीं आती, उसकी तलाश बंद कर दी जाए।