झारखंड के आदिवासियों के परंपरागत गहनों को दिला रहीं अलग पहचान
Divendra Singh | Apr 11, 2018, 14:42 IST |
झारखंड के आदिवासियों के परंपरागत गहनों को दिला रहीं अलग पहचान
खूंटी (झारखंड)। गहने बनाने का काम ज्यादातर पुरुष ही करते हैं, लेकिन झारखंड की यशोदा न केवल इस बात को गलत साबित कर रहीं हैं, बल्कि झारखंड के आदिवासियों के इन परंपरागत गहनों को भी दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक पहुंचा रहीं हैं।
झारखंड राज्य में आदिवासी बाहुल्य खूंटी जिला के मुरू गाँव की यशोदा चांदी के गहने बनाकर आज कई महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहीं हैं। यशोदा बताती हैं, "हमारे यहां बहुत साल से गहने बनाने का काम होता है, लेकिन ये काम ज्यादातर पुरुष ही करते हैं, लेकिन अब मैं भी यही काम करती हूं, अपने गहनों की प्रदर्शनी दिल्ली में कई बार लगा चुकी हूं, यहां पर लोगों को ये चांदी के गहने बहुत पसंद आते हैं।"
पहले ये काम यशोदा खुद अकेले किया करती थीं, लेकिन साल 2014 से उन्होंने स्वयं सहायता समूह बनाकर दस महिलाओं को भी इससे जोड़ लिया। इससे दूसरी महिलाओं को भी घर बैठे रोजगार मिल रहा है। यशोदा और दूसरी महिलाएं समय के साथ इन गहनों के डिजाइन में भी बदलाव करती हैं, ताकि लोगों का रुझान इन गहनों में बना रहे।
खसिया, पछुआ, ठेला, हसुली, मंदली, बाजूबंद, तरपत, थैली, झाला, सुली, थैला, तरपत, पहुची, झुमका, मटरोल, सिकरी जैसे कई यहां के परंपरागत गहने हैं। ये गहने आदिवासी अपनी बेटी की शादी में देते हैं, लेकिन आज यही गहने देश विदेश से आए लोगों को भी पसंद आ रहे हैं।
झारखंड के इन गाँवों में आम, कटहल, इमली की भी अच्छी पैदावार होती है, दूर-दूर से व्यापारी यहां पर खरीदने आते हैं। ऐसे स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सीजन में इन फलों को सस्ते में खरीद लेती हैं और जब व्यापारी गाँवों में खरीदने आते हैं तो इन्हें अच्छा दाम मिल जाता है। ये सारा काम समूह के जोड़े गए पैसों से किया जाता है।
ये हैं चांदी के परंपरारागत गहने
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए राष्ट्रीय आजीविका मिशन मददगार साबित हो रही है। इस योजना के माध्यम ये समूह की महिलाओं को ऋण मिलने में परेशानी नहीं होती है और महिलाओं को अपने उत्पाद बनाने के लिए बेहतर प्लेटफार्म भी मिल रहा है। यशोदा बताती हैं, "हमारे गाँव के बाजार हाट में ये गहने बिकते हैं, शादियों के सीजन में इनकी मांग ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन जब से आजीविका मिशन से हम दिल्ली जैसे बड़े शहर में अपने बनाए गहने बेच पा रहे हैं, यहां पर हमारे गहनों के ज्यादा अच्छे दाम भी मिल जाते हैं।"
झारखंड राज्य में आदिवासी बाहुल्य खूंटी जिला के मुरू गाँव की यशोदा चांदी के गहने बनाकर आज कई महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहीं हैं। यशोदा बताती हैं, "हमारे यहां बहुत साल से गहने बनाने का काम होता है, लेकिन ये काम ज्यादातर पुरुष ही करते हैं, लेकिन अब मैं भी यही काम करती हूं, अपने गहनों की प्रदर्शनी दिल्ली में कई बार लगा चुकी हूं, यहां पर लोगों को ये चांदी के गहने बहुत पसंद आते हैं।"
खूंटी के रहने वाले लोगों का मुख्य पेशा खेती करना है, जिसके अन्तर्गत धान, मड़ुवा, उरद, सरगुजा इत्यादि खरीफ फसल की खेती की जाती है। साथ ही लाख की भी खेती बेर और कुसुम के पेड़ में की जाती है।
पहले ये काम यशोदा खुद अकेले किया करती थीं, लेकिन साल 2014 से उन्होंने स्वयं सहायता समूह बनाकर दस महिलाओं को भी इससे जोड़ लिया। इससे दूसरी महिलाओं को भी घर बैठे रोजगार मिल रहा है। यशोदा और दूसरी महिलाएं समय के साथ इन गहनों के डिजाइन में भी बदलाव करती हैं, ताकि लोगों का रुझान इन गहनों में बना रहे।
देखिए वीडियो:
ये हैं आदिवासियों के परंपरागत गहने
गहने ही दूसरे कामों में भी आजमाती हैं हाथ
ये हैं चांदी के परंपरारागत गहने