एक ऐसा विश्वविद्यालय जो ट्रांसजेंडरों को देगा मुफ्त शिक्षा

Anusha Mishra | Apr 19, 2017, 18:13 IST |
एक ऐसा विश्वविद्यालय जो ट्रांसजेंडरों को देगा मुफ्त शिक्षा
नई दिल्ली। भारत में ट्रांसजेंडर बच्चों की स्थिति बहुत खराब है। ज्यादा ट्रांसजेंडर बच्चे ऐसे होते हैं जिनसे उनके परिवार वाले मुहं मोड़ लेते हैं। ऐसे में इन बच्चों को पढ़ाई-लिखाई तो दूर की बात अच्छी परवरिश तक नहीं मिल पाती लेकिन भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में एक ऐसी यूनिवर्सिटी है जो ट्रांसजेंडर बच्चों को मुफ्त में शिक्षा उपलब्ध करा रही है।

तमिलनाडु की मनोनमनियम सुंदरनार यूनिवर्सिटी (एमएसयू) ने कहा है कि हमारी यूनिवर्सिटी में अगर कोई ट्रांसजेंडर पढ़ाई के लिए पंजीकरण कराता है तो हम उससे ट्यूशन फीस नहीं लेंगे। यह अभूतपूर्व कदम विश्वविद्यालय के 27 विभागों के साथ-साथ उसके सभी 10 कॉलेजों के लिए लागू होगा।



यह निर्णय ट्रांसजेंडर लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
के भास्कर, एमएसयू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर

अंग्रेजी अखबार द हिंदू से बात करते हुए के.भास्कर ने कहा, परिवार और समाज से उपेक्षित ये बच्चे सड़क पर भीख मांगने को मजबूर हो जाते हैँ। अगर हम इन बच्चों को शिक्षित करने के लिए उचित कदम उठाएंगे और इन्हें सुविधाएं मुहैया कराएंगे तो इन्हें भी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में काम करने का का मौका मिलेगा।

वीसी के मुताबिक, ट्रांसजेंडर बच्चों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने का यह नया नियम इस शैक्षणिक वर्ष से लागू होगा और विश्वविद्यालय के सिंडिकेट कमेटी के सदस्यों द्वारा भारी बहुमत के साथ मतदान किया जाएगा।

ट्रांसजेंडरों के अधिकारों में होगा इजाफा

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए भारत में ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर यानि तीसरे लिंग की मान्यता दी थी। इससे पहले हर सरकारी या गैर सरकारी फॉर्म पर और बाकी जगह सिर्फ दो लिंग पुरूष और महिला का कॉलम होता था। उस समय यह मुद्दा उठाया गया था कि क्या क्या शिक्षा, स्वास्थय, नौकरी और बारे सारे अधिकार सिर्फ पुरुषों और महिलाओं को ही मिलेंगे। लेकिन 2014 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब हर जगह पुरुष और महिला के साथ तीसरे जेंडर का कॉलम भी होता है। फैसले के बादा "तीसरे" लिंग का विकल्प रेलवे टिकटों, मतदाता पहचान पत्रों और पासपोर्ट में शामिल किया गया था।

इसके बाद दिसंबर 2016 में केरल में ऐसा पहला विद्यालय खोला गया जो खासतौर से ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए है। हालांकि इतने उपायों के बाद भी ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज में कई भेदभावों का समाना करना पड़ता है। एमएसयू यूनिवर्सिटी के वीसी के भास्कर का कहना है कि हमारी यूनिवर्सिटी के ट्रांसजेंडर बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के प्रयास के बाद उनकी दशा में कुछ हद तक सुधार आने की संभावना है और हम उम्मीद करते हैं कि ऐसा जरूर होगा।



    Previous Story
    आपदा के मददगार: कोरोना के खौफ से अपने भी जिन शवों को हाथ नहीं लगाते, ये उनका अंतिम संस्कार करते हैं

    Contact
    Recent Post/ Events