भूसे से बनेगी बिजली, डॉक्टर इंटरनेट से करेंगे इलाज
गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:01 IST |
भूसे से बनेगी बिजली
लखनऊ। डॉक्टर दूर बैठकर मरीज़ों का कम्प्यूटर से इलाज करेंगे। भूंसे से बिजली बनाई जाएगी। अब मजदूर भटकेंगे नहीं: उनका पंजीकरण होगा, उन्हें रोज़गार दिलाया जाएगा। ये उदाहरण हैं उन कुछ कार्यक्रमों के जिनको आने वाले समय में निजी संस्थाएं व सरकारी महकमा मिलकर, खुद मुख्यमंत्री अखिलेश की देखरेख में साकार करेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने न सिर्फ इन नवाचारों को प्रोत्साहित करने का बीड़ा उठाया है बल्कि इन संस्थाओं को सरकारी मशीनरी के साथ जोड़कर इन प्रयोगों से प्रदेश की बड़ी जनसंख्या को लाभ पहुंचाने का फैसला किया है। इन नवाचारों को मूर्त रूप देने वाली संस्थाओं और प्रदेश भर में इन्हें लागू करने में सक्षम सरकार को एक ही पटल पर लाने का काम 'फिफ्थ एस्टेट' संस्था ने किया है।
पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित 'मंच सोशल इंटरप्राइज समिट' में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ज़मीनी समस्याओं को सुलझाने के लिए नए उपाय लाई निजी संस्थाओं व उद्यमियों को सुना। हाथोहाथ उन्होंने समिट में मौजूद जि़लाधिकारियों को अपने जि़लों में इन उपायों को लागू करने में सहायोग देने के आदेश भी दिए।
मुख्यमंत्री ने जि़लाधिकारियों से सख़्ती से कहा, ''विकास का जो मॉडल आप लोग हमें दिखाते हो, वह जनता तक भी पहुंचना चाहिए। अगर मेरा रोज़गार (सरकार) छिनता दिखा तो अफसरों के लिए दिक्कतें आएंगी। सरकार की छवि आपके काम से बनती बिगड़ती है। हमारी सरकार ने जो वायदे जनता से किए हैं, उन्हें पूरा करना है। इसमें बाधा बनने वाले अफसरों पर कड़ी कार्रवाई होगी।"
जि़लाधिकारियों ने भी उत्साह दिखाते हुए कृषि, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पेयजल और सफाई, श्रम, महिला सशक्तिकरण आदि समाज हित से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही संस्थाओं द्वारा सुझाए गए कार्यक्रमों को अपने यहां संचालित करने का आमंत्रण दिया।
''भारत में विकास के क्षेत्र में सारी बहस सामाजिक ज़मीनी समस्याओं को सुलझाने के लिए नवाचारों की आवश्यकता पर है, जबकि ज़मीनी स्तर पर पहले से ही बहुत सी संस्थाएं और उद्यमी कई समस्याओं का सफल हल खोजकर काम कर रहे हैं, ज़रूरत है तो उन्हें खोजने की और उनके लिए एक ऐसा सपोर्ट सिस्टम खड़ा करने की जिसके ज़रिए उनका काम ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को लाभ पहुंचा सके, इस समिट का उद्देश्य यही है" फिफ्थ एस्टेट संस्था की प्रबंध निदेशक पल्लवी गुप्ता ने बताया।
फिफ्थ एस्टेट वर्तमान में 18 जि़लों के प्रशासन के साथ काम कर रही है। जिन कार्यक्रमों पर प्रशासन और संस्थाएं काम कर रहीं हैं उनके कुछ उदाहरणों में शामिल है स्वास्थ्य सेक्टर का टेलीमेडिसिन कार्यक्रम जिसमें टेलीकॉलिंग के ज़रिए डॉक्टर दूर किसी क्षेत्र से भी मरीज का इलाज कर सकता है। इस प्रोजेक्ट को आगरा, गौतम बुद्धनगर, कानपुर, गोरखपुर और इलाहाबाद के जिलाधिकारियों ने अपनाया है। भूंसे और पुआल से बिजली बनाने के कार्यक्रम को भी बाराबंकी और इलाहाबाद के जि़लाधिकारियों ने अपने यहां लागू करने के लिए हामी भरी। इसी तरह गाँवों में बिजली की समस्या से निपटने के लिए एक और प्रयोग सामने आया जिसमें एक संस्था गाँव में सोलर ग्रिड स्थापित करके गाँव के घरों को प्रीपेड बिजली देती है, कनेक्शन धारक मोबाइल से बिजली का टॉप-अप रीचार्ज कर सकते हैं। इस कार्यक्रम को कानपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़, बाराबंकी और मेरठ के जिलाधिकारियों ने अपने जि़ले में लागू करवाने में मदद देने की बात कही।
उत्तर प्रदेश सरकार ने न सिर्फ इन नवाचारों को प्रोत्साहित करने का बीड़ा उठाया है बल्कि इन संस्थाओं को सरकारी मशीनरी के साथ जोड़कर इन प्रयोगों से प्रदेश की बड़ी जनसंख्या को लाभ पहुंचाने का फैसला किया है। इन नवाचारों को मूर्त रूप देने वाली संस्थाओं और प्रदेश भर में इन्हें लागू करने में सक्षम सरकार को एक ही पटल पर लाने का काम 'फिफ्थ एस्टेट' संस्था ने किया है।
पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित 'मंच सोशल इंटरप्राइज समिट' में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ज़मीनी समस्याओं को सुलझाने के लिए नए उपाय लाई निजी संस्थाओं व उद्यमियों को सुना। हाथोहाथ उन्होंने समिट में मौजूद जि़लाधिकारियों को अपने जि़लों में इन उपायों को लागू करने में सहायोग देने के आदेश भी दिए।
मुख्यमंत्री ने जि़लाधिकारियों से सख़्ती से कहा, ''विकास का जो मॉडल आप लोग हमें दिखाते हो, वह जनता तक भी पहुंचना चाहिए। अगर मेरा रोज़गार (सरकार) छिनता दिखा तो अफसरों के लिए दिक्कतें आएंगी। सरकार की छवि आपके काम से बनती बिगड़ती है। हमारी सरकार ने जो वायदे जनता से किए हैं, उन्हें पूरा करना है। इसमें बाधा बनने वाले अफसरों पर कड़ी कार्रवाई होगी।"
जि़लाधिकारियों ने भी उत्साह दिखाते हुए कृषि, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पेयजल और सफाई, श्रम, महिला सशक्तिकरण आदि समाज हित से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही संस्थाओं द्वारा सुझाए गए कार्यक्रमों को अपने यहां संचालित करने का आमंत्रण दिया।
''भारत में विकास के क्षेत्र में सारी बहस सामाजिक ज़मीनी समस्याओं को सुलझाने के लिए नवाचारों की आवश्यकता पर है, जबकि ज़मीनी स्तर पर पहले से ही बहुत सी संस्थाएं और उद्यमी कई समस्याओं का सफल हल खोजकर काम कर रहे हैं, ज़रूरत है तो उन्हें खोजने की और उनके लिए एक ऐसा सपोर्ट सिस्टम खड़ा करने की जिसके ज़रिए उनका काम ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को लाभ पहुंचा सके, इस समिट का उद्देश्य यही है" फिफ्थ एस्टेट संस्था की प्रबंध निदेशक पल्लवी गुप्ता ने बताया।
फिफ्थ एस्टेट वर्तमान में 18 जि़लों के प्रशासन के साथ काम कर रही है। जिन कार्यक्रमों पर प्रशासन और संस्थाएं काम कर रहीं हैं उनके कुछ उदाहरणों में शामिल है स्वास्थ्य सेक्टर का टेलीमेडिसिन कार्यक्रम जिसमें टेलीकॉलिंग के ज़रिए डॉक्टर दूर किसी क्षेत्र से भी मरीज का इलाज कर सकता है। इस प्रोजेक्ट को आगरा, गौतम बुद्धनगर, कानपुर, गोरखपुर और इलाहाबाद के जिलाधिकारियों ने अपनाया है। भूंसे और पुआल से बिजली बनाने के कार्यक्रम को भी बाराबंकी और इलाहाबाद के जि़लाधिकारियों ने अपने यहां लागू करने के लिए हामी भरी। इसी तरह गाँवों में बिजली की समस्या से निपटने के लिए एक और प्रयोग सामने आया जिसमें एक संस्था गाँव में सोलर ग्रिड स्थापित करके गाँव के घरों को प्रीपेड बिजली देती है, कनेक्शन धारक मोबाइल से बिजली का टॉप-अप रीचार्ज कर सकते हैं। इस कार्यक्रम को कानपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़, बाराबंकी और मेरठ के जिलाधिकारियों ने अपने जि़ले में लागू करवाने में मदद देने की बात कही।