ये हैं 29 महिलाएं, जिन्हें मिला है नारी शक्ति पुरस्कार, हर एक की है प्रेरणादायक कहानी
 गाँव कनेक्शन |  Mar 08, 2022, 09:59 IST
ये हैं 29 महिलाएं
Highlight of the story: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति ने साल 2020 और 2021 के लिए 29 महिलाओं को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। पुरस्कार पाने वाली हर महिला की अपनी अलग प्रेरणादायक कहानी है।
    थारू समुदाय की आरती राना को आज यानी 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले की आरती राना के यहां तक पहुंचने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है, आरती की तरह ही देश की अलग-अलग क्षेत्रों में मिसाल कायम करने वाली 29 महिलाओं को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें से हर एक महिला की अपनी कहानी है...   
   
थारू जनजाति से ताल्लुक रखने वाली आरती राना कभी पेट भरने के लिए तालाब से मछली पकड़ती थीं, रोटी बनाने के लिए जंगल में भटककर लकड़ियां बीनकर लाती थीं, लेकिन आज इन्होंने न सिर्फ खुद का बल्कि थारू समुदाय की 1200 से ज्यादा महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट उत्पाद बनाने का मौका देकर उनके भविष्य को संवार रही हैं।
   
    
   
    
   
   
महिलाओं के स्वास्थ्य, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वालों के लिए उनके योगदान के लिए डॉ इला लोध (मरणोपरांत) को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने त्रिपुरा के हेपेटाइटिस फाउंडेशन की स्थापना की थी।
   
    
     
तमिलनाडु के नीलगिरी की जया मुथु और तेजम्मा को संयुक्त रूप से नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जया मुथु और तेजम्मा सदियों पुरानी कढ़ाई कला टोड़ा बनाती हैं। यह कढ़ाई टोडा महिलाओं द्वारा बनाई जाती है और इसमें रूखे सफेद सूती कपड़े पर ज्यामितीय डिज़ाइनों में विशिष्ट लाल व काले (कभी-कभी नीले) धागे का प्रयोग होता है। इसे जीआई टैग भी मिला हुआ है।
   
   
आदिवासी बैगा कला को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने वाली जोधैया बाई बैगा को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। जनजातीय संस्कृतियों को कैनवास पर चित्रित करते हुए, उनके काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इटली और फ्रांस में प्रदर्शित किया गया है।
   
    
     
सिक्की घास कला को बढ़ावा देने और पंजाब में वंचित महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मीरा ठाकुर को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। वह सिक्की ग्रास आर्ट का मुफ्त प्रशिक्षण देती हैं और 400 से अधिक वंचित महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकी हैं।
   
    
     
पर्यावरण संरक्षण में जमीनी स्तर पर नवाचार के लिए नसीरा अख्तर को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया गया। कुलगाम, जम्मू और कश्मीर की रहने वाली, नसीरा अख्तर एक जड़ी-बूटी विकसित की जो पॉलिथीन को राख में बदल देती है, जिससे पॉलीथिन बायोडिग्रेडेबल हो जाती है।
   
    
   
    
     
डाउन सिंड्रोम के कारण तमाम मुश्किलों का सामना करने के बावजूद भारतीय शास्त्रीय नृत्य को बढ़ावा देने के लिए सायली नंदकिशोर अगवने को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। सायली एक कथक नृत्यांगना हैं और उन्हें भारत और विदेशों में पहचान मिली है।
   
    
   
दिव्यांगजन अधिकारों के प्रति उनके योगदान और समर्पण के लिए संध्या धर को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। संध्या ने 2015 में 'जम्मू इंस्टीट्यूट ऑफ जनरल एजुकेशन एंड रिहैबिलिटेशन' की स्थापना की जो दिव्यांगजन और वंचित बच्चों के लिए क्लास चलाती हैं।
   
   
दृष्टिबाधित ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए टिफ़नी बराड़ को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। टिफ़नी बराड़ ने ज्योतिर्गमय फाउंडेशन और केरल में एक मोबाइल ब्लाइंड स्कूल की स्थापना की। उन्होंने 200 से अधिक नेत्रहीन व्यक्तियों को ब्रेल, कंप्यूटर और अन्य कौशल में प्रशिक्षण प्रदान किया है।
   
    
   
वन्यजीव संरक्षण विशेषकर सांपों को बचाने के लिए वनिता जगदेव बोराडे को नारी शक्ति पुरस्कार दिया गया। 50,000 से अधिक सांपों को उनके प्राकृतिक आवास में बचाकर, बुलढाणा, महाराष्ट्र की वनिता को 'स्नेक फ्रेंड' और फर्स्ट वुमन स्नेक रेस्क्यूअर के रूप में जाना जाता है।
   
   
    
     
पशुपालन में महिलाओं की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कमल कुम्भर को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। उस्मानाबाद की उद्यमी कमल कुम्भर ने एक छोटे से व्यवसाय की मदद से 5,000 महिलाओं की मदद की है और 3,000 घरों को सौर ऊर्जा से रोशन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
   
वंचित ग्रामीण महिलाओं को हथकरघा बुनाई और हिमाचल हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए अंशुल मल्होत्रा को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अंशुल मल्होत्रा ने 200 वंचित ग्रामीण महिलाओं को मुफ्त हथकरघा बुनाई प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार भी दिया है।
   
   
    
   
इससे पहले नीना गुप्ता को साल 2019 में 'शांति स्वरूप भटनागर प्राइज फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी' भी मिला था। उन्हें बीजगणित जियोमेट्री के फील्ड में Zariski cancellation problem को सॉल्व करने के लिए नेशलन साइंस अकेडमी द्वारा यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी दिया गया था।
   
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के प्रयासों के लिए छत्तीसगढ़ के राजनंद गाँव की सामाजिक कार्यकर्ता मधुलिका रामटेके को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया।मधुलिका रामटेके 'माँ बम्लेश्वरी बैंक' की शुरुआत की है जो पूरी तरह से महिलाओं द्वारा प्रबंधित और नियंत्रित है और अब इसकी 5,372 शाखाएं हैं।
   
   
    
   
लद्दाख के खोए हुए व्यंजनों और हाथ से बुनाई की तकनीकों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए पद्म यांगचन को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
   
   
    
     
गुजराती भाषा को बढ़ावा देने और आदिवासी लड़कियों की शिक्षा के लिए निरंजनाबेन मुकुलभाई कलारथी को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने आदिवासी वंचित लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने में मदद करने के लिए मुकुल ट्रस्ट, बारडोली, सरदार कन्या विद्यालय और स्वराज आश्रम की स्थापना की है।
   
   
महिलाओं और उद्यमिता के कौशल विकास और सशक्तिकरण में योगदान के लिए पूजा शर्मा को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। गुरुग्राम की रहने वाली, पूजा ने 9 स्वयं सहायता समूह की स्थापना की, लगभग 1,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया और अपनी खाद्य निर्माण इकाइयों में 150 महिलाओं को रोजगार दिया।
   
    
   
अल्पसंख्यक आदिवासी भाषाओं के संरक्षण के लिए सथुपति प्रसन्न श्री को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया गया। आंध्र विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सथुपति प्रसन्न श्री 19 आदिवासी भाषाओं के लिए स्क्रिप्ट तैयार करने वाली दुनिया की पहली महिला हैं।
   
   
महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण में उल्लेखनीय प्रयासों के लिए शोभा गस्ती को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने एक एनजीओ शुरू किया जिसने कर्नाटक के बेलगाम में 3600 से अधिक देवदासियों को मुख्यधारा में लाने में मदद की।
   
    
   
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला उद्यमिता और स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने में उत्कृष्टता के लिए तागे रीता ताखे को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी की निवासी तागे रीता ताखे ने भारत की पहली ऑर्गेनिक कीवी वाइन 'नारा आबा' का उत्पादन किया है।
   
   
    
   
भारतीय मर्चेंट नेवी में उत्कृष्टता और अनुकरणीय साहस के लिए राधिका मेनन को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। वह मर्चेंट नेवी की पहली भारतीय महिला कैप्टन हैं और उन्होंने जून, 2015 में सात मछुआरों की जान बचाते हुए बचाव अभियान का नेतृत्व किया।
   
 
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थारू जनजाति से ताल्लुक रखने वाली आरती राना कभी पेट भरने के लिए तालाब से मछली पकड़ती थीं, रोटी बनाने के लिए जंगल में भटककर लकड़ियां बीनकर लाती थीं, लेकिन आज इन्होंने न सिर्फ खुद का बल्कि थारू समुदाय की 1200 से ज्यादा महिलाओं को हैंडीक्राफ्ट उत्पाद बनाने का मौका देकर उनके भविष्य को संवार रही हैं।
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महिलाओं के स्वास्थ्य, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वालों के लिए उनके योगदान के लिए डॉ इला लोध (मरणोपरांत) को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने त्रिपुरा के हेपेटाइटिस फाउंडेशन की स्थापना की थी।
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तमिलनाडु के नीलगिरी की जया मुथु और तेजम्मा को संयुक्त रूप से नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जया मुथु और तेजम्मा सदियों पुरानी कढ़ाई कला टोड़ा बनाती हैं। यह कढ़ाई टोडा महिलाओं द्वारा बनाई जाती है और इसमें रूखे सफेद सूती कपड़े पर ज्यामितीय डिज़ाइनों में विशिष्ट लाल व काले (कभी-कभी नीले) धागे का प्रयोग होता है। इसे जीआई टैग भी मिला हुआ है।
आदिवासी बैगा कला को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने वाली जोधैया बाई बैगा को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। जनजातीय संस्कृतियों को कैनवास पर चित्रित करते हुए, उनके काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इटली और फ्रांस में प्रदर्शित किया गया है।
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सिक्की घास कला को बढ़ावा देने और पंजाब में वंचित महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मीरा ठाकुर को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। वह सिक्की ग्रास आर्ट का मुफ्त प्रशिक्षण देती हैं और 400 से अधिक वंचित महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकी हैं।
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पर्यावरण संरक्षण में जमीनी स्तर पर नवाचार के लिए नसीरा अख्तर को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया गया। कुलगाम, जम्मू और कश्मीर की रहने वाली, नसीरा अख्तर एक जड़ी-बूटी विकसित की जो पॉलिथीन को राख में बदल देती है, जिससे पॉलीथिन बायोडिग्रेडेबल हो जाती है।
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डाउन सिंड्रोम के कारण तमाम मुश्किलों का सामना करने के बावजूद भारतीय शास्त्रीय नृत्य को बढ़ावा देने के लिए सायली नंदकिशोर अगवने को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। सायली एक कथक नृत्यांगना हैं और उन्हें भारत और विदेशों में पहचान मिली है।
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दिव्यांगजन अधिकारों के प्रति उनके योगदान और समर्पण के लिए संध्या धर को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। संध्या ने 2015 में 'जम्मू इंस्टीट्यूट ऑफ जनरल एजुकेशन एंड रिहैबिलिटेशन' की स्थापना की जो दिव्यांगजन और वंचित बच्चों के लिए क्लास चलाती हैं।
दृष्टिबाधित ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए टिफ़नी बराड़ को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। टिफ़नी बराड़ ने ज्योतिर्गमय फाउंडेशन और केरल में एक मोबाइल ब्लाइंड स्कूल की स्थापना की। उन्होंने 200 से अधिक नेत्रहीन व्यक्तियों को ब्रेल, कंप्यूटर और अन्य कौशल में प्रशिक्षण प्रदान किया है।
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वन्यजीव संरक्षण विशेषकर सांपों को बचाने के लिए वनिता जगदेव बोराडे को नारी शक्ति पुरस्कार दिया गया। 50,000 से अधिक सांपों को उनके प्राकृतिक आवास में बचाकर, बुलढाणा, महाराष्ट्र की वनिता को 'स्नेक फ्रेंड' और फर्स्ट वुमन स्नेक रेस्क्यूअर के रूप में जाना जाता है।
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पशुपालन में महिलाओं की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए कमल कुम्भर को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। उस्मानाबाद की उद्यमी कमल कुम्भर ने एक छोटे से व्यवसाय की मदद से 5,000 महिलाओं की मदद की है और 3,000 घरों को सौर ऊर्जा से रोशन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वंचित ग्रामीण महिलाओं को हथकरघा बुनाई और हिमाचल हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए अंशुल मल्होत्रा को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अंशुल मल्होत्रा ने 200 वंचित ग्रामीण महिलाओं को मुफ्त हथकरघा बुनाई प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार भी दिया है।
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इससे पहले नीना गुप्ता को साल 2019 में 'शांति स्वरूप भटनागर प्राइज फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी' भी मिला था। उन्हें बीजगणित जियोमेट्री के फील्ड में Zariski cancellation problem को सॉल्व करने के लिए नेशलन साइंस अकेडमी द्वारा यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी दिया गया था।
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के प्रयासों के लिए छत्तीसगढ़ के राजनंद गाँव की सामाजिक कार्यकर्ता मधुलिका रामटेके को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया।मधुलिका रामटेके 'माँ बम्लेश्वरी बैंक' की शुरुआत की है जो पूरी तरह से महिलाओं द्वारा प्रबंधित और नियंत्रित है और अब इसकी 5,372 शाखाएं हैं।
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लद्दाख के खोए हुए व्यंजनों और हाथ से बुनाई की तकनीकों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए पद्म यांगचन को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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गुजराती भाषा को बढ़ावा देने और आदिवासी लड़कियों की शिक्षा के लिए निरंजनाबेन मुकुलभाई कलारथी को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने आदिवासी वंचित लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने में मदद करने के लिए मुकुल ट्रस्ट, बारडोली, सरदार कन्या विद्यालय और स्वराज आश्रम की स्थापना की है।
महिलाओं और उद्यमिता के कौशल विकास और सशक्तिकरण में योगदान के लिए पूजा शर्मा को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। गुरुग्राम की रहने वाली, पूजा ने 9 स्वयं सहायता समूह की स्थापना की, लगभग 1,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया और अपनी खाद्य निर्माण इकाइयों में 150 महिलाओं को रोजगार दिया।
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अल्पसंख्यक आदिवासी भाषाओं के संरक्षण के लिए सथुपति प्रसन्न श्री को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया गया। आंध्र विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सथुपति प्रसन्न श्री 19 आदिवासी भाषाओं के लिए स्क्रिप्ट तैयार करने वाली दुनिया की पहली महिला हैं।
महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण में उल्लेखनीय प्रयासों के लिए शोभा गस्ती को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने एक एनजीओ शुरू किया जिसने कर्नाटक के बेलगाम में 3600 से अधिक देवदासियों को मुख्यधारा में लाने में मदद की।
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला उद्यमिता और स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने में उत्कृष्टता के लिए तागे रीता ताखे को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी की निवासी तागे रीता ताखे ने भारत की पहली ऑर्गेनिक कीवी वाइन 'नारा आबा' का उत्पादन किया है।
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भारतीय मर्चेंट नेवी में उत्कृष्टता और अनुकरणीय साहस के लिए राधिका मेनन को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया। वह मर्चेंट नेवी की पहली भारतीय महिला कैप्टन हैं और उन्होंने जून, 2015 में सात मछुआरों की जान बचाते हुए बचाव अभियान का नेतृत्व किया।