प्रधानमंत्री ने BJP सांसदों, विधायकों से नोटबंदी के बाद खातों से लेनदेन का ब्यौरा सौंपने को कहा

गाँव कनेक्शन | Nov 29, 2016, 12:51 IST |
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नई दिल्ली (भाषा)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को BJP के सभी सांसदों, विधायकों से कहा कि वे 8 नवंबर से 31 दिसंबर के बीच अपने बैंक खातों के लेनदेन का ब्यौरा। नवंबर 2017 तक BJP अध्यक्ष अमित शाह को सौंप दें। प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर को बड़े नोटों को अमान्य करने के फैसले की घोषणा की थी।

मोदी ने ये निर्देश BJP संसदीय दल की बैठक में दिया। विपक्षी दल यह आरोप लगाते रहे हैं कि नोटबंदी के निर्णय को घोषणा से पहले BJP के कुछ नेताओं और करीबियों को चुनिंदा तरीके से लीक किया गया। प्रधानमंत्री ने BJP संसदीय दल की बैठक में कहा कि आयकर संशोधन विधेयक कालेधन को सफेद करने के लिए नहीं बल्कि गरीबों से लूटे गये धन का उपयोग उनके कल्याण के लिए करने के वास्ते हैं।

कल लोकसभा में पेश किए गए आयकर संशोधन विधेयक के बारे में यह आरोप लगाये जा रहे हैं कि यह कालेधन को सफेद करने में मदद करेगा। मोदी ने कहा कि संशोधित कानून लोक कल्याण मार्ग से गरीबों के कल्याण के कार्यक्रम के वास्ते हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री आवास लोक कल्याण मार्ग पर स्थित है, जिसे पहले रेसकोर्स मार्ग कहा जाता था। मोदी का हवाला देते हुए संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि यह विधेयक कालेधन के खिलाफ सरकार की जंग का हिस्सा है।

गरीब कल्याण योजना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इस योजना के तहत गरीबों को बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति करने, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, पेयजल आदि मुहैया कराने के लिए धन का उपयोग करेगी। मोदी ने कहा कि सरकार भारत को नकदविहीन समाज बनाने के लिए प्रत्यनशील है। उन्होंने डिजिटल, मोबाइल अर्थव्यवस्था बनाने के उनके प्रयासों को सभी से समर्थन देने का आग्रह किया।

संसदीय दल की बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी सांसदों से कहा कि वे अपने अपने क्षेत्र के पंचायतों, नगर पालिकाओं और अन्य स्थानीय निकायों के कारोबारियों को नकदविहीन लेनदेन अपनाने को प्रेरित करें।

संसद में नोटबंदी को लेकर जारी गतिरोध के बारे में पूछे जाने पर अनंत कुमार ने कहा कि सरकार शीतकालीन सत्र के पहले दिन से ही चर्चा को तैयार है और अगर विपक्ष चहेगा तो प्रधानमंत्री दोनों सदनों में चर्चा में हस्तक्षेप को तैयार हैं। लोकसभा में विपक्ष मतविभाजन के प्रावधान वाले नियम 56 के तहत चर्चा कराने की मांग कर रहा है जबकि सरकार को यह स्वीकार नहीं है और वह नियम 193 के तहत चर्चा पर जोर दे रही है।



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