अभय समेत इनेलो के 72 कार्यकर्ता जेल से रिहा
 गाँव कनेक्शन |  Feb 27, 2017, 17:11 IST | 
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    पटियाला (भाषा)। सतलज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मुद्दे पर लागू निषेघाज्ञा का उल्लंघन करने पर पिछले सप्ताह गिरफ्तार किये गये इनेलो नेता अभय चौटाला को पार्टी के 72 कार्यकर्ताओं के साथ मंडे को जेल से रिहा कर दिया गया।   
   
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलोद) नेता और पार्टी कार्यकर्ताओं को धारा 144 का उल्लंघन करने और एसवाईएल नहर की खोदाई करने के इरादे से पंजाब में प्रवेश करने के प्रयास पर हरियाणा-पंजाब सीमा के शंभू बैरियर के नजदीक गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस आग्रह को मंजूरी प्रदान करते हुये एसडीएम हरप्रीत सिंह साधु ने इनेलो कार्यकर्ताओं की रिहाई के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया।
   
पुलिस ने बताया कि उनकी रिहाई के बाद इन्हें तीन पुलिस वाहनों में जेल से चंडीगढ ले जाया गया। इन कार्यकर्ताओं को अन्य कैदियों से अलग तीन अलग बैरकों में रखा गया था।
   
इससे पहले राजपुरा एसडीएम ने पार्टी के दो सांसदों, 18 वर्तमान विधायकों सहित 73 इनेलो कार्यकर्ताओं को 27 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
   
एसवाईएल नहर विवाद पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे से जुड़ा है। इस पर हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने अन्य राज्यों के साथ जल बंटवारा समझौता को समाप्त करने के पंजाब सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया था।
   
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इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलोद) नेता और पार्टी कार्यकर्ताओं को धारा 144 का उल्लंघन करने और एसवाईएल नहर की खोदाई करने के इरादे से पंजाब में प्रवेश करने के प्रयास पर हरियाणा-पंजाब सीमा के शंभू बैरियर के नजदीक गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस आग्रह को मंजूरी प्रदान करते हुये एसडीएम हरप्रीत सिंह साधु ने इनेलो कार्यकर्ताओं की रिहाई के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया।
पुलिस ने बताया कि उनकी रिहाई के बाद इन्हें तीन पुलिस वाहनों में जेल से चंडीगढ ले जाया गया। इन कार्यकर्ताओं को अन्य कैदियों से अलग तीन अलग बैरकों में रखा गया था।
इससे पहले राजपुरा एसडीएम ने पार्टी के दो सांसदों, 18 वर्तमान विधायकों सहित 73 इनेलो कार्यकर्ताओं को 27 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
एसवाईएल नहर विवाद पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे से जुड़ा है। इस पर हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने अन्य राज्यों के साथ जल बंटवारा समझौता को समाप्त करने के पंजाब सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया था।
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