आम आदमी पार्टी ‘आत्महत्या’ करने को उतारू: योगेन्द्र यादव

गाँव कनेक्शन | Apr 16, 2017, 13:09 IST
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नई दिल्ली (भाषा)। दिल्ली उपचुनाव एवं पंजाब, गोवा चुनाव में ‘आप' की हार के लिए भ्रष्टाचार, मूल्यों से समझौता करने को जिम्मेदार बताते हुए स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने कहा है कि भाजपा आम आदमी पार्टी की राजनीतिक हत्या करने पर उतारु है, लेकिन यह तय है कि हत्या होने से पहले आम आदमी पार्टी आत्महत्या कर चुकी होगी।
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योगेन्द्र यादव, अध्यक्ष, स्वराज इंडिया पार्टी
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उन्होंने कहा की इसमें कोई शक नहीं कि भाजपा आम आदमी पार्टी की हत्या करने को लालायित है। लेकिन आम आदमी पार्टी अपने ही कृत्यों, नकारापन, भ्रष्टाचार और मूल्यों से समझौतों के चलते आत्महत्या करने की राह पर है। योगेन्द्र यादव अन्ना आंदोलन के सक्रिय सदस्य रहे हैं और आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में शामिल थे। योगेन्द्र यादव को अरविंद केजरीवाल से मतभेद के कारण आप से निष्कासित कर दिया गया। उन्होंने प्रशांत भूषण एवं अन्य लोगों के साथ मिलकर स्वराज इंडिया पार्टी का गठन किया।
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योगेन्द्र ने कहा कि निस्संदेह दिल्ली के उपराज्यपाल ने संवैधानिक पदाधिकारी की तरह कम और केंद्रीय सरकार के प्रतिनिधि की तरह ज्यादा काम किया। नजीब जंग ने दिल्ली सरकार की कई साधारण पहल में भी अवरोध डाला. दिल्ली पुलिस आप विधायकों के वास्तविक और काल्पनिक अपराधों पर जितनी फुर्ती दिखाती है, यदि वही तत्परता अन्य राज्यों की पुलिस ने दिखाई होती, तो भाजपा के अपने दर्जनों सांसद और देशभर के सैकड़ों विधायक जेल में होते।





आम आदमी पार्टी को आडे हाथों लेते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा कि यह पार्टी मुख्यत: तीन संकल्पों का समावेश थी जिनमें सैद्धांतिक राजनीति, सुशासन और चुनावी बल शामिल रहा है। लेकिन अफसोस कि सैद्धांतिक राजनीति का दावा तो वह पहले ही खो चुकी है। दागी उम्मीदवारों को अपनाना, अपने ही संविधान की धज्जियां उडाना, पार्टी के लोकपाल को बेशर्मी से हटाना इन सबने पार्टी के पतन की तरफ तो इशारा कर ही दिया था।

यादव ने कहा कि आप के सुशासन के वायदे की कलई खुल गयी है। जहां यह सच है कि भाजपा, आम आदमी पार्टी के पीछे हाथ धो कर पड़ी हुई है, वहीं यह भी सच है कि आम आदमी पार्टी अपने ही न जाने कितने कुकृत्यों को छुपाये बैठी है। अब यह भी साबित हो गया है कि आप को शासन का व्याकरण भी नहीं पता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप सरकार के असंवैधानिक फैसलों पर टिप्पणियां की हैं। आप विधायकों की संसदीय सचिवों पर नियुक्ति से लाभ के पद का मामला चुनाव आयोग के सामने लंबित है।

स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि अब शुंगलू समिति ने भी नियम-कानून को धता बताने वाले इनके कई कारनामों का कच्चा-चिटठा खोल दिया है। पार्टी की वेबसाइट और चुनाव आयोग में दी गयी दानदाताओं की सूची में भिन्नता है। यहां तक कि पार्टी ने तो अब अपने दान की लिस्ट ही हटा ली है। शुंगलू समिति ने भाई-भतीजावाद और पद के दुरोपयोग के कई मामले गिनाये हैं जो किसी भी भ्रष्ट तंत्र में पाए जाते हैं।





उन्होंने कहा कि सरकारी पैसे का अपने विज्ञापन-प्रचार के लिए दुरुपयोग, अपने बचाव पक्ष के महंगे वकील को सरकारी खर्चे से भुगतान करना सब सामने है। नैतिकता और सुशासन के मुद्दे पर हारी आप अब चुनाव आयोग के पीछे पडी है। अब अपनी हार का ठीकरा वो ईवीएम पर फोड रही है। इसी सन्दर्भ में हाउस टैक्स हटाने का वायदा उसकी हताशा का संकेत है। पार्टी नेतृत्व को अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है। पता नहीं आप का चुनावी यंत्र आप की नैतिक मृत्यु के बाद और कितनी देर तक बचेगा।

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