राजस्थान: कृषि बजट में सिंचाई, जैविक खेती, बिजली कनेक्शन, ड्रोन पर जोर, लेकिन कर्ज़माफी न होने से मायूसी
 Somu Anand |  Feb 24, 2022, 12:57 IST
राजस्थान: कृषि बजट में सिंचाई
Highlight of the story: राजस्थान के कृषि बजट में सरकार ने किसानों के लिए कई तरह की घोषणाएं की हैं। सिंचाई योजनाओं पर फोकस है। माइक्रो इरीगेशन पर और सब्सिडी दी जाएगी। बिजली कनेक्शन और दिन में बिजली का वादा है। लेकिन कर्ज़माफी की घोषणा का इंतजार कर रहे किसानों को मायूसी हाथ लगी है।
    कृषि बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, "मुझे हरित क्रांति के अगुआ एम एस स्वामीनाथन का कथन याद आ रहा है। वे कहते थे कि अगर देश में कृषि की स्थिति ठीक नहीं है तो किसी अन्य क्षेत्र में प्रगति संभव नहीं है।"   
   
   
उन्होंने आगे कहा, "किसान हमारी अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। प्रदेश की राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 30% कृषि संबंधित गतिविधियों से आता है और उससे भी महत्वपूर्ण है कि कृषि पर लगभग 85 लाख परिवारों का जीवन यापन निर्भर है।"
   
मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने बतौर वित्त मंत्री 23 फरवरी को राजस्थान का पहला कृषि बजट पेश किया। इस कृषि बजट के लिए सरकार ने 78,938 करोड़ 68 लाख रुपये का प्रावधान किया है। यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 5.92% है।
   
राजस्थान के कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया के मुताबिक ये बजट खेती-किसानी के क्षेत्र में नए युग की शुरुआत करेगा। उन्होंने मीडिया से कहा, "मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना की राशि 2.5 गुणा बढ़ाकर 5 हजार करोड़ रुपए किया गया है। 2 हजार 700 करोड़ रुपए से 'सूक्ष्म सिंचाई मिशन' शुरू होने से 5 लाख किसानों को लाभ मिलेगा। किसानों की जरुर के अनुसार ड्रिप, स्प्रिंकलर, खेत तालाब-डिग्गी निर्माण, पॉली हाउस वाली खेती (संरक्षित खेती) सौर ऊर्जा पंप पर देने से सिंचिंत क्षेत्र बढ़ेगा।"
   
    
     
सरकार और सत्ताधारी पक्ष ने बजट की शान में कसीदे कसे लेकिन विपक्ष और किसान नेताओं ने खोखला और धोखा बताया। बजट में बिजली कनेक्शन, फार्म मशीन, ड्रोन और छुट्टा पशुओं के लिए गौशाला, मुफ्त बीज आदि पर किसानों ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी।
   
   
श्रीगंगानगर जिले के किसान 36 वर्षीय किसान हरविंदर सिंह बजट को औसत बताते हैं। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "बजट में किसानों के फसल के दाम सुनिश्चित करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। न ही गैर परंपरागत फसलों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। सरकार कर्ज देने की बात करती है लेकिन किसानों को कर्जा न लेना पड़े, इसके लिए कोई उपाय नहीं करती। आज राजस्थान में डीजल सबसे महंगा है। सिंचाई से लेकर ढुलाई तक का खर्चा इस वजह से ज्यादा आता है। सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। जब तक किसानों को लागत के अनुरूप दाम नहीं मिलेंगे, तब तक किसानों की दशा नहीं बदलेगी।"
   
वहीं कोटा जिले में रहने वाले कृषि विशेषज्ञ पवन टाक इस बजट को किसानों की आय वृद्धि के ख्याल से ज्यादा प्रभावी नहीं मानते। वे कहते हैं, "यह बजट आय बढ़ाने के लिए बहुत प्रभावी नहीं है लेकिन इसके दीर्घकालीन परिणाम बेहतर होंगे। जैविक खेती मिशन एक बड़ा कदम है। इसके लिए 600 करोड़ का प्रावधान कर सरकार ने इसे मजबूती दी है। शेष किसी मिशन में राशि इतनी नहीं है जिससे कुछ नया हो सके।" वहीं भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील इस बजट से खुश नजर आ रहे हैं। वे कहते हैं कि जो घोषणाएं सरकार ने की हैं, अगर वह लागू हो जाये तो किसानों का भला हो जाएगा।
   
   किसान सभा के नेता पूर्व विधायक अमरा राम बजट को किसानों के साथ धोखा बताते हैं। अमराराम गांव कनेक्शन से फोन पर कहते हैं, "इस सरकार का सबसे बड़ा वादा था दस दिनों के अंदर कर्जमाफी था। लेकिन 3 साल बाद भी किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है। अगर किसानों के हालात नहीं बदलेंगे तो अलग से कृषि बजट का क्या मतलब रहेगा?   
   
वे सवाल करते हैं, "सरकार खुद मानती है कि राज्य की दो-तिहाई आबादी कृषि पर आश्रित है। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी के लिए मात्र छह फीसदी बजट क्या न्यायपूर्ण लगता है?
   
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कृषि बजट को छलावा बताया है। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, "कहने को तो कृषि बजट है लेकिन किसानों के लिए महज छलावे से ज्यादा कुछ भी नहीं है। इन्होंने विस चुनाव में 2 लाख तक का कर्जा माफ करने का वादा तो आज तक पूरा नहीं किया।"
   
    
कर्ज़माफी था बड़ा मुद्दा
   
   
दरअसल अलग से पेश हुए कृषि बजट से सबसे अधिक उम्मीदें कर्जदार किसानों को थी। राजनीतिक हलकों में भी यह चर्चा थी कि सरकार कर्जमाफी के जरिये किसानों को साधने का प्रयास करेगी लेकिन सरकार ने बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं की। प्रदेश के 35 लाख किसानों पर 60 हजार करोड़ का बैंक ऋण है। हाल के दिनों में किसानों की जमीन नीलामी के बाद यह बड़ा मुद्दा बन गया था। इसलिए यह उम्मीद की जा रही थी कि सरकार किसानों के कर्जमाफी के लिए कोई योजना बनाएगी। विभिन्न किसान संगठन भी सरकार से कर्जमाफी की मांग कर रहे थे।
   
हालांकि ब्याज मुक्त फसली ऋण वितरण योजना के तहत अगले एक साल में 20000 करोड़ राशि के वितरण का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 650 करोड़ रुपये ब्याज अनुदान पर खर्च किये जायेंगे।
   
कृषि बजट को लेकर लोगों की राय अलग-अलग हैं, ज्यादा साफ तस्वीर तब नजर आएगी जब ये योजनाएं और घोषणाएं जमीन पर उतरेंगी। साल 2023 के आखिर में राजस्थान विधानसभा चुनाव भी हैं। अशोक गहलोत ने कृषि क्षेत्र के लिए क्या क्या घोषणाएं की हैं, समझिए...
   
   कृषि बजट में गहलोत सरकार का पूरा जोर किसानों के लिए सिंचाई, यानि खेत तक पानी पहुंचाने पर विशेष जोर रहा। माइक्रो इरीगेशन (ड्रिप और स्प्रिंकलर), खेती के लिए बिजली के कनेक्शन, दिन में किसानों को बिजली और पूर्वी नहर परियोजना के लिए बजट और सब्सिडी की घोषणाएं की गईं। सिंचाई जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान इरिगेशन रिस्ट्रक्चरिंग प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है। इसके लिए अगले 3 साल में 14,860 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।   
   
प्रदेश में 2012 से विद्युत कनेक्शन के लंबित (पेंडिंग) आवेदनों को कनेक्शन दिया जाएगा। इस पर सरकार के 6700 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस फैसले से 3 लाख 38 हजार किसानों को अगले दो साल के अंदर विद्युत कनेक्शन जारी करने का रास्ता साफ हो गया है। कनेक्शन न मिलने की वजह से ये किसान दूसरों के खेत से पानी खरीद कर सिंचाई के लिए मजबूर थे।
   
एक लाख किसानों को सोलर पंप स्थापित करने के लिए 60 प्रतिशत अनुदान देने की भी घोषणा की गई है। इसके लिए 500 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को 45 हजार रुपये तक का अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए 200 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी।
   
राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के लिए 2700 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। सरकार के मुताबिक इससे 5 लाख से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। इस मिशन के तहत 4 लाख से अधिक किसानों को स्प्रिंकल से सिंचाई के लिए 1705 करोड़ रुपये, 50 हजार से अधिक किसानों को 20 हजार किलोमीटर में सिंचाई पाइप लाइन बिछाने के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा। बजट घोषणाओं के अनुसार सभी संभागीय मुख्यालयों पर सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर माइक्रो इरिगेशन भी स्थापित किया जाएगा।
   
   पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना निगम का गठन भी सिंचाई व्यवस्था सुदृढ करने की दिशा में बड़ा कदम है। 13 जिलों को प्रभावित करने वाली इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री ने पत्र लिख कर प्रधानमंत्री को जयपुर में भाषण के दौरान परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का वादा याद दिला चुके हैं। लेकिन अब राज्य सरकार ने इस परियोजना पर कार्य जारी रखने के लिए 9600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।   
   
   भंडारण व वितरण के लिए मिनी फ़ूड पार्क और एग्रो पार्क बनाये जाएंगे। ग्राम सहकारी समितियों में 100 मीट्रिक टन क्षमता के 100 गोदाम का निर्माण कराया जाएगा। साथ ही प्याज भंडारण संरचना के निर्माण के लिए 44 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा।   
   
   आगामी 2 वर्षों में प्रदेश के 4,171 ग्राम पंचायतों में ग्राम सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी। इससे छोटे किसानों को कर्ज समेत अन्य सुविधाएं मिलनी आसान होंगी। अभी प्रदेश में 7,133 सहकारी समितियां काम कर रही हैं।   
   
   पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए पांच हजार नए डेयरी बूथ खोले जाएंगे। इसमें एक हजार बूथ महिलाओं एवं स्वयं सहायता समूहों को आवंटित किए जाएंगे। साथ ही प्रदेश में 51 नए मिल्क रुट शुरू किए जाएंगे।   
   
   किसानों को आवारा पशुओं ने निजात दिलाने के लिए पंचायत स्तर पर गौशालाएं संचालित की जाएंगी। इसके संचालन की जिम्मेदारी एनजीओ को दी जाएगी और गोशालाओं के स्थापना के लिए सरकार 1 करोड़ रुपये तक की राशि देगी। साथ ही ब्लॉक स्तर पर नंदीशाला के लिए 1 करोड़ 57 लाख रुपये उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान भी बजट में किया गया है। साथ ही ऊंट संरक्षण एवं विकास नीति के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।   
   
11 मिशन पर काम करेगी सरकार
   
   
सरकार ने पिछले साल कृषक साथी योजना की शुरुआत की थी। इस बजट में कृषक साथी योजना की राशि 2000 करोड़ से बढ़ाकर 5000 करोड़ करने की घोषणा की गई है। इस योजना के अंतर्गत कृषि व इससे संबंधित क्षेत्रों की योजनाओं को मिशन मोड पर चलाने का प्रस्ताव है। जिन 11 मिशन को इस योजना में शामिल किया गया है।
   
   इस मिशन के तहत 2700 करोड़ रुपये खर्च कर 5 लाख किसानों को लाभ पहुंचाने की योजना है।   
   
   इस मिशन के तहत 3 लाख 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती विस्तार का लक्ष्य है। अगले 3 सालों में 4 लाख किसानों को जैविक बीज, जैव उर्वरक एवं कीटनाशक उपलब्ध कराने के लिए 600 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।   
   
   इस मिशन के तहत 12 लाख किसानों को फसलों के प्रमाणित बीज के मिनीकिट निःशुल्क उपलब्ध कराने की योजना है। इस पर 78 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बीज स्वाबलंबन योजना के आकार को दुगना कर 50 हजार किसानों को लाभान्वित किया जाएगा।   
   
   राजस्थान को मिलेट हब के रूप में विकसित करने के लिए इस मिशन के तहत 100 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। इसके तहत किसानों को बाजरा, ज्वार जैसे फसलों के निःशुल्क बीज उपलब्ध कराया जाएगा। तकनीक की जानकारी देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना होगी और प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किए जाएंगे।   
   
   खेती के लिए आधुनिक तौर-तरीके एवं तकनीक अपनाने, गैर मौसमी फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके तहत अगले 2 वर्षों में 25 हजार किसानों को ग्रीन हाउस/शेडनेट हाउस की स्थापना के लिए 400 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा।   
   
   फूल, मसाले और औषधीय खेती करने वाले किसानों को बढ़ावा देने के लिए अगले दो वर्षों में 100 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा।   
   
   आवारा पशुओं से होने वाले नुकसान से बचाव के लिए यह मिशन शुरू किया जा रहा है। इस मिशन के तहत अगले 2 वर्ष में 25 लाख मीटर तारबंदी पर 100 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इस मिशन के तहत तारबंदी के आवेदन के लिए किसानों के समूह बनाने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। अब एकल किसान ने अनुदान के लिए आवेदन कर सकता है।   
   
   हरी खाद के प्रयोग और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह मिशन शुरू किया गया है। हरी खाद के उत्पादन के लिए 2 लाख किसानों को ढैंचा बीज के मिनीकिट निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे।   
   
   इस मिशन के तहत कृषि यांत्रिकीकरण पर 400 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। अगले 2 साल में 60 हजार किसानों को कृषि यंत्र की खरीद पर 150 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा।   
   
   इस मिशन के तहत कृषि श्रमिको को कृषि यंत्र खरीदने के लिए 5000 रुपये प्रति परिवार अनुदान दिया जाएगा। आगामी 2 वर्षों में एक लाख किसानों को स्किल एंड कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।   
   
   इस मिशन के तहत अलग-अलग जिलों में लहसुन, टमाटर, आंवले, जीरा, इसबगोल और सरसों के प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए अनुदान दिया जाएगा।   
   
 
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उन्होंने आगे कहा, "किसान हमारी अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। प्रदेश की राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 30% कृषि संबंधित गतिविधियों से आता है और उससे भी महत्वपूर्ण है कि कृषि पर लगभग 85 लाख परिवारों का जीवन यापन निर्भर है।"
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मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने बतौर वित्त मंत्री 23 फरवरी को राजस्थान का पहला कृषि बजट पेश किया। इस कृषि बजट के लिए सरकार ने 78,938 करोड़ 68 लाख रुपये का प्रावधान किया है। यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 5.92% है।
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राजस्थान के कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया के मुताबिक ये बजट खेती-किसानी के क्षेत्र में नए युग की शुरुआत करेगा। उन्होंने मीडिया से कहा, "मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना की राशि 2.5 गुणा बढ़ाकर 5 हजार करोड़ रुपए किया गया है। 2 हजार 700 करोड़ रुपए से 'सूक्ष्म सिंचाई मिशन' शुरू होने से 5 लाख किसानों को लाभ मिलेगा। किसानों की जरुर के अनुसार ड्रिप, स्प्रिंकलर, खेत तालाब-डिग्गी निर्माण, पॉली हाउस वाली खेती (संरक्षित खेती) सौर ऊर्जा पंप पर देने से सिंचिंत क्षेत्र बढ़ेगा।"
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सरकार और सत्ताधारी पक्ष ने बजट की शान में कसीदे कसे लेकिन विपक्ष और किसान नेताओं ने खोखला और धोखा बताया। बजट में बिजली कनेक्शन, फार्म मशीन, ड्रोन और छुट्टा पशुओं के लिए गौशाला, मुफ्त बीज आदि पर किसानों ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी।
श्रीगंगानगर जिले के किसान 36 वर्षीय किसान हरविंदर सिंह बजट को औसत बताते हैं। वे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, "बजट में किसानों के फसल के दाम सुनिश्चित करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। न ही गैर परंपरागत फसलों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। सरकार कर्ज देने की बात करती है लेकिन किसानों को कर्जा न लेना पड़े, इसके लिए कोई उपाय नहीं करती। आज राजस्थान में डीजल सबसे महंगा है। सिंचाई से लेकर ढुलाई तक का खर्चा इस वजह से ज्यादा आता है। सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। जब तक किसानों को लागत के अनुरूप दाम नहीं मिलेंगे, तब तक किसानों की दशा नहीं बदलेगी।"
वहीं कोटा जिले में रहने वाले कृषि विशेषज्ञ पवन टाक इस बजट को किसानों की आय वृद्धि के ख्याल से ज्यादा प्रभावी नहीं मानते। वे कहते हैं, "यह बजट आय बढ़ाने के लिए बहुत प्रभावी नहीं है लेकिन इसके दीर्घकालीन परिणाम बेहतर होंगे। जैविक खेती मिशन एक बड़ा कदम है। इसके लिए 600 करोड़ का प्रावधान कर सरकार ने इसे मजबूती दी है। शेष किसी मिशन में राशि इतनी नहीं है जिससे कुछ नया हो सके।" वहीं भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील इस बजट से खुश नजर आ रहे हैं। वे कहते हैं कि जो घोषणाएं सरकार ने की हैं, अगर वह लागू हो जाये तो किसानों का भला हो जाएगा।
कर्ज़माफी न होने से मायूसी, विपक्ष और किसान नेताओं ने घेरा
वे सवाल करते हैं, "सरकार खुद मानती है कि राज्य की दो-तिहाई आबादी कृषि पर आश्रित है। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी के लिए मात्र छह फीसदी बजट क्या न्यायपूर्ण लगता है?
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कृषि बजट को छलावा बताया है। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, "कहने को तो कृषि बजट है लेकिन किसानों के लिए महज छलावे से ज्यादा कुछ भी नहीं है। इन्होंने विस चुनाव में 2 लाख तक का कर्जा माफ करने का वादा तो आज तक पूरा नहीं किया।"
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कर्ज़माफी था बड़ा मुद्दा
दरअसल अलग से पेश हुए कृषि बजट से सबसे अधिक उम्मीदें कर्जदार किसानों को थी। राजनीतिक हलकों में भी यह चर्चा थी कि सरकार कर्जमाफी के जरिये किसानों को साधने का प्रयास करेगी लेकिन सरकार ने बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं की। प्रदेश के 35 लाख किसानों पर 60 हजार करोड़ का बैंक ऋण है। हाल के दिनों में किसानों की जमीन नीलामी के बाद यह बड़ा मुद्दा बन गया था। इसलिए यह उम्मीद की जा रही थी कि सरकार किसानों के कर्जमाफी के लिए कोई योजना बनाएगी। विभिन्न किसान संगठन भी सरकार से कर्जमाफी की मांग कर रहे थे।
हालांकि ब्याज मुक्त फसली ऋण वितरण योजना के तहत अगले एक साल में 20000 करोड़ राशि के वितरण का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 650 करोड़ रुपये ब्याज अनुदान पर खर्च किये जायेंगे।
कृषि बजट को लेकर लोगों की राय अलग-अलग हैं, ज्यादा साफ तस्वीर तब नजर आएगी जब ये योजनाएं और घोषणाएं जमीन पर उतरेंगी। साल 2023 के आखिर में राजस्थान विधानसभा चुनाव भी हैं। अशोक गहलोत ने कृषि क्षेत्र के लिए क्या क्या घोषणाएं की हैं, समझिए...
सिंचाई पर सबसे अधिक जोर
प्रदेश में 2012 से विद्युत कनेक्शन के लंबित (पेंडिंग) आवेदनों को कनेक्शन दिया जाएगा। इस पर सरकार के 6700 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस फैसले से 3 लाख 38 हजार किसानों को अगले दो साल के अंदर विद्युत कनेक्शन जारी करने का रास्ता साफ हो गया है। कनेक्शन न मिलने की वजह से ये किसान दूसरों के खेत से पानी खरीद कर सिंचाई के लिए मजबूर थे।
एक लाख किसानों को सोलर पंप स्थापित करने के लिए 60 प्रतिशत अनुदान देने की भी घोषणा की गई है। इसके लिए 500 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को 45 हजार रुपये तक का अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए 200 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी।
राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन के लिए 2700 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। सरकार के मुताबिक इससे 5 लाख से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। इस मिशन के तहत 4 लाख से अधिक किसानों को स्प्रिंकल से सिंचाई के लिए 1705 करोड़ रुपये, 50 हजार से अधिक किसानों को 20 हजार किलोमीटर में सिंचाई पाइप लाइन बिछाने के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा। बजट घोषणाओं के अनुसार सभी संभागीय मुख्यालयों पर सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर माइक्रो इरिगेशन भी स्थापित किया जाएगा।
अपने दम पर पूर्वी सिंचाई परियोजना पर जारी रखेंगे काम
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ग्राम सहकारी समितियां होंगी सुदृढ
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