फ़सल बर्बाद होने पर सरकार आपको देगी पैसा, इसके लिए पहले यहाँ कराना होगा रजिस्ट्रेशन
Gaon Connection | Jul 11, 2023, 13:02 IST
फ़सल बर्बाद होने पर सरकार आपको देगी पैसा
Highlight of the story: प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना पूरे फ़सल चक्र के दौरान किसानों को सुरक्षा देती है। ख़राब मौसम और दूसरी चुनौतियों में इसका सहारा किसानों को बेफ़िक्र कर देता है।
क्या आपने खरीफ़ की फ़सलों की बुवाई शुरू कर दी है? अगर हाँ तो हम आपको बता रहे हैं ख़राब मौसम में फ़सल के बर्बाद होने पर भी आप कैसे बड़े आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं।
जोख़िमों से बचाव के लिए फ़सल का बीमा होना बेहद ज़रूरी है। ऐसे में किसान फ़सल को सुरक्षा देने के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना (PMFBY) और पुनर्गठित मौसम आधारित फ़सल बीमा योजना (RWBCIS) के ज़रिए खरीफ़ की फ़सल पर आने वाले जोख़िमों से बच सकते हैं।
प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना का सबसे अहम पहलू है किसानों के लिए कम प्रीमियम, जिससे किसानों पर बीमा प्रीमियम का कम बोझ पड़ता है। बाकी के प्रीमियम का भार केंद्र और राज्य सरकार उठाती हैं। फिलहाल यह योजना भारत के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है।
कुछ राज्य जैसे ओडिशा, पुडुचेरी, मेघालय और महाराष्ट्र किसानों के पूरे बीमा प्रीमियम का ख़र्च उठाने के लिए आगे आए हैं। इन राज्यों की इस कोशिश से उन छोटे और सीमांत किसानों को मदद मिलेगी जिन्हें प्रीमियम के लिए अधिक पैसे देने पड़ते थे।
फ़सल बीमा योजनाओं में दावे और मुआवजे की प्रक्रिया को पारदर्शी,सरल बनाने के लिए एक प्रौद्योगिकी आधारित डिजी क्लेम नाम की प्रणाली विकसित की गई है। इस प्रणाली की मदद से दावों के निपटारे और मुआवज़ा वितरण जैसी प्रक्रियाएँ आसान हो गयी हैं। यही नहीं इसके साथ कागज़ी कार्यवाही भी कम होती है। इससे किसानों की फ़सल को हुए नुकसान की सूरत में उन्हें जल्दी मुआवजा मिलता है।
इस प्रणाली के ज़रिए सरकार किसानों को मुआवज़ा भुगतान के लिए डिजिटल समाधान दे रही है। मार्च 2023 में डिजीक्लेम के लॉन्च के दौरान एक ही दिन में किसानों को 1200 करोड़ रुपये से अधिक दावों का भुगतान किया गया।
प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना से बुवाई, मध्य अवधि की प्रतिकूलता, स्थानीय आपदाएँ, उपज-आधारि नुकसान और मौसम-आधारित नुकसान में व्यापक सुरक्षा मिलती है।
इसके लिए कोई भी किसान कॉल सेंटर की भी मदद ले सकता है या इलाके की नज़दीकी बीमा कंपनी, बैंक ब्रांच, जन सेवा केंद्र (सीएससी सेंटर) या फिर कृषि अधिकारी से जानकारी लेकर अपना पंजीकरण करवा सकता है।
अपनी फ़सल के बीमा कवरेज के लिए किसानों को पंजीकरण कराना ज़रूरी है ताकि अलग अलग आपदाओं से फ़सलों की सुरक्षा हो सके और संभावित हानियों से बचाया जा सके। देश के विभिन्न राज्यों में बीमा के लिए पंजीकरण की आख़िरी तारीख 31 जुलाई तय की गयी है। देश के कुछ राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड आदि में पंजीकरण की अंतिम तारीख अलग-अलग है। संबंधित प्रदेश के किसान अपने यहाँ के कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर योजना की आख़िरी तारीख से पहले पंजीकरण करवा के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ ले सकते हैं।
पंजीकरण करवाने के लिए किसान अपने नज़दीकी किसी भी कॉमन सर्विस सेंटर (जन सुविधा केंद्र) पर जा सकते हैं। वहाँ रजिस्ट्रेशन होने के बाद इस योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा पीएमएफबीवाई क्रॉप बीमा ऐप पर लॉग इन कर के इस योजना से जुड़ सकते हैं। इसके साथ ही किसान www.pmfby.gov.in पर जाकर अपना पंजीकरण कर सकते हैं।
इन तकनीकी माध्यमों के अलावा अतिरिक्त बीमा बीजकों के ज़रिए भी पंजीकरण आसानी से हो सकता है। किसान अपने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) वाले बैंकों से संपर्क कर सकते हैं, ताकि बैंक सत्यापित कर सके कि क्या उनका पंजीकरण हुआ है या नहीं।
इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा बीमा मध्यस्थ के माध्यम से भी पंजीकरण कर सकते हैं, इसके लिए आपको एआईडीई ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं, एआईडीई ऐप, प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। जिसके ज़रिए बीमा एजेंट किसानों के घर जाकर पंजीकरण कर सकेंगे।
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जोख़िमों से बचाव के लिए फ़सल का बीमा होना बेहद ज़रूरी है। ऐसे में किसान फ़सल को सुरक्षा देने के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना (PMFBY) और पुनर्गठित मौसम आधारित फ़सल बीमा योजना (RWBCIS) के ज़रिए खरीफ़ की फ़सल पर आने वाले जोख़िमों से बच सकते हैं।
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प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना का सबसे अहम पहलू है किसानों के लिए कम प्रीमियम, जिससे किसानों पर बीमा प्रीमियम का कम बोझ पड़ता है। बाकी के प्रीमियम का भार केंद्र और राज्य सरकार उठाती हैं। फिलहाल यह योजना भारत के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है।
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कुछ राज्य जैसे ओडिशा, पुडुचेरी, मेघालय और महाराष्ट्र किसानों के पूरे बीमा प्रीमियम का ख़र्च उठाने के लिए आगे आए हैं। इन राज्यों की इस कोशिश से उन छोटे और सीमांत किसानों को मदद मिलेगी जिन्हें प्रीमियम के लिए अधिक पैसे देने पड़ते थे।
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फ़सल बीमा योजनाओं में दावे और मुआवजे की प्रक्रिया को पारदर्शी,सरल बनाने के लिए एक प्रौद्योगिकी आधारित डिजी क्लेम नाम की प्रणाली विकसित की गई है। इस प्रणाली की मदद से दावों के निपटारे और मुआवज़ा वितरण जैसी प्रक्रियाएँ आसान हो गयी हैं। यही नहीं इसके साथ कागज़ी कार्यवाही भी कम होती है। इससे किसानों की फ़सल को हुए नुकसान की सूरत में उन्हें जल्दी मुआवजा मिलता है।
इस प्रणाली के ज़रिए सरकार किसानों को मुआवज़ा भुगतान के लिए डिजिटल समाधान दे रही है। मार्च 2023 में डिजीक्लेम के लॉन्च के दौरान एक ही दिन में किसानों को 1200 करोड़ रुपये से अधिक दावों का भुगतान किया गया।
प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना से बुवाई, मध्य अवधि की प्रतिकूलता, स्थानीय आपदाएँ, उपज-आधारि नुकसान और मौसम-आधारित नुकसान में व्यापक सुरक्षा मिलती है।
इसके लिए कोई भी किसान कॉल सेंटर की भी मदद ले सकता है या इलाके की नज़दीकी बीमा कंपनी, बैंक ब्रांच, जन सेवा केंद्र (सीएससी सेंटर) या फिर कृषि अधिकारी से जानकारी लेकर अपना पंजीकरण करवा सकता है।
पंजीकरण करवा के ले सकते हैं लाभ
इन माध्यमों से करवा सकते हैं पंजीकरण
इन तकनीकी माध्यमों के अलावा अतिरिक्त बीमा बीजकों के ज़रिए भी पंजीकरण आसानी से हो सकता है। किसान अपने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) वाले बैंकों से संपर्क कर सकते हैं, ताकि बैंक सत्यापित कर सके कि क्या उनका पंजीकरण हुआ है या नहीं।
इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा बीमा मध्यस्थ के माध्यम से भी पंजीकरण कर सकते हैं, इसके लिए आपको एआईडीई ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं, एआईडीई ऐप, प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। जिसके ज़रिए बीमा एजेंट किसानों के घर जाकर पंजीकरण कर सकेंगे।