दीवाली की तरह लाइटों से जगमगाएगा महाकुंभ मेला, बिजली इंतजाम पर ख़र्च होगा 400 करोड़

गाँव कनेक्शन | Oct 31, 2023, 05:52 IST
दीवाली की तरह लाइटों से जगमगाएगा महाकुंभ मेला

Highlight of the story: साल 2025 के महाकुंभ के लिए प्रयागराज में महा तैयारी हो रही है, 67 हज़ार से अधिक स्ट्रीट लाइट्स से संगम तट को रोशन करने और बत्ती के कभी गुल न होने के पुख्ता इंतजाम किये जा रहे हैं।

महाकुंभ मेले में इस बार आस्था की डुबकी के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को रात में भी दिन का आभास होगा।

जी हाँ, प्रयागराज में साल 2025 के महाकुंभ में उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली के लिए 400 करोड़ का प्लान बनाया है जिससे एक मिनट के लिए भी बिजली नहीं जाएगी।
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पूरे महाकुंभ मेला क्षेत्र को रोशनी से जगमग करने के लिए 67 हज़ार से भी अधिक स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएँगी। इनमें लगभग दो हज़ार सोलर हाईब्रिड स्ट्रीट लाइटें होंगी।
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इसके साथ ही विद्युत आपूर्ति के लिए प्रदेश सरकार 109 डीजी सेट की व्यवस्था कर रही है, इससे पूरे मेला क्षेत्र को 24 घंटे पावर सप्लाई की जाएगी।

इसके अलावा 11 केवी के 15 रिंग मेन यूनिट भी लगाए जाएँगे, जिससे अचानक पावर सप्लाई बाधित होने की दशा में तत्काल दूसरे स्रोत से बिजली को ऑटो चेंज किया जा सके।
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प्रयागराज के संगम तट पर कुछ दिनों के लिए शहर बस जाता है, यहाँ की ज़रूरतों में बिजली भी एक है।
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साल 2018-19 में आयोजित कुंभ में 192 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे, जबकि इस बार ये रकम 400 करोड़ के करीब है।

स्ट्रीट लाइट की रिपेयरिंग के लिए चार आधुनिक वैन लगाये जाएँगे। महाकुंभ मेला खत्म होने के बाद इन वैनों का इस्तेमाल अगले माघ मेलों और प्रयागराज शहर के स्ट्रीट लाइटों के लिए किया जाएगा।

इसके साथ ही चार मोबाइल हाईमास्ट जनरेटर भी लगाए जाएँगे। इनका उपयोग मेले के विद्युतीकरण से पहले मेला क्षेत्र में अलग-अलग कार्यस्थलों पर रोशनी देने के लिए किया जाएगा।

फ़ौरन मालूम हो सकेगा ख़राबी कहा है

अगर कहीं किसी स्ट्रीट लाइट या तार में गड़बड़ी हुई तो इसकी जानकारी तुरंत हो सकेगी। इस पर नज़र रखने के लिए इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) की मदद ली जाएगी। करीब डेढ़ लाख आईसीटी बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम में क्यू आर कोडिंग और जीओ टैगिंग के जरिए बिजली सप्लाई पर नज़र रखी जाएगी।

इससे ख़राबी और करेंट लीकेज तुरंत मालूम कर उसे जल्द ठीक करने में मदद मिलेगी। मेला क्षेत्र में बिजली व्यवस्था की मॉनिटरिंग के लिए पूरे इलाके की ऑटोकैड के जरिए मैपिंग कराई जाएगी।

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