लाडली मीडिया अवार्ड्स 2021: महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर गांव कनेक्शन को मिले 3 अवार्ड
 गाँव कनेक्शन |  Nov 19, 2021, 12:15 IST
लाडली मीडिया अवार्ड्स 2021: महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर गांव कनेक्शन को मिले 3 अवार्ड
Highlight of the story: गाँव कनेक्शन में प्रकाशित तीन खबरों को लाडली अवार्ड मिला है, महिला महिला सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों पर संवेदनशील रिपोर्टिंग के लिए अवार्ड दिए गए हैं।
    लैंगिक समानता के क्षेत्र में काम करने वाली प्रतिष्ठित संस्था 'पॉपुलेशन फर्स्ट' द्वारा लाडली मीडिया अवार्ड्स 2021 की घोषणा आज, 19 नवंबर को की गई है। गाँव कनेक्शन को तीन अवार्ड मिले हैं।   
   
10 भाषाओं के 98 विजेताओं को अवार्ड दिए गए हैं। यह अवॉर्ड जेंडर सेंसिटिविटी के क्षेत्र में काम करने वाले मीडियाकर्मियों को हर वर्ष दिया जाता है।
   
सीनियर रिपोर्टर नीतू सिंह के दो खबरों को वेब फीचर और इंवेस्टिगेटिव श्रेणी में अवार्ड मिले हैं। साथ ही पूर्णिम साह की भी एक खबर को वेब फीचर श्रेणी में सम्मानित किया गया है।
   
   
नीतू सिंह को पहला अवार्ड जो उन्हें वेब श्रेणी में लिखी स्टोरी पर मिला है, जो कि एक पंक्चर बनाने वाली पंचर बनाने वाली तरन्नुम कहानी है।
   
   
यह मल्टीमीडिया स्टोरी 'मदर्स ऑफ इंडिया' गांव कनेक्शन की विशेष सीरीज में का हिस्सा थी, जिसमें कुछ ऐसी मांओं की कहानियां हैं जो अपने परिवार के लिए दहलीज़ लांघकर, लीक से हटकर काम कर रही हैं। आज मिलिए पंचर बनाने वाली तरन्नुम से ...
   
              
   
   
2020-21 के आम बजट में 'स्वच्छ भारत अभियान' के लिए 12,300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और हर साल औसतन 10,000 करोड़ रुपये शौचालय निर्माण पर खर्च किए जाते हैं। लेकिन, उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में हाथ से मैला उठाने की प्रथा अब भी जारी है।
   
मैला उठाने के बदले सिर्फ दिन की कुछ रोटियां, नमक या अचार या फिर कई बार थोड़ी बहुत सब्जी मिल जाती है। हाथ से मैला उठाना इनकी मजबूरी है क्योंकि इन्हें परिवार का पेट पालना है। शोभारानी के गांव में इनकी जाति के कुल पांच घर हैं। इन सबने एक दो साल से खाना लेना बंद कर दिया है जिसके बदले इन्हें साल में 8-10 पसेरी (पसेरी मतलब ढाई किलो) गेंहूं मिलते हैं।
   
              
   
Also Read: Women Safety: A dysfunctional toll-free women helpline in West Bengal; Assam helpline lacks sufficient funds रिपोर्ट से पता चलता है कि 24/7 हेल्पलाइन खराब है, जबकि इसकी लैंडलाइन हेल्पलाइन कार्यालय समय के दौरान सप्ताह में केवल पांच दिन काम करता है। कहानी ने यह भी बताया कि कैसे असम की हेल्पलाइन में कर्मचारियों की कमी है।
   
आप यहां पुरस्कार समारोह देख सकते हैं
   
    
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10 भाषाओं के 98 विजेताओं को अवार्ड दिए गए हैं। यह अवॉर्ड जेंडर सेंसिटिविटी के क्षेत्र में काम करने वाले मीडियाकर्मियों को हर वर्ष दिया जाता है।
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सीनियर रिपोर्टर नीतू सिंह के दो खबरों को वेब फीचर और इंवेस्टिगेटिव श्रेणी में अवार्ड मिले हैं। साथ ही पूर्णिम साह की भी एक खबर को वेब फीचर श्रेणी में सम्मानित किया गया है।
नीतू सिंह को पहला अवार्ड जो उन्हें वेब श्रेणी में लिखी स्टोरी पर मिला है, जो कि एक पंक्चर बनाने वाली पंचर बनाने वाली तरन्नुम कहानी है।
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यह मल्टीमीडिया स्टोरी 'मदर्स ऑफ इंडिया' गांव कनेक्शन की विशेष सीरीज में का हिस्सा थी, जिसमें कुछ ऐसी मांओं की कहानियां हैं जो अपने परिवार के लिए दहलीज़ लांघकर, लीक से हटकर काम कर रही हैं। आज मिलिए पंचर बनाने वाली तरन्नुम से ...
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2020-21 के आम बजट में 'स्वच्छ भारत अभियान' के लिए 12,300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और हर साल औसतन 10,000 करोड़ रुपये शौचालय निर्माण पर खर्च किए जाते हैं। लेकिन, उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में हाथ से मैला उठाने की प्रथा अब भी जारी है।
मैला उठाने के बदले सिर्फ दिन की कुछ रोटियां, नमक या अचार या फिर कई बार थोड़ी बहुत सब्जी मिल जाती है। हाथ से मैला उठाना इनकी मजबूरी है क्योंकि इन्हें परिवार का पेट पालना है। शोभारानी के गांव में इनकी जाति के कुल पांच घर हैं। इन सबने एक दो साल से खाना लेना बंद कर दिया है जिसके बदले इन्हें साल में 8-10 पसेरी (पसेरी मतलब ढाई किलो) गेंहूं मिलते हैं।
Also Read: Women Safety: A dysfunctional toll-free women helpline in West Bengal; Assam helpline lacks sufficient funds रिपोर्ट से पता चलता है कि 24/7 हेल्पलाइन खराब है, जबकि इसकी लैंडलाइन हेल्पलाइन कार्यालय समय के दौरान सप्ताह में केवल पांच दिन काम करता है। कहानी ने यह भी बताया कि कैसे असम की हेल्पलाइन में कर्मचारियों की कमी है।
आप यहां पुरस्कार समारोह देख सकते हैं