"अस्पतालों और श्मशानों से जैसी खबरें आ रही हैं, ऐसे में शहरों से गांव वोट डालने आए लोगों से कोरोना का डर तो है ही"
 Arvind Shukla |  Apr 19, 2021, 17:27 IST
“अस्पतालों और श्मशानों से जैसी खबरें आ रही हैं
Highlight of the story: यूपी पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में कुल 20 जिलों में वोट पड़े, जिसमें राजधानी लखनऊ, गौतमबुद्धनगर और वाराणसी जैसे वो जिले भी शामिल थे, जहां कोरोना को लेकर भयावह खबरें आ रही हैं। ऐसे में ग्रामीणों को अपने यहां संक्रमण का खतरा लग रहा है..
    अकडरिया (लखनऊ)।  "मेरे गांव में करीब 3500 मतदाता है, जिसमे से 60 फीसदी के करीब लोग लखनऊ में रहते हैं। ज्यादातर लोग वोट डालने गांव आए हैं। अब लखनऊ के अस्पतालों और भैंसाकुंड (बैकुंठधाम) से जैसी खबरें आ रही हैं, उनसे डर लगता है। ऐसे में इनमें से कई लोग संक्रमित हो सकते हैं, जो गांव में कोरोना देकर जा सकते हैं।" अपने गांव अकडरिया कला के पोलिंग बूथ के सामने खड़े मनीष द्विवेदी ने कहा।    
   
मनीष का गांव उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले में गोमती नदी की तराई में बसा है। उनका एक घर लखऩऊ में भी है। उत्तर प्रदेश में 19 नवंबर को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान था। दूसरे चरण में कुल 20 जिलों में वोट पड़े जिसमें राजधानी लखनऊ, गौतमबुद्धनगर (नोएडा) और वाराणसी जैसे वो जिले भी शामिल थे, जहां कोरोना को लेकर भयावह खबरें आ रही हैं। ऐसे में मनीष जैसे ग्रामीणों को डर है कि जिस तरह से शहरों से बड़ी संख्या में लोग गांवों में वोट डालने पहुंचे हैं गांवों में संक्रमण फैल सकता है।
   
   
मनीष कहते हैं, "ये गांव का चुनाव है, पांच साल में एक बार होता है, लोग वोट डालने तो आएंगे ही। सरकार को चुनाव टाल देना चाहिए था।"
   
    
   
   
अकड़रियां कला से दुघरा और जमखनवा गांव होते हुए नजदीकी कस्बे इटौंजा को जाने वाली रोड पर गांव में करीब 400 मीटर तक मेले जैसा माहौल था। प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत पद के प्रत्याशियों के बूथ एजेंट करीबी और जानकार अलग-अलग जगहों पर गुट में जमा थे।
   
यहीं पर एक कार में अगली सीट पर बैठे मिले बुजुर्ग कौशल किशोर की तबीयत थोड़ी नासाज थी, उनके बेटे उन्हें डॉक्टर को दिखाकर आए थे। गांव कनेक्शन से बात कहते हुए वो कहते हैं, " थोड़ी कमजोरी है, लेकिन बाकी कोई दिक्कत नहीं है। अब वोट डालने इसलिए आए हैं कि गांव में एक-एक वोट अहमियत रखता है। सही प्रधान चुनेंगे तो गांव का भला होगा। प्रधान जी (प्रत्याशी जिन्हें वोट दिया) हमारे घर (लखनऊ) आए थे, बोले थे कि चाचा आशीर्वाद चाहिए, इसलिए भी आना पड़ा।"
   
मनीष के मुताबिक उनके गांव में उनकी जानकारी में सिर्फ एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हैं। अकड़रिया में पोलिंग बूथ परिसर के अंदर ज्यादातर लोगों ने मास्क लगातार रखा था, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग (2 गज) की दूरी फीट में सिमट गई थी, जबकि बूथ परिसर के बाहर मुश्किल से आधे लोग मास्क लगाए नजर आ रहे थे। ये हालात सिर्फ अकड़रिया कलां पोलिंग बूथ के नहीं थे।
   
    
   
   
इसी ग्राम पंचायत से प्रधान पद के एक प्रत्याशी राजीव कुमार ने गांव कनेक्शन से बात करते हुए कहा, " ये चुनाव पिछले चुनाव से काफी अलग है। हमने मास्क और सेनेटाइजर खुद बंटवाया है। लोगों को समझाया भी है। जो हमारे गांव के लोग शहरों में रहते थे, उनके लिए हमने गाड़ी की व्यवस्था कराई थी। काफी लोग अपने साधन से भी आए हैं, लेकिन सब नहीं आ पाए।"
   
कोरोना के संक्रमण आदि को लेकर राजीव ने कुछ नहीं कहा, लेकिन कुछ युवा आपस में बात कर रहे थे, कोरोना संक्रमण पर लेकर पूछने पर एक लड़के ने कहा, "चुनाव न होते तो अच्छा था, लेकिन अब इतना समय लगा है पैसा खर्च हुआ है लोगों का, तो कोई पीछे नहीं हटेगा, कोरोना हो या चाहे जो हो।"
   
इसी जिले की एक ग्राम पंचायत कुम्हरावां में हालात अन्य जगहों से बेहतर नजर आए। इंटर कॉलेज और एक स्कूल में बूथ बनाए गए थे। जहां पर पर्याप्त जगह पुलिस और प्रत्याशियों की सक्रियता के चलते भीड़ नजर नहीं आई। बूथ के अंदर ज्यादातर लोग मास्क लगाए हुए नजर आए। इस गांव की बड़ी आबादी लखनऊ में रहती थी, ज्यादातर लोग वोट देने भी पहुंच रहे थे, लेकिन कुछ ऐसे भी जो नहीं पहुंच पाए।
   
    
   
   
राज्य चुनाव आयोग, उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर रात 8 बजकर 40 मिनट तक की अपडेट के मुताबिक लखनऊ जिले में 72 फीसदी मतदान हुआ था। जबकि आजमगढ़ में 64.55, प्रतापगढ़ में 60 और चित्रकूट में 64.3 फीसदी मतदान हुआ था।
   
पंचायतों के सशक्तिकरण, मतदान प्रतिशत बढ़ाने और पंचायत के कामकाज में जागरुकता लाने को लेकर लंबे समय से तीसरी सरकार अभियान चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. चंद्रशेखर प्राण कहते हैं, "पंचायत चुनावों में अमूमन 70 से 80 फीसदी तक वोटिंग होती हैं, लेकिन इस बार 60 से 70 फीसदी होने की उम्मीद है। क्योंकि काफी लोग वोट नहीं डालने गए होंगे।"
   
    
   
   
कोरोना में मतदान टल जाते तो क्या असर पड़ता? इस सवाल के जवाब में यूपी में पंचायत चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी ने कहा, चुनाव वैसे भी बहुत खिंच गए थे, जितना देर होगी उतना टेंशन और उतना ही खर्च बढ़ता है, अब जैसे हैं हो जाने चाहिए।"
   
अकड़रिया कला में जब मनीष से बात हो रही थी उसी दौरान पीछे से एक युवा ने कहा- "परधानी का रिजल्ट 2 मई को आई, लेकिन उससे पहले कोरोना का रिजल्ट आ जाई।" नाम पूछने पर अपना मास्क दाढ़ी से खिसकाकर नाक पर ले जाते हुए उसने कहा, "नाम गांव में का रखा है, लेकिन लिख दो रंजीत यादव।"
   
    
   
   
 
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मनीष का गांव उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले में गोमती नदी की तराई में बसा है। उनका एक घर लखऩऊ में भी है। उत्तर प्रदेश में 19 नवंबर को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान था। दूसरे चरण में कुल 20 जिलों में वोट पड़े जिसमें राजधानी लखनऊ, गौतमबुद्धनगर (नोएडा) और वाराणसी जैसे वो जिले भी शामिल थे, जहां कोरोना को लेकर भयावह खबरें आ रही हैं। ऐसे में मनीष जैसे ग्रामीणों को डर है कि जिस तरह से शहरों से बड़ी संख्या में लोग गांवों में वोट डालने पहुंचे हैं गांवों में संक्रमण फैल सकता है।
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मनीष कहते हैं, "ये गांव का चुनाव है, पांच साल में एक बार होता है, लोग वोट डालने तो आएंगे ही। सरकार को चुनाव टाल देना चाहिए था।"
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अकड़रियां कला से दुघरा और जमखनवा गांव होते हुए नजदीकी कस्बे इटौंजा को जाने वाली रोड पर गांव में करीब 400 मीटर तक मेले जैसा माहौल था। प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत पद के प्रत्याशियों के बूथ एजेंट करीबी और जानकार अलग-अलग जगहों पर गुट में जमा थे।
यहीं पर एक कार में अगली सीट पर बैठे मिले बुजुर्ग कौशल किशोर की तबीयत थोड़ी नासाज थी, उनके बेटे उन्हें डॉक्टर को दिखाकर आए थे। गांव कनेक्शन से बात कहते हुए वो कहते हैं, " थोड़ी कमजोरी है, लेकिन बाकी कोई दिक्कत नहीं है। अब वोट डालने इसलिए आए हैं कि गांव में एक-एक वोट अहमियत रखता है। सही प्रधान चुनेंगे तो गांव का भला होगा। प्रधान जी (प्रत्याशी जिन्हें वोट दिया) हमारे घर (लखनऊ) आए थे, बोले थे कि चाचा आशीर्वाद चाहिए, इसलिए भी आना पड़ा।"
मनीष के मुताबिक उनके गांव में उनकी जानकारी में सिर्फ एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हैं। अकड़रिया में पोलिंग बूथ परिसर के अंदर ज्यादातर लोगों ने मास्क लगातार रखा था, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग (2 गज) की दूरी फीट में सिमट गई थी, जबकि बूथ परिसर के बाहर मुश्किल से आधे लोग मास्क लगाए नजर आ रहे थे। ये हालात सिर्फ अकड़रिया कलां पोलिंग बूथ के नहीं थे।
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इसी ग्राम पंचायत से प्रधान पद के एक प्रत्याशी राजीव कुमार ने गांव कनेक्शन से बात करते हुए कहा, " ये चुनाव पिछले चुनाव से काफी अलग है। हमने मास्क और सेनेटाइजर खुद बंटवाया है। लोगों को समझाया भी है। जो हमारे गांव के लोग शहरों में रहते थे, उनके लिए हमने गाड़ी की व्यवस्था कराई थी। काफी लोग अपने साधन से भी आए हैं, लेकिन सब नहीं आ पाए।"
कोरोना के संक्रमण आदि को लेकर राजीव ने कुछ नहीं कहा, लेकिन कुछ युवा आपस में बात कर रहे थे, कोरोना संक्रमण पर लेकर पूछने पर एक लड़के ने कहा, "चुनाव न होते तो अच्छा था, लेकिन अब इतना समय लगा है पैसा खर्च हुआ है लोगों का, तो कोई पीछे नहीं हटेगा, कोरोना हो या चाहे जो हो।"
इसी जिले की एक ग्राम पंचायत कुम्हरावां में हालात अन्य जगहों से बेहतर नजर आए। इंटर कॉलेज और एक स्कूल में बूथ बनाए गए थे। जहां पर पर्याप्त जगह पुलिस और प्रत्याशियों की सक्रियता के चलते भीड़ नजर नहीं आई। बूथ के अंदर ज्यादातर लोग मास्क लगाए हुए नजर आए। इस गांव की बड़ी आबादी लखनऊ में रहती थी, ज्यादातर लोग वोट देने भी पहुंच रहे थे, लेकिन कुछ ऐसे भी जो नहीं पहुंच पाए।
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राज्य चुनाव आयोग, उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर रात 8 बजकर 40 मिनट तक की अपडेट के मुताबिक लखनऊ जिले में 72 फीसदी मतदान हुआ था। जबकि आजमगढ़ में 64.55, प्रतापगढ़ में 60 और चित्रकूट में 64.3 फीसदी मतदान हुआ था।
पंचायतों के सशक्तिकरण, मतदान प्रतिशत बढ़ाने और पंचायत के कामकाज में जागरुकता लाने को लेकर लंबे समय से तीसरी सरकार अभियान चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. चंद्रशेखर प्राण कहते हैं, "पंचायत चुनावों में अमूमन 70 से 80 फीसदी तक वोटिंग होती हैं, लेकिन इस बार 60 से 70 फीसदी होने की उम्मीद है। क्योंकि काफी लोग वोट नहीं डालने गए होंगे।"
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कोरोना में मतदान टल जाते तो क्या असर पड़ता? इस सवाल के जवाब में यूपी में पंचायत चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी ने कहा, चुनाव वैसे भी बहुत खिंच गए थे, जितना देर होगी उतना टेंशन और उतना ही खर्च बढ़ता है, अब जैसे हैं हो जाने चाहिए।"
अकड़रिया कला में जब मनीष से बात हो रही थी उसी दौरान पीछे से एक युवा ने कहा- "परधानी का रिजल्ट 2 मई को आई, लेकिन उससे पहले कोरोना का रिजल्ट आ जाई।" नाम पूछने पर अपना मास्क दाढ़ी से खिसकाकर नाक पर ले जाते हुए उसने कहा, "नाम गांव में का रखा है, लेकिन लिख दो रंजीत यादव।"
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