गीतकार नीलेश मिसरा और गायक अरिजीत सिंह ने अपने नए गाने के जरिए फ्रंटलाइन वर्कर्स को कहा शुक्रिया
 Subha Rao |  Jun 07, 2021, 03:06 IST
गीतकार नीलेश मिसरा और गायक अरिजीत सिंह ने अपने नए गाने के जरिए फ्रंटलाइन वर्कर्स को कहा शुक्रिया
Highlight of the story: #JaaneinBachayenge जाने बचाएंगे... गीत पीपीई किट-वर्दी में पर्दे के पीछे रहकर मानवता की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स के सम्मान में लिखा गया है। कोरोना महामारी के वक्त में खुद की जान जोखिम में डालकर ये फ्रंट लाइन वर्कर कई रुपों में हमारी सेवा कर रहे, इनमें से बहुत लोगों की इस दौरान जान तक चली गई। इन्हीं फ्रंट लाइन वर्कर्स को इस गीत के जरिए लोकप्रिय गायक अरिजीत सिंह और गीतकार नीलेश मिसरा शुक्रिया कह रहे हैं...
    कोरोना महामारी की शुरूआत यानी मार्च 2020 से अब तक देश ने कई बुरे दौर देखें हैं। कभी हमें बेड और ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ा, तो कभी प्रवासी संकट की वजह से मजदूरों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। लेकिन इसी दौरान लोगों का एक ऐसा समूह भी है, जिनकी वजह से निराशा के बावजूद आशा की एक किरण दिखाई दे रही है।    
   
ये समूह है हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स (frontline workers) का। इनमें ज्यादातर ऐसे लोग शामिल हैं जो वर्दी पीईपी किट में पर्दे के पीछे रहकर मानवता की सेवा करते हैं। लोग इनका नाम तक नहीं जानते, लेकिन फिर भी सम्मान करते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ लोग पीठ पीछे उनकी बुराई करते हैं। फ्रंटलाइन वर्कर्स को कई बार लोगों के गुस्से का सामना भी करना पड़ता है।
   
क्या आप हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स का धन्यवाद करते हैं? असल में हमें उनका शुक्रगुजार होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आज जब हमारे आस-पास की दुनिया चरमरा रही है, तब वे लोग लगातार हमारे लिए काम कर रहे हैं। ऐसे समय में जब हमारी भावनाएं उफान पर हावी होती हैं, फ्रंटलाइन वर्कर्स हमारे गुस्से का शालीनता और समझदारी के साथ सामना करते हैं। वे फ्रंटलाइन वर्कर्स ही हैं जो एक मरते हुए मरीज का हाथ थामते हैं और अस्पताल में उनका ख़याल रखते हैं। इतना ही नहीं, वे मरीज के परिजनों को भी दिलासा देते हैं और उन्हें ढांढस बांधते हैं।
   
बड़ी और गहरी बातों को सरलता के साथ आसान शब्दों में कहने का हुनर रखने वाले गीतकार नीलेश मिसरा neelesh misra ने कोरोड़ों लोगों के प्रिय और सुप्रसिद्ध गायक अरिजीत सिंह arijit singh के साथ मिलकर फ्रंटलाइन वर्कर्स के सम्मान में एक प्रयास किया है। इस साझा प्रयास का नतीजा अरिजीत सिंह के ओरियन म्यूजिक और नीलेश मिसरा के स्लो slow द्वारा प्रस्तुत "चेहरा हमारा अब हम" के अनूठे रूप में सामने आया है।
   
यह गाना उन मेडिकल स्टाफ के लिए एक श्रद्धांजलि की तरह है, जिन्होंने पीपीई किट पहने अपने परिवार या यहां तक कि अपने चेहरे को लंबे समय से नहीं देखा है। कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने बच्चों को केवल फोन स्क्रीन पर मुस्कुराते और बढ़ते देखा है। उन्हें अपने मास्क के भीतर रोना पड़ा है, जिसे दुनिया कभी देख नहीं पाई। गाने की एक लाइन 'छिप कर के नाकाबों में, हम कितनी बार रोए' के ज़रिए उनकी इस पीड़ा को दुनिया के सामने रखने की सुंदर कोशिश की गई है।
   
   
हम डॉक्टरों doctors का शुक्रिया अदा कैसे कर सकते हैं? इसके जवाब में मिसरा सुंदर शब्दों में लिखते हैं, "मेरी भूली मुस्कुराहट, तुम यूं संभाल रखना। अपना ख़याल रख के, मेरा ख़याल रखना।" जिसका मतलब है कि आप मेरी भूली हुई मुस्कान को थामे रखना। अपना ख्याल रखना, और इस तरह मेरा भी ख्याल रखना।
   
इस गीत को सोशल मीडिया और समाचार साइटों से लिए गए वीडियो के साथ तैयार किया गया है। एक दृश्य के अनुसार एक एम्बुलेंस के बगल में एक व्यक्ति है, जो किसी से बात करते हुए बेहद दुखी है और वहीं एक अन्य व्यक्ति भी है जिसकी आँखों में आँसू नहीं हैं। ऐसे दुख और पीड़ा के समय में भी लोगों के लिए फ्रंटलाइन वर्कर मौजूद रहे।
   
लेकिन क्या उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया गया है? क्या उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मिली है? इसका जवाब है, नहीं।
   
मिसरा ने इन भावों को अपनी कलम से ऐसे उकेरा है कि वे हमारे दिलों में कई तरह के सवाल पैदा कर देते हैं। ऑक्सीजन की कमी को लेकर मिसरा लिखते हैं, "भर के सिलेंडरों में, मैं जिंदगी हूं धोता; काश ऐसा जादू आता, ये खतम ही न होता।" (मैं सिलेंडरों को जीवन से भरता हूं और उन्हें ले जाता हूं; क्या कोई चमत्कार होगा? क्या यह सिलेंडर कभी खत्म नहीं होगा?)
   
    
   
   
अरिजीत की आवाज हमें उन लोगों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा की है। इस प्रयास का मकसद है कि गीत खत्म होने के लंबे समय बाद, और महामारी समाप्त होने के लंबे समय बाद, फ्रंटलाइन वर्कर्स को कभी न भूलें। उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, ताकि दूसरे परिवारों को बचाया जा सके।
   
गीत के बोल-
   
   
चेहरा हमारा अब हम
   
कम कम ही देखते हैं
   
कमरों में बेबसी के
   
बस ग़म ही देखते हैं
   
बच्चों का अपने हँसना
   
बस फ़ोन पर है देखा
   
घायल हथेलियों पर
   
जीवन की टूटी रेखा
   
हम घर के बिस्तरों पर
   
कब से नहीं है सोए
   
छुप कर के नक़ाबों में
   
हम कितनी बार रोए
   
लो रख लो अपने तमग़े
   
इन सुर्ख़ियों को रख लो
   
हर रोज़ की इन फ़र्ज़ी
   
हमदर्दियों को रख लो
   
क्यूँ मेरा रहनुमा ये
   
सब रोकता नहीं है
   
कभी मौत के मुँह में यूँ
   
कोई झोंकता नहीं है
   
कोई रहनुमा नहीं है
   
कुछ सूझता नहीं है
   
जो ज़िंदगी बचाते, उनको
   
कोई पूछता नहीं है
   
मेरी भूली मुस्कुराहट
   
तुम यूँ सम्हाल रखना
   
अपना ख़याल रख के
   
मेरा ख़याल रखना
   
Verse 2
   
भर के सिलेंडरों में
   
मैं ज़िंदगी हूँ ढोता
   
काश ऐसा जादू आता
   
ये ख़त्म ही न होता
   
आँखों के सामने जो
   
चीखें निकालते हैं
   
वो साँस की नदी में
   
सिक्के खंगालते हैं
   
औरों के ग़मों से अब
   
है टूट रही छाती
   
आँखें है थकीं ऐसे
   
अब रो भी नहीं पाती
   
मुझे दे दो थोड़ी फ़ुर्सत
   
मुझे दे दो घर का कोना
   
मुझे दोस्तों से मिलना
   
मुझे देर तक है सोना
   
बच्चों ने जाने अपनी
   
की या न की पढ़ाई
   
वो क़ैद हैं कमरों में
   
मुझको भी ना रिहाई
   
कैसे मिलेगा रस्ता
   
कुछ बूझता नहीं है
   
कोई रहनुमा नहीं है
   
कुछ सूझता नहीं है
   
जो ज़िंदगी बचाते, उनको
   
कोई पूछता नहीं है
   
मेरी भूली मुस्कुराहट
   
तुम यूँ सम्हाल रखना
   
अपना ख़याल रख के
   
मेरा ख़याल रखना
   
कमज़ोर अब ना पड़ना
   
ना मुझको पड़ने देना
   
जो भी हो जैसे भी हो
   
मुश्किल ना बढ़ने देना
   
अंदर से टूटे हैं हम
   
फिर भी चलते जाएँगे
   
   
   
   
जानें बचाएँगे
   
जानें बचाएँगे
   
जानें बचाएँगे
   
जानें बचाएँगे
   
                            Chehra hamaara ab ham   
   
   
kam kam hi dekhte hain
   
kamron mein bebasi ke
   
bas gham hi dekhte hain
   
bacchon ka apne hasna
   
bas phone par hai dekha
   
Ghayal hatheliyon par
   
jeevan ki tooti rekha
   
ham ghar ke bistaron par
   
kab se nahin hain soye
   
chhup kar ke naqabon mein
   
ham kitni baar roye
   
                            
Lo rakh lo apne tamge
   
   
in surkhiyon ko rakh lo
   
har roz ki in farzi
   
hamdardiyon ko rakh lo
   
kyu mera rehnuma ye
   
sab rokta nahi hai
   
Kabhi maut ke munh mein yun
   
koi jhonkta nahin hai
   
   
   
   
Koi rehnuma nahin hai
   
kuch soojhta nahin hai
   
jo zindagi bachaate, unko
   
koi poochhta nahi hai
   
Meri bhooli muskurahat
   
tum yun samhaal rakhna
   
apna khayaal rakh ke
   
mera khayaal rakhna
   
   
Verse 2
   
Bhar ke cylinderon mein
   
main zindagi hun dhhota
   
kaash aisa jaadu aata
   
ye khatm hi na hota
   
Aankhon ke saamne jo
   
cheekhein nikaalte hain
   
wo saans ki nadi mein
   
sikke khangaalte hain
   
Auron ke gham se ab
   
hai toot rahi chhati
   
Aankhein hain thaki aise
   
ab ro bhi nahin paati
   
Mujhe de do thodi fursat
   
mujhe de do ghar ka kona
   
mujhe doston se milna
   
mujhe der tak hai sona
   
Bacchon ne jaane apni
   
ki ya na ki padhaai
   
wo qaid hain kamron mein
   
mujhko bhi na rihaai
   
kaise milega rasta
   
kuch boojhta nahi hai
   
koi rehnuma nahin hai
   
   
kuch soojhta nahin hai
   
jo zindagi bachaate, unko
   
koi poochhta nahi hai
   
Meri bhooli muskurahat
   
   
tum yun samhaal lena
   
apna khayal rakh ke
   
mera khayal rakhna
   
Kamzor ab na padna
   
na mujhko padne dena
   
jo bhi ho jaise bhi ho
   
mushkil na badhne dena
   
andar se toote hain ham
   
fir bhee chalte jayenge
   
Jaanein bachayenge
   
Jaanein bachayenge
   
Jaanein bachayenge
   
Jaanein bachayenge
   
                            
   
   
 
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ये समूह है हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स (frontline workers) का। इनमें ज्यादातर ऐसे लोग शामिल हैं जो वर्दी पीईपी किट में पर्दे के पीछे रहकर मानवता की सेवा करते हैं। लोग इनका नाम तक नहीं जानते, लेकिन फिर भी सम्मान करते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ लोग पीठ पीछे उनकी बुराई करते हैं। फ्रंटलाइन वर्कर्स को कई बार लोगों के गुस्से का सामना भी करना पड़ता है।
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क्या आप हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स का धन्यवाद करते हैं? असल में हमें उनका शुक्रगुजार होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आज जब हमारे आस-पास की दुनिया चरमरा रही है, तब वे लोग लगातार हमारे लिए काम कर रहे हैं। ऐसे समय में जब हमारी भावनाएं उफान पर हावी होती हैं, फ्रंटलाइन वर्कर्स हमारे गुस्से का शालीनता और समझदारी के साथ सामना करते हैं। वे फ्रंटलाइन वर्कर्स ही हैं जो एक मरते हुए मरीज का हाथ थामते हैं और अस्पताल में उनका ख़याल रखते हैं। इतना ही नहीं, वे मरीज के परिजनों को भी दिलासा देते हैं और उन्हें ढांढस बांधते हैं।
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बड़ी और गहरी बातों को सरलता के साथ आसान शब्दों में कहने का हुनर रखने वाले गीतकार नीलेश मिसरा neelesh misra ने कोरोड़ों लोगों के प्रिय और सुप्रसिद्ध गायक अरिजीत सिंह arijit singh के साथ मिलकर फ्रंटलाइन वर्कर्स के सम्मान में एक प्रयास किया है। इस साझा प्रयास का नतीजा अरिजीत सिंह के ओरियन म्यूजिक और नीलेश मिसरा के स्लो slow द्वारा प्रस्तुत "चेहरा हमारा अब हम" के अनूठे रूप में सामने आया है।
यह गाना उन मेडिकल स्टाफ के लिए एक श्रद्धांजलि की तरह है, जिन्होंने पीपीई किट पहने अपने परिवार या यहां तक कि अपने चेहरे को लंबे समय से नहीं देखा है। कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने बच्चों को केवल फोन स्क्रीन पर मुस्कुराते और बढ़ते देखा है। उन्हें अपने मास्क के भीतर रोना पड़ा है, जिसे दुनिया कभी देख नहीं पाई। गाने की एक लाइन 'छिप कर के नाकाबों में, हम कितनी बार रोए' के ज़रिए उनकी इस पीड़ा को दुनिया के सामने रखने की सुंदर कोशिश की गई है।
हम डॉक्टरों doctors का शुक्रिया अदा कैसे कर सकते हैं? इसके जवाब में मिसरा सुंदर शब्दों में लिखते हैं, "मेरी भूली मुस्कुराहट, तुम यूं संभाल रखना। अपना ख़याल रख के, मेरा ख़याल रखना।" जिसका मतलब है कि आप मेरी भूली हुई मुस्कान को थामे रखना। अपना ख्याल रखना, और इस तरह मेरा भी ख्याल रखना।
इस गीत को सोशल मीडिया और समाचार साइटों से लिए गए वीडियो के साथ तैयार किया गया है। एक दृश्य के अनुसार एक एम्बुलेंस के बगल में एक व्यक्ति है, जो किसी से बात करते हुए बेहद दुखी है और वहीं एक अन्य व्यक्ति भी है जिसकी आँखों में आँसू नहीं हैं। ऐसे दुख और पीड़ा के समय में भी लोगों के लिए फ्रंटलाइन वर्कर मौजूद रहे।
लेकिन क्या उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया गया है? क्या उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मिली है? इसका जवाब है, नहीं।
मिसरा ने इन भावों को अपनी कलम से ऐसे उकेरा है कि वे हमारे दिलों में कई तरह के सवाल पैदा कर देते हैं। ऑक्सीजन की कमी को लेकर मिसरा लिखते हैं, "भर के सिलेंडरों में, मैं जिंदगी हूं धोता; काश ऐसा जादू आता, ये खतम ही न होता।" (मैं सिलेंडरों को जीवन से भरता हूं और उन्हें ले जाता हूं; क्या कोई चमत्कार होगा? क्या यह सिलेंडर कभी खत्म नहीं होगा?)
अरिजीत की आवाज हमें उन लोगों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा की है। इस प्रयास का मकसद है कि गीत खत्म होने के लंबे समय बाद, और महामारी समाप्त होने के लंबे समय बाद, फ्रंटलाइन वर्कर्स को कभी न भूलें। उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, ताकि दूसरे परिवारों को बचाया जा सके।
गीत के बोल-
चेहरा हमारा अब हम
कम कम ही देखते हैं
कमरों में बेबसी के
बस ग़म ही देखते हैं
बच्चों का अपने हँसना
बस फ़ोन पर है देखा
घायल हथेलियों पर
जीवन की टूटी रेखा
हम घर के बिस्तरों पर
कब से नहीं है सोए
छुप कर के नक़ाबों में
हम कितनी बार रोए
लो रख लो अपने तमग़े
इन सुर्ख़ियों को रख लो
हर रोज़ की इन फ़र्ज़ी
हमदर्दियों को रख लो
क्यूँ मेरा रहनुमा ये
सब रोकता नहीं है
कभी मौत के मुँह में यूँ
कोई झोंकता नहीं है
कोई रहनुमा नहीं है
कुछ सूझता नहीं है
जो ज़िंदगी बचाते, उनको
कोई पूछता नहीं है
मेरी भूली मुस्कुराहट
तुम यूँ सम्हाल रखना
अपना ख़याल रख के
मेरा ख़याल रखना
Verse 2
भर के सिलेंडरों में
मैं ज़िंदगी हूँ ढोता
काश ऐसा जादू आता
ये ख़त्म ही न होता
आँखों के सामने जो
चीखें निकालते हैं
वो साँस की नदी में
सिक्के खंगालते हैं
औरों के ग़मों से अब
है टूट रही छाती
आँखें है थकीं ऐसे
अब रो भी नहीं पाती
मुझे दे दो थोड़ी फ़ुर्सत
मुझे दे दो घर का कोना
मुझे दोस्तों से मिलना
मुझे देर तक है सोना
बच्चों ने जाने अपनी
की या न की पढ़ाई
वो क़ैद हैं कमरों में
मुझको भी ना रिहाई
कैसे मिलेगा रस्ता
कुछ बूझता नहीं है
कोई रहनुमा नहीं है
कुछ सूझता नहीं है
जो ज़िंदगी बचाते, उनको
कोई पूछता नहीं है
मेरी भूली मुस्कुराहट
तुम यूँ सम्हाल रखना
अपना ख़याल रख के
मेरा ख़याल रखना
कमज़ोर अब ना पड़ना
ना मुझको पड़ने देना
जो भी हो जैसे भी हो
मुश्किल ना बढ़ने देना
अंदर से टूटे हैं हम
फिर भी चलते जाएँगे
जानें बचाएँगे
जानें बचाएँगे
जानें बचाएँगे
जानें बचाएँगे
Jaanein Bachayenge Song Lyrics in English
kam kam hi dekhte hain
kamron mein bebasi ke
bas gham hi dekhte hain
bacchon ka apne hasna
bas phone par hai dekha
Ghayal hatheliyon par
jeevan ki tooti rekha
ham ghar ke bistaron par
kab se nahin hain soye
chhup kar ke naqabon mein
ham kitni baar roye
Lo rakh lo apne tamge
in surkhiyon ko rakh lo
har roz ki in farzi
hamdardiyon ko rakh lo
kyu mera rehnuma ye
sab rokta nahi hai
Kabhi maut ke munh mein yun
koi jhonkta nahin hai
Koi rehnuma nahin hai
kuch soojhta nahin hai
jo zindagi bachaate, unko
koi poochhta nahi hai
Meri bhooli muskurahat
tum yun samhaal rakhna
apna khayaal rakh ke
mera khayaal rakhna
Verse 2
Bhar ke cylinderon mein
main zindagi hun dhhota
kaash aisa jaadu aata
ye khatm hi na hota
Aankhon ke saamne jo
cheekhein nikaalte hain
wo saans ki nadi mein
sikke khangaalte hain
Auron ke gham se ab
hai toot rahi chhati
Aankhein hain thaki aise
ab ro bhi nahin paati
Mujhe de do thodi fursat
mujhe de do ghar ka kona
mujhe doston se milna
mujhe der tak hai sona
Bacchon ne jaane apni
ki ya na ki padhaai
wo qaid hain kamron mein
mujhko bhi na rihaai
kaise milega rasta
kuch boojhta nahi hai
koi rehnuma nahin hai
kuch soojhta nahin hai
jo zindagi bachaate, unko
koi poochhta nahi hai
Meri bhooli muskurahat
tum yun samhaal lena
apna khayal rakh ke
mera khayal rakhna
Kamzor ab na padna
na mujhko padne dena
jo bhi ho jaise bhi ho
mushkil na badhne dena
andar se toote hain ham
fir bhee chalte jayenge
Jaanein bachayenge
Jaanein bachayenge
Jaanein bachayenge
Jaanein bachayenge