आग का मौसम: उत्तर प्रदेश में आग लगने की रोजाना लगभग 1500 घटनाएं, गेहूं की फसलों को भारी नुकसान
 Arvind Shukla |  Apr 05, 2021, 14:16 IST
आग का मौसम: उत्तर प्रदेश में आग लगने की रोजाना लगभग 1500 घटनाएं
Highlight of the story: देश के कई राज्यों से रोजाना गेहूं की फसल जलने की खबरें आ रही हैं। अकेले यूपी में ही औसतन 1500 शिकायतें रोज मिल रही हैं। आगजनी की सबसे ज्यादा घटनाएं ग्रामीण इलाकों में हो रही हैं।
    लखनऊ। उत्तर प्रदेश में खेत, गांव और घरों में आग लगने की करीब 13,00 से 17,00 घटनाओं की सूचना रोज मिल रही है। लखनऊ में बने फायर विभाग के कंट्रोल रूम के मुताबिक औसतन रोज 1500 घटनाएं प्रदेश में हो रही हैं। इन घटनाओं में सबसे ज्यादा सूचनाएं फसल में आग लगने की होती हैं। उत्तर प्रदेश में एक मार्च से 30 जून तक समय को आग का सीजन कहा जाता है।   
   
   
यूपी में उन्नाव जिले में मालमऊ गाँव के किसान रामकिशोर (43 वर्ष) के घर में होली के दूसरे दिन लोगों के मिलने-जुलने का दौर जारी था। इस दौरान सूचना मिली कि उनके खेत में भीषण आग लग गई है। गांव के लोग और दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचती राम किशोर की 2 एकड़ गेहूं की फसल जलकर राख हो चुकी थी। ग्रामीणों के मुताबिक तेज हवा चलने से खेत से निकला बिजली का तार गिर गया था, जिससे आग लग गई।
   
    
   
   
31 मार्च को बाराबंकी जिले में तहसील फतेहपुर के ऊदापुर गांव में दोपहर को बिजली का तार टूटकर खेत में गिरने से 4 एकड़ से ज्यादा गेहूं चल जल गया। बाराबंकी के ही देवां में एक मकान में लगी आग बुझाते वक्त एक महिला और उनकी बेटी झुसल गई, जिनकी इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई।
   
आग लगने की ज्यादातर घटनाएं खेतों में हो रही हैं जिसकी बड़ी वजह बिजली के तार और लोगों के द्वारा बीड़ी-सिगरेट को जालकर फेंक देना बताया जाता है। बाराबंकी जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) राज प्रकाश राय बताते हैं, "आग की ज्यादा घटनाएं तब होती हैं जब पछुआ हवा चलती है। आज (5 अप्रैल- दोपहर तक) पुरवा चल रही तो आग की कोई सूचना नहीं है। हमने बिजली विभाग को भी खत लिखा है कि वो बिजली के तारों पर ध्यान दें तो इस तरह की घटनाएं कम हो सकती हैं। इसके अलावा लोगों को जागरूक कर रहे कि बीड़ी-सिगरेट जलाकर न फेंके। जहां थ्रेसिंग (फसल कटाई) हो रही है वहां पानी रखें।"
   
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में अधिकारियों से कहा कि "गर्मी के मौसम में आग लगने की दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त सजगता बरती जाए। आग लगने की दुर्घटना होने पर प्रभावित लोगों को 24 घंटे में मुआवजा राशि वितरित की जाए।" मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखऩऊ के लोक भवन में बुलाई गए एक उच्चस्तरीय बैठक में विभिन्न विभागों के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
   
    
   
फायर विभाग के कंट्रोल रूप में मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों से किसी दिन 13,00 तो किसी दिन 17,00 घटनाओं की सूचनाएं आती हैं। औसतन 1500 घटनाएं रोज सामने आ रही हैं जिन्हें आपातकालीन नंबर 112 और दमकल मुख्यालय के माध्यम से जिलों को सूचित किया जाता है।
   
विभाग के एक अन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "फायर सीजन में हमारा पूरा महकमा अलर्ट पर रहता है। कई जगहों पर दमकल के ऑफिस नहीं बने हैं। ऐसी जगहों पर पुलिस स्टेशन पर दमकल की एक यूनिट (दमकल गाड़ी और 3 से 4 कर्मचारी) तैनात कर दिए जाते हैं ताकि वो 20-30 किलोमीटर के एरिया को आसानी से कवर कर सकें। प्रदेश काफी बड़ा और सीमित संसाधन है लेकिन हम लोग अपनी जी-जान से जुटे रहते हैं।'
   
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में 2 अप्रैल को 20 से ज्यादा जगहों पर एक दिन में आग लगी थी। जिले की 7 तहसीलों में से पांच तहसीलों में फायर स्टेशन बने हुए हैं जबकि दो जगहों पर काम जारी है। यहां इन जगहों पर दमकल की यूनिट थानों पर तैनात की गई हैं। जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) नरेद्र प्रताप सिंह गांव कनेक्शन को बताते हैं, "हमारी कोशिश रहती है कि जिले में हर जगह पर 25-30 किलोमीटर पर फायर टेंडर (दमकल गाड़ी) मिल जाए। सात में 5 तहसीलों पर फायर स्टेशन चालू है। इसके अलावा तीन जगहों (महोली, मिश्रिख और रेउसा) में थानों पर दमकल की नियुक्त की गई हैं। एक गाड़ी सीतापुर में अलग से रहती हैं। तो जहां भी जरुरत पड़ती है दमकल कर्मी पहुंच जाते हैं।'
   
आग लगने की ज्यादातर घटनाओं में बिजली के जर्जर तार, खेतों से निकली हाईटेंशन लाइन, बीड़ी-सिगरेट पीकर इधर ऊधर फेंकना, चूल्हे की आग, थ्रेसिंग के दौरान, टैक्टर की चिंगारी, शादी समारोहों में आतिशबाजी आदि वजह होती है।
   
मार्च के आखिरी हफ्ते में उन्नाव जिले के महमदूपुर गांव में आग लगने से 6 एकड़ के करीब फसल जल गई। ग्रामीणों के मुताबिक यहां पर गाँव में यूकेलिप्टस के पेड़ काट रहे मजदूरों ने खेतों के बीच में गेहूं की बाली पकाने के लिए आग जलाई थी। अचानक हवा चलने से आग खेतों में फैल गई थी।
   
उन्नाव के सीएफओ रमेश तिवारी के मुताबिक पिछले तीन वर्षों में जिले में 653 घटनाओं में लगभग 30 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। उनके मुताबिक इस साल मार्च तक ही जिले में 152 से अधिक आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें 3 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान का अनुमान है।
   
आग से हुए नुकसान की रिपोर्ट हर 15 दिन पर जिलों के जरिए फायर मुख्यालय को भेजी जाती है। गांव कनेक्शन ने पाक्षिक रिपोर्ट लेने के लिए लखनऊ में पुलिस हेडक्वाटर स्थित फायर मुख्यालय में संपर्क किया लेकिन डीजी फायर के दफ्तर में मौजूद न होने की वजह से अधिनस्थ अधिकारियों ने जानकारी को साझा करने से मना कर दिया।
   
आग से नुकसान के एवज में बीमा होने पर बीमा कंपनी अथवा आपदा राहत कोष से भुगतान किया जाता है। सीतापुर जिले के (सीएफओ) नरेद्र प्रताप सिंह बताते हैं, "आग से हुए नुकसान पर मुआवजे के संबंध में अगर बीमा हुआ तो बीमा कंपनी भुगतान करती है वर्ना आपदा राहत कोष से व्यक्ति की मौत, फसल, मकान, छप्पर, गाय, भैस बकरी जलने पर उसका मुआवजा दिया जाता है। आग की घटना के बाद राजस्व विभाग जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजता है। हम लोग भी हर 15 दिन पर लखनऊ मुख्यालय को अपनी रिपोर्ट देते हैं।'
   
   आग की घटनाओं से यूपी के साथ मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, हरियाणा और पंजाब के किसान भी परेशान हैं। मध्य प्रदेश के सतना, विदिशा, शिवपुरी और शाजापुर समेत कई जिलों से किसानों के खेतों में आग लगने की खबरें आ रही हैं। सतना में जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर मौहरी कटरा गांव में 30 मार्च को लगी आग में 30 से ज्यादा किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल जल गई। मौहरी कटना के किसान सुरेश कुशवाहा गांव कनेक्शन को बताते हैं, "मैंने बैंक से लोन लेकर डेढ़ एकड़ गेहूं बोया था। वह पूरा जल गया। मेरी तरह के गांव में 8 किसान और हैं जो कर्जदार हैं और उनकी फसल जली है। हम लोगों ने मिलकर नजदीक के अमरपाटन थाने में रिपोर्ट भी लिखवाई है।'   
   
गांव कनेक्शन ने इस बारे में मध्य प्रदेश में पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर के सतना सर्किल के अधीक्षण अभियंता केके सोनवाने ने कहा, "बिजली कंपनी में आग की किसी तरह की क्षतिपूर्ति का प्रावधान नहीं है।"
   
    
   
   
बीड़ी सिगरेट के टुकड़े को पैर से अच्छी तरह से कुचलकर फेंके
   
खेत-जंगल आदि में शौच के दौरान बीड़ी-सिगरेट न पिएं
   
हुक्का पीने के बाद चिलम की आग को पूरी तरह से बुझाकर फेकें
   
अगर आपके खेत में ट्रांसफार्मर लगा है तो उसके आसपास की फसल को पहले काट लें
   
खेत में फसल काटने के बाद जब उसका ढेर बनाएं तो बिजली के तारों से काफी दूर रखें
   
खेत और बाग के आसपास सूखे पत्तों में आग न जलाएं
   
कंबाइन से फसल कटने के बाद फसल अवशेष में आग न लगाएं
   
खलिहान और फूस के मकान रेलवे लाइन से कम से कम 100 फीट की दूरी पर हों
   
थ्रेसिंग के दौरान अपने आसपास एक दो बाल्टी पानी जरूर रखें
   
पुआल और गोबर के कंडे सूख जाने के बाद रहने की जगह से 100 फीट की दूरी पर ढेर लगाएं
   
लालटेन और ढिबरी को बुझाने के बाद ठंडा हो जाने पर ही मिट्टी का तेल डालें
   
चूल्हे की जलती हुई बची लकड़ी को बुझाकर अलग रखें। गर्म राख को पूरी तरह से ठंडा करके किसी गड्ढे में डालें
   
चूल्हे की आग को कूड़े के ढेर और गोबर के घूर पर बिल्कुल न फेंके
   
शादी समारोह या त्योहार आदि में खलिहान या किसी फसल के आसपास आतिशबाजी बिल्कुल न करें
   
इनपुट- बाराबंकी से वीरेंद्र सिंह, सीतापुर से मोहित शुक्ला, उन्नाव से सुमित यादव, शाहजहांपुर से रामजी मिश्र, सतना से सचिन तुलसा त्रिपाठी
   
उत्तर प्रदेश में फायर कंट्रोल रुप का नंबर-9454418326
   
 
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यूपी में उन्नाव जिले में मालमऊ गाँव के किसान रामकिशोर (43 वर्ष) के घर में होली के दूसरे दिन लोगों के मिलने-जुलने का दौर जारी था। इस दौरान सूचना मिली कि उनके खेत में भीषण आग लग गई है। गांव के लोग और दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचती राम किशोर की 2 एकड़ गेहूं की फसल जलकर राख हो चुकी थी। ग्रामीणों के मुताबिक तेज हवा चलने से खेत से निकला बिजली का तार गिर गया था, जिससे आग लग गई।
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31 मार्च को बाराबंकी जिले में तहसील फतेहपुर के ऊदापुर गांव में दोपहर को बिजली का तार टूटकर खेत में गिरने से 4 एकड़ से ज्यादा गेहूं चल जल गया। बाराबंकी के ही देवां में एक मकान में लगी आग बुझाते वक्त एक महिला और उनकी बेटी झुसल गई, जिनकी इलाज के दौरान लखनऊ में मौत हो गई।
आग लगने की ज्यादातर घटनाएं खेतों में हो रही हैं जिसकी बड़ी वजह बिजली के तार और लोगों के द्वारा बीड़ी-सिगरेट को जालकर फेंक देना बताया जाता है। बाराबंकी जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) राज प्रकाश राय बताते हैं, "आग की ज्यादा घटनाएं तब होती हैं जब पछुआ हवा चलती है। आज (5 अप्रैल- दोपहर तक) पुरवा चल रही तो आग की कोई सूचना नहीं है। हमने बिजली विभाग को भी खत लिखा है कि वो बिजली के तारों पर ध्यान दें तो इस तरह की घटनाएं कम हो सकती हैं। इसके अलावा लोगों को जागरूक कर रहे कि बीड़ी-सिगरेट जलाकर न फेंके। जहां थ्रेसिंग (फसल कटाई) हो रही है वहां पानी रखें।"
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में अधिकारियों से कहा कि "गर्मी के मौसम में आग लगने की दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त सजगता बरती जाए। आग लगने की दुर्घटना होने पर प्रभावित लोगों को 24 घंटे में मुआवजा राशि वितरित की जाए।" मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखऩऊ के लोक भवन में बुलाई गए एक उच्चस्तरीय बैठक में विभिन्न विभागों के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
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फायर विभाग के कंट्रोल रूप में मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों से किसी दिन 13,00 तो किसी दिन 17,00 घटनाओं की सूचनाएं आती हैं। औसतन 1500 घटनाएं रोज सामने आ रही हैं जिन्हें आपातकालीन नंबर 112 और दमकल मुख्यालय के माध्यम से जिलों को सूचित किया जाता है।
विभाग के एक अन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "फायर सीजन में हमारा पूरा महकमा अलर्ट पर रहता है। कई जगहों पर दमकल के ऑफिस नहीं बने हैं। ऐसी जगहों पर पुलिस स्टेशन पर दमकल की एक यूनिट (दमकल गाड़ी और 3 से 4 कर्मचारी) तैनात कर दिए जाते हैं ताकि वो 20-30 किलोमीटर के एरिया को आसानी से कवर कर सकें। प्रदेश काफी बड़ा और सीमित संसाधन है लेकिन हम लोग अपनी जी-जान से जुटे रहते हैं।'
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में 2 अप्रैल को 20 से ज्यादा जगहों पर एक दिन में आग लगी थी। जिले की 7 तहसीलों में से पांच तहसीलों में फायर स्टेशन बने हुए हैं जबकि दो जगहों पर काम जारी है। यहां इन जगहों पर दमकल की यूनिट थानों पर तैनात की गई हैं। जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) नरेद्र प्रताप सिंह गांव कनेक्शन को बताते हैं, "हमारी कोशिश रहती है कि जिले में हर जगह पर 25-30 किलोमीटर पर फायर टेंडर (दमकल गाड़ी) मिल जाए। सात में 5 तहसीलों पर फायर स्टेशन चालू है। इसके अलावा तीन जगहों (महोली, मिश्रिख और रेउसा) में थानों पर दमकल की नियुक्त की गई हैं। एक गाड़ी सीतापुर में अलग से रहती हैं। तो जहां भी जरुरत पड़ती है दमकल कर्मी पहुंच जाते हैं।'
आग लगने की ज्यादातर घटनाओं में बिजली के जर्जर तार, खेतों से निकली हाईटेंशन लाइन, बीड़ी-सिगरेट पीकर इधर ऊधर फेंकना, चूल्हे की आग, थ्रेसिंग के दौरान, टैक्टर की चिंगारी, शादी समारोहों में आतिशबाजी आदि वजह होती है।
मार्च के आखिरी हफ्ते में उन्नाव जिले के महमदूपुर गांव में आग लगने से 6 एकड़ के करीब फसल जल गई। ग्रामीणों के मुताबिक यहां पर गाँव में यूकेलिप्टस के पेड़ काट रहे मजदूरों ने खेतों के बीच में गेहूं की बाली पकाने के लिए आग जलाई थी। अचानक हवा चलने से आग खेतों में फैल गई थी।
उन्नाव के सीएफओ रमेश तिवारी के मुताबिक पिछले तीन वर्षों में जिले में 653 घटनाओं में लगभग 30 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। उनके मुताबिक इस साल मार्च तक ही जिले में 152 से अधिक आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें 3 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान का अनुमान है।
आग से हुए नुकसान की रिपोर्ट हर 15 दिन पर जिलों के जरिए फायर मुख्यालय को भेजी जाती है। गांव कनेक्शन ने पाक्षिक रिपोर्ट लेने के लिए लखनऊ में पुलिस हेडक्वाटर स्थित फायर मुख्यालय में संपर्क किया लेकिन डीजी फायर के दफ्तर में मौजूद न होने की वजह से अधिनस्थ अधिकारियों ने जानकारी को साझा करने से मना कर दिया।
आग से नुकसान के एवज में बीमा होने पर बीमा कंपनी अथवा आपदा राहत कोष से भुगतान किया जाता है। सीतापुर जिले के (सीएफओ) नरेद्र प्रताप सिंह बताते हैं, "आग से हुए नुकसान पर मुआवजे के संबंध में अगर बीमा हुआ तो बीमा कंपनी भुगतान करती है वर्ना आपदा राहत कोष से व्यक्ति की मौत, फसल, मकान, छप्पर, गाय, भैस बकरी जलने पर उसका मुआवजा दिया जाता है। आग की घटना के बाद राजस्व विभाग जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजता है। हम लोग भी हर 15 दिन पर लखनऊ मुख्यालय को अपनी रिपोर्ट देते हैं।'
आग से मध्य प्रदेश के किसान भी परेशान
गांव कनेक्शन ने इस बारे में मध्य प्रदेश में पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर के सतना सर्किल के अधीक्षण अभियंता केके सोनवाने ने कहा, "बिजली कंपनी में आग की किसी तरह की क्षतिपूर्ति का प्रावधान नहीं है।"
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खेत और बाग के आसपास सूखे पत्तों में आग न जलाएं
कंबाइन से फसल कटने के बाद फसल अवशेष में आग न लगाएं
खलिहान और फूस के मकान रेलवे लाइन से कम से कम 100 फीट की दूरी पर हों
थ्रेसिंग के दौरान अपने आसपास एक दो बाल्टी पानी जरूर रखें
पुआल और गोबर के कंडे सूख जाने के बाद रहने की जगह से 100 फीट की दूरी पर ढेर लगाएं
लालटेन और ढिबरी को बुझाने के बाद ठंडा हो जाने पर ही मिट्टी का तेल डालें
चूल्हे की जलती हुई बची लकड़ी को बुझाकर अलग रखें। गर्म राख को पूरी तरह से ठंडा करके किसी गड्ढे में डालें
चूल्हे की आग को कूड़े के ढेर और गोबर के घूर पर बिल्कुल न फेंके
शादी समारोह या त्योहार आदि में खलिहान या किसी फसल के आसपास आतिशबाजी बिल्कुल न करें
इनपुट- बाराबंकी से वीरेंद्र सिंह, सीतापुर से मोहित शुक्ला, उन्नाव से सुमित यादव, शाहजहांपुर से रामजी मिश्र, सतना से सचिन तुलसा त्रिपाठी
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