अल्फा वैरिएंट से 40-60 प्रतिशत अधिक संक्रामक है डेल्टा वैरिएंट: डॉ. एन के अरोड़ा

गाँव कनेक्शन | Jul 19, 2021, 10:59 IST
अल्फा वैरिएंट से 40-60 प्रतिशत अधिक संक्रामक है डेल्टा वैरिएंट: डॉ. एन के अरोड़ा

Highlight of the story: स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बनाई गई इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) के सह-अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा के अनुसार, ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके लगने और कोविड उपयुक्त व्यवहार के कड़े अनुपालन से महामारी की भावी लहरों को नियंत्रित और टाला जा सकता है।

कोरोना वायरस की तीसरी लहर के अंदेशे एक बार फिर लोगों में डर बढ़ रहा है, ऐसे में नेशनल कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. एनके अरोड़ा बताया है कि कोरोना का डेल्टा वेरिएंट बी.1.617.2 (B1.617.2)अल्फा वेरिएंट की तुलना में ज्यादा खतरनाक है। डेल्टा वेरिेएंट से अल्फा के मुकाबले 40 से 60 फीसदी ज्यादा संक्रमण फैलने का खतरा है।
Ad 1



वहीं वैक्सीन को लेकर आईसीएमआर द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार पता चला है कि वर्तमान में दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं।
Ad 2


डॉ. एनके अरोड़ा ने वैरिएंट की जांच और उसके व्यवहार के हवाले से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के बारे में चर्चा की। यह जांच यह जानने के लिये की जाती है कि डेल्टा वैरियंट इतना संक्रामक क्यों है। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह जेनोमिक निगरानी के जरिये इसे फैलने से रोका गया। उन्होंने फिर जोर देकर कहा कि कोविड उपयुक्त व्यवहार बहुत अहमियत रखता है।
Ad 3
Ad 4


डॉ अरोड़ा के अनुसार, कोविड-19 के बी.1.617.2 को डेल्टा वैरिएंट कहा जाता है। पहली बार इसकी शिनाख्त भारत में अक्टूबर 2020 में की गई थी। हमारे देश में दूसरी लहर के लिये यही प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। आज नये कोविड-19 के 80 प्रतिशत मामले इसी वैरियंट की देन हैं। यह महाराष्ट्र में उभरा और वहां से घूमता-घामता पश्चिमी राज्यों से होता हुआ उत्तर की ओर बढ़ा। फिर देश के मध्य भाग में और पूर्वोत्तर राज्यों में फैल गया।

354467-delta-variant-is-around-40-60-percent-more-transmissible-than-alpha-variant-dr-nk-arora-insac

यह म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन से बना है, जो उसे एसीई2 रिसेप्टर से चिपकने में मदद करता है। एसीआई2 रिसेप्टर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद होता है, जिनसे यह मजबूत से चिपक जाता है। इसके कारण यह ज्यादा संक्रामक हो जाता है और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में सफल हो जाता है। यह अपने पूर्ववर्ती अल्फा वैरियंट से 40-60 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है और अब तक यूके, अमेरिका, सिंगापुर आदि 80 से ज्यादा देशों में फैल चुका है।


क्या ज्यादा खतरनाक है वैरियंट

ऐसे अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि इस वैरियंट में ऐसे कुछ म्यूटेशन हैं, जो संक्रमित कोशिका को अन्य कोशिकाओं से मिलाकर रुग्ण कोशिकाओं की तादाद बढ़ाते जाते हैं। इसके अलावा जब ये मानव कोशिका में घुसपैठ करते हैं, तो बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं। इसका सबसे घातक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। बहरहाल, यह कहना मुश्किल है कि डेल्टा वैरियंट से पैदा होने वाली बीमारी ज्यादा घातक होती है। भारत में दूसरी लहर के दौरान होने वाली मौतें और किस आयुवर्ग में ज्यादा मौतें हुईं, ये सब पहली लहर से मिलता-जुलता ही है।

Also Read: कोरोना की सक्षम वैक्सीन और दवाओं के विकास में मददगार हो सकता है नया शोध डेल्टा प्लस वैरियंट – एवाई.1 और एवाई.2 – अब तक 11 राज्यों में 55-60 मामलों में देखा गया है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश शामिल हैं। एवाई.1 नेपाल, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, जापान जैसे देशों में भी मिला है। इसके बरक्स एवाई.2 कम मिलता है। वैरियंट की संक्रामकता, घातकता और वैक्सीन को चकमा देने की क्षमता आदि का अध्ययन चल रहा है।


डेल्टा वैरियंट में कारगर है वैक्सीन

इस मुद्दे पर आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार मौजूदा वैक्सीनें डेल्टा वैरियंट के खिलाफ कारगर हैं।

क्या रोकी जा सकती है आने वाली लहर

वायरस ने आबादी के उस हिस्से को संक्रमित करना शुरू किया है, जो हिस्सा सबसे जोखिम वाला है। संक्रमित के संपर्क में आने वालों को भी वह पकड़ता है। आबादी के एक बड़े हिस्से को संक्रमित करने के बाद वह कम होने लगता है और जब संक्रमण के बाद पैदा होने वाली रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है, तो वह फिर वार करता है। अगर नये और ज्यादा संक्रमण वाले वैरियंट पैदा हुये, तो मामले बढ़ सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें, तो अगली लहर उस वायरस वैरियंट की वजह से आयेगी, जिसके सामने आबादी का अच्छा-खासा हिस्सा ज्यादा कमजोर साबित होगा।

दूसरी लहर अभी चल रही है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके लगें, लोग कड़ाई से कोविड उपयुक्त व्यवहार करें और जब तक हमारी आबादी के एक बड़े हिस्से को टीके न लग जायें, हम सावधान रहें, तो भावी लहर को नियंत्रित किया जा सकता है और उसे टाला जा सकता है। लोगों को कोविड-19 के खिलाफ टीके और कोविड उपयुक्त व्यवहार पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

Tags:
  • Delta variant
  • Alpha Variant
  • Variant
  • covid 19
  • story