सांप काटने पर मुआवजे को लेकर नियम बदले, यूपी में पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर ही 7 दिन में मिलेगा 4 लाख मुआवजा
 Arvind Shukla |  Jul 12, 2021, 08:41 IST | 
 सांप काटने पर मुआवजे को लेकर नियम बदले
सर्पदंश से मृत्यु मामले में मुआवजा के लिए यूपी सरकार ने अपने नियमों में छूट दी है। अब पोस्टमार्टम और पंचनामा के आधार पर 7 दिनों के अंदर 4 लाख मुआवजा मिलेगा।
    लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। सांप काटने से होने वाली मृत्यु के मामले में ज्यादातर लोगों को सरकार की तरफ से मुआवजा नहीं मिलता है। जबकि सरकार ने 4 लाख रुपए मुआवजे का प्रावधान किया है। पीड़ित परिवारों को राहत मिल सके, इसके लिए सरकार ने नियमों में छूट दी है। अब बिसरा रिपोर्ट की जरुरत नहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही मुआवजा मिलेगा।   
   
   
उत्तर प्रदेश सरकार ने नियमों में संशोधन करते हुए कहा है कि विसरा रिपोर्ट प्रिजर्व (सुरक्षित) करने की अब जरूरत नहीं है। मुआवजे के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पंचायतनामा ही मान्य होगा।
   
उत्तर प्रदेश सरकार में अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को 8 जुलाई 2021 को भेजे गए खत में कहा है, स्टेट मेडिको लीगल सेल के परामर्श के अनुसार सर्पदंश से मृत्यु की दशा में बिसरा रिपोर्ट की कोई प्रासंगिकता नहीं है।
   
उत्तर प्रदेश सरकार ने अगस्त 2018 में सर्पदंश मृत्यु को राज्य आपदा में शामिल किया था, जिसके तहत मृत्यु की दशा में परिजनों को 4 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान था। लेकिन उस वक्त बिसरा रिपोर्ट अनिवार्य थी, जिसके चलते ज्यादातर लोगों को लाभ नहीं मिल पाता था।
   
     
         
अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आदेश में कहा कि, "शासन के संज्ञान में आया है। सर्पदंश से मौत को प्रमाणित करने के लिए मृतक का विसरा जांच के लिए फॉरेंसिंक लैब भेजा जाता है और रिपोर्ट की प्रतीक्षा में आश्रितों को आर्थिक मदद नहीं मिल पाती है। दूसरी ओर फॉरेंसिक स्टेट लीगल सेल के तहत सर्पदंश के मामलों में विसरा रिपोर्ट को प्रिजर्व करने का कोई औचित्य नहीं है। साथ ही विसरा जांच रिपोर्ट से सर्पदंश से मृत्यु होने की पुष्टि भी नहीं होती है। ऐसे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर 7 दिन के अंदर मुआवजा दिया जाए।"
   
   
     
         
भारत में हर साल औसतन 8500 से ज्यादा मौतें
   
   
दुनियाभर में पाए जाने वाले ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते हैं बावजूद इसके लाखों लोगों की मौत हर वर्ष सांप के जहर से होती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) एक्सीडेंटल डेथ एंड सुसाइड इन इंडिया 2018 के मुताबिक देशभर में सांप काटने से 8962 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 5574 पुरुष और 3388 महिलाएं शामिल थीं। देशभर में हुई मौतों में से 359 मौतें उत्तर प्रदेश में हुई थीं।
   
   सर्पदंश का वैश्विक बोझ: विष के क्षेत्रीय अनुमानों पर आधारित एक साहित्य विश्लेषण और मॉडलिंग The Global Burden of Snakebite: A Literature Analysis and Modelling Based on Regional Estimates of Envenoming नाम की रिपोर्ट के मुताबिक सर्पदंश के सबसे ज्यादा केस भारत में होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष करीब 81000 को सांप कांटने की घटनाएं दर्ज होती हैं। जिसके बाद श्रीलंका है जहां 33000 लोगों में सर्पदंश के मामले आते हैं।   
   
             वन्य जीवों पर काम करने वाले संगठन 'कछुआ अस्तित्व गठबंधन' के लखनऊ दफ्तर में वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र सिंह के मुताबिक ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते हैं बावजूद इसके औसतन करीब 10 हजार लोगों की मृत्यु सर्प दंश से होती है,जिसनें से बहुत सारे केस रजिस्टर्ड नहीं होते हैं। मृत्यु के मामले में मुआवजे की पहल सार्थक है।   
   
डॉ शैलेंद्र सिंह गांव कनेक्शन से कहते हैं, "उत्तर प्रदेश के लखीमपुर, पीलीभीत जैसे तराई इलाके और आगरा-इटावा जैसे शुष्क इलाकों में सांप दंश के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। जबकि गंगा के मैदानी इलाके में ये घटनाएं सबसे कम होती हैं। आंकड़ों की बात करें तो तराई और अर्धशुष्क मैदानी इलाकों में साल में औसतन 300-350 केस आते हैं, जिसमें 50 लोगों के करीब मृत्यु होती है।"
   
वो आगे बताते हैं, " मोटे तौर पर 4 सांप (BIG 4) हैं जिनके कांटने से ज्यादतर मौत होती हैं, इनमें कोबरा करैत और 2 वाइप शामिल हैं। बाकी सांप पानी और खेतों के सांप (रैट स्नैक) होते हैं,वो जहरीले नहीं होते हैं।"
   
डॉ शैलेंद्र के मुताबिक सर्पदंश की ज्यादातर घटनाएं मानसून के दौरान (जून से सितंबर तक) अमूमन होती हैं क्योंकि सांप कोल्ड ब्लड वाले जंतु हैं। ज्यादा गर्मी लगने पर ये ये बाहर निकलते हैं और बारिश में बिलों में पानी भरने पर भी ये सूखी जगहों की तरफ आते हैं।
   
वो कहते हैं, "बहुत लोगों की मृत्यु जागरुकता के अभाव, सही समय पर एंटी वैनम इंजेक्शन का न मिलना और स्थानीय स्तर पर झाड़फूंक के चक्कर में फंसने से होती है। सरकार की मुआवजे वाली पहल अच्छी है, लेकिन जरुरी है जागरुकता बढ़ाई जाए। सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की उपलब्धता बढ़ाई जाए। डॉक्टरों को भी और प्रशिक्षित करने की जरुरत है।"
   
डॉ. शैलेंद्र सर्पदंश से अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने के लिए वेनम के वर्गीकरण पर जोर देते हैं। "यूपी में ज्यादातर इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर एंटी वेनम बाहर हैं। लेकिन अगर स्थानीय सांप के जहर से ही वेनम बनाया जाए तो उसका असर जल्द होगा। इसलिए हम लोग चाहते हैं कि स्थानीय सांपों से ही एंटी स्नेक वेनम बनाएं जाएं।" वो कहते हैं।
   
सांपों के साथ काम करने वाले कार्यकर्ता सांपों को प्रकृति का हिस्सा मानते हुए उन्हें मारने का विरोध करते हैं। पिछले दिनों गांव कनेक्शन से बात करते हुए छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मंजीत कौर बल ने विस्तार से बताया था कि कैसे मनुष्य सांपों से डरना छोड़ सकता है।
   
   
उन्होंने कहा, "हमें सांप के साथ रहना सीखना होगा, सांप से वही डरता है जो अज्ञान है, जिस दिन आप सांप के बारे में तथ्यात्मक और साइंटिफिक (वैज्ञानिक दृष्टिकोण) बातें समझ जाएंगे। आप आप से डरना छोड़ देंगे। पिछले 18 वर्षों में डॉ. बल ने 300 से ज़्यादा साँप को बचाया हैं और 20 लोगों की टीम के सहयोग से विभिन्न माध्यम से लाखों लोगों को जागरूक भी किया हैं। इसी कड़ी में सांप से डर, काटने पर उपचार, सांप से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में डॉ मंजीत कौर बल बता रहीं हैं।"
   
संबंधित खबर- सांप को भगाने से पहले अपने मन की भ्रांतियों को भगाना होगा
   
          डॉ मंजीत कौर बल के मुताबिक सांप को देखकर घबराने की बिल्कुल भी जरुरत नहीं है। सबसे पहले आपको शांति से यह समझना होगा की यह जहरीला हैं या नहीं। आपको यह जानकर हैरत होगी की 80% प्रतिशत सांप जहरीले नहीं होते इसलिए डरने का कोई विषय नहीं हैं। जो लोग साँप को मारते हैं असल में उन्हे सांप से नहीं अपने मन की भ्रांतियों के कारण डर लगता है। एक महत्वपूर्ण बात यह भी हैं की आप अपना घर या आंगन साफ़ रखिये क्योंकि जहां भी आप कचरा या गंदगी करेंगे वहां सांप आने की सम्भावना ज़्यादा होती है। सांप के आने की वजह उसका भोजन चूहे या छिपकली होते हैं। सांप को कोई मतलब नहीं हैं की उस जगह में इंसान रहते हैं या नहीं। वे सिर्फ अपने शिकार के लिए आते हैं और चुप चाप चले जाते हैं। इसलिए जब भी आप घर या खेत में आप देखे बिलकुल भी घबराएं नहीं।   
   
   सांप से जुड़ी बहुत सारी भ्रांतियां हैं जिसकी वजह से इंसान सांप से डरता है।   
   
1.सांप को दिन में देख लिया तो रात को बुरे सपने आएंगे या आपके जीवन में कुछ बुरा होने वाला है। आपको सपने सिर्फ डर की वजह से आते हैं, जिसका साँप से कोई लेना देना नहीं है।
   
2.अगर आपने नाग को मार दिया तो नागिन बदला लेने आएगी जबकि सच यह हैं की नाग-नागिन बदलते रहते हैं और सांप की मेमोरी भी बहुत कम होती है। डॉक्टर कौर के मुताबिक इच्छाधारी नाग और नागिन का होना, मणि धारी नाग का होना, नागिन का बदला लेना यह सब भ्रामक है।
   
3.सांप अपनी आखों में तस्वीर नहीं ले सकता क्योंकि सांप के देखने की सीमा बहुत कम होती है। सांप दूध नहीं पीते। सांप मैमल नहीं हैं। आपने कई बार सांप को दूध पीते देखा होगा वो इसलिए क्योंकि सपेरे सांप को लम्बे समय से पानी नहीं देते और जब उनके सामने दूध रखा जाता हैं तो वे उसे तरल पदार्थ समझकर पी जाते हैं। दूध पीने से सांप के फेफड़ो में तकलीफ होते हैं और निमोनिया की वजह से कई बार उस सांप की मृत्यु भी हो जाती है।
   
4.सांप काटने के लिए कभी नहीं दौड़ता। सांप इंसान से डरता हैं इसलिए सांप उलटी दिशा में दौड़ता है।
   
    
उत्तर प्रदेश सरकार ने नियमों में संशोधन करते हुए कहा है कि विसरा रिपोर्ट प्रिजर्व (सुरक्षित) करने की अब जरूरत नहीं है। मुआवजे के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पंचायतनामा ही मान्य होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार में अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को 8 जुलाई 2021 को भेजे गए खत में कहा है, स्टेट मेडिको लीगल सेल के परामर्श के अनुसार सर्पदंश से मृत्यु की दशा में बिसरा रिपोर्ट की कोई प्रासंगिकता नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अगस्त 2018 में सर्पदंश मृत्यु को राज्य आपदा में शामिल किया था, जिसके तहत मृत्यु की दशा में परिजनों को 4 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान था। लेकिन उस वक्त बिसरा रिपोर्ट अनिवार्य थी, जिसके चलते ज्यादातर लोगों को लाभ नहीं मिल पाता था।
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अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आदेश में कहा कि, "शासन के संज्ञान में आया है। सर्पदंश से मौत को प्रमाणित करने के लिए मृतक का विसरा जांच के लिए फॉरेंसिंक लैब भेजा जाता है और रिपोर्ट की प्रतीक्षा में आश्रितों को आर्थिक मदद नहीं मिल पाती है। दूसरी ओर फॉरेंसिक स्टेट लीगल सेल के तहत सर्पदंश के मामलों में विसरा रिपोर्ट को प्रिजर्व करने का कोई औचित्य नहीं है। साथ ही विसरा जांच रिपोर्ट से सर्पदंश से मृत्यु होने की पुष्टि भी नहीं होती है। ऐसे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर 7 दिन के अंदर मुआवजा दिया जाए।"
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भारत में हर साल औसतन 8500 से ज्यादा मौतें
दुनियाभर में पाए जाने वाले ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते हैं बावजूद इसके लाखों लोगों की मौत हर वर्ष सांप के जहर से होती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) एक्सीडेंटल डेथ एंड सुसाइड इन इंडिया 2018 के मुताबिक देशभर में सांप काटने से 8962 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें 5574 पुरुष और 3388 महिलाएं शामिल थीं। देशभर में हुई मौतों में से 359 मौतें उत्तर प्रदेश में हुई थीं।
दुनिया में सबसे ज्यादा सर्पदंश के केस भारत में
इन 4 सांपों के कांटने से जाता हैं सबसे ज्यादा जान, सभी सांप नहीं होते जहरीले
डॉ शैलेंद्र सिंह गांव कनेक्शन से कहते हैं, "उत्तर प्रदेश के लखीमपुर, पीलीभीत जैसे तराई इलाके और आगरा-इटावा जैसे शुष्क इलाकों में सांप दंश के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। जबकि गंगा के मैदानी इलाके में ये घटनाएं सबसे कम होती हैं। आंकड़ों की बात करें तो तराई और अर्धशुष्क मैदानी इलाकों में साल में औसतन 300-350 केस आते हैं, जिसमें 50 लोगों के करीब मृत्यु होती है।"
वो आगे बताते हैं, " मोटे तौर पर 4 सांप (BIG 4) हैं जिनके कांटने से ज्यादतर मौत होती हैं, इनमें कोबरा करैत और 2 वाइप शामिल हैं। बाकी सांप पानी और खेतों के सांप (रैट स्नैक) होते हैं,वो जहरीले नहीं होते हैं।"
डॉ शैलेंद्र के मुताबिक सर्पदंश की ज्यादातर घटनाएं मानसून के दौरान (जून से सितंबर तक) अमूमन होती हैं क्योंकि सांप कोल्ड ब्लड वाले जंतु हैं। ज्यादा गर्मी लगने पर ये ये बाहर निकलते हैं और बारिश में बिलों में पानी भरने पर भी ये सूखी जगहों की तरफ आते हैं।
वो कहते हैं, "बहुत लोगों की मृत्यु जागरुकता के अभाव, सही समय पर एंटी वैनम इंजेक्शन का न मिलना और स्थानीय स्तर पर झाड़फूंक के चक्कर में फंसने से होती है। सरकार की मुआवजे वाली पहल अच्छी है, लेकिन जरुरी है जागरुकता बढ़ाई जाए। सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन की उपलब्धता बढ़ाई जाए। डॉक्टरों को भी और प्रशिक्षित करने की जरुरत है।"
डॉ. शैलेंद्र सर्पदंश से अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने के लिए वेनम के वर्गीकरण पर जोर देते हैं। "यूपी में ज्यादातर इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर एंटी वेनम बाहर हैं। लेकिन अगर स्थानीय सांप के जहर से ही वेनम बनाया जाए तो उसका असर जल्द होगा। इसलिए हम लोग चाहते हैं कि स्थानीय सांपों से ही एंटी स्नेक वेनम बनाएं जाएं।" वो कहते हैं।
सांपों के साथ काम करने वाले कार्यकर्ता सांपों को प्रकृति का हिस्सा मानते हुए उन्हें मारने का विरोध करते हैं। पिछले दिनों गांव कनेक्शन से बात करते हुए छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता डॉ मंजीत कौर बल ने विस्तार से बताया था कि कैसे मनुष्य सांपों से डरना छोड़ सकता है।
उन्होंने कहा, "हमें सांप के साथ रहना सीखना होगा, सांप से वही डरता है जो अज्ञान है, जिस दिन आप सांप के बारे में तथ्यात्मक और साइंटिफिक (वैज्ञानिक दृष्टिकोण) बातें समझ जाएंगे। आप आप से डरना छोड़ देंगे। पिछले 18 वर्षों में डॉ. बल ने 300 से ज़्यादा साँप को बचाया हैं और 20 लोगों की टीम के सहयोग से विभिन्न माध्यम से लाखों लोगों को जागरूक भी किया हैं। इसी कड़ी में सांप से डर, काटने पर उपचार, सांप से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में डॉ मंजीत कौर बल बता रहीं हैं।"
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सांप को देखते ही क्या करना चाहिए?, क्या मारना ही एक मात्र विकल्प है?
सांप से जुड़े मिथक और सच्चाई
1.सांप को दिन में देख लिया तो रात को बुरे सपने आएंगे या आपके जीवन में कुछ बुरा होने वाला है। आपको सपने सिर्फ डर की वजह से आते हैं, जिसका साँप से कोई लेना देना नहीं है।
2.अगर आपने नाग को मार दिया तो नागिन बदला लेने आएगी जबकि सच यह हैं की नाग-नागिन बदलते रहते हैं और सांप की मेमोरी भी बहुत कम होती है। डॉक्टर कौर के मुताबिक इच्छाधारी नाग और नागिन का होना, मणि धारी नाग का होना, नागिन का बदला लेना यह सब भ्रामक है।
3.सांप अपनी आखों में तस्वीर नहीं ले सकता क्योंकि सांप के देखने की सीमा बहुत कम होती है। सांप दूध नहीं पीते। सांप मैमल नहीं हैं। आपने कई बार सांप को दूध पीते देखा होगा वो इसलिए क्योंकि सपेरे सांप को लम्बे समय से पानी नहीं देते और जब उनके सामने दूध रखा जाता हैं तो वे उसे तरल पदार्थ समझकर पी जाते हैं। दूध पीने से सांप के फेफड़ो में तकलीफ होते हैं और निमोनिया की वजह से कई बार उस सांप की मृत्यु भी हो जाती है।
4.सांप काटने के लिए कभी नहीं दौड़ता। सांप इंसान से डरता हैं इसलिए सांप उलटी दिशा में दौड़ता है।