वोटिंग का अधिकार, पर जिंदगी जहन्नुम
मनीष मिश्रा | Feb 20, 2017, 13:20 IST
वोटिंग का अधिकार
Highlight of the story:
लखनऊ। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जब एक सूबा लोकतंत्र का पर्व मना रहा था। उम्मीदवार वादे कर रहे हैं और समर्थक जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। तब उस शोर में एक दबी सी आवाज़ उस गाँव से भी थी जहां औरत होना तकरीबन गुनाह है। ये वो गाँव है जहां लड़कियों को देह व्यापार में जबरन ढकेला जाता है और ढकेलने वाला कोई और नहीं उनके अपने मां-बाप होते हैं।
21वीं सदी के ट्वीटर और फेसबुक वाले नए भारत के लिए ये शायद यकीन करना मुश्किल हो लेकिन लखनऊ से 55 किमी दूर हरदोई जिले के नटपुरवा गाँव की हकीकत यही है।
इस लड़ाई के खिलाफ आवाज़ उठाई चंद्र लेखा ने, उन्होंने लड़कियों को जागरूक किया और इस प्रथा का पुरज़ोर विरोध किया। चंद्र लेखा बताती है कि इस प्रथा का असर गाँव के लड़कों पर भी पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने बहनों के लिए ग्राहक लाने का काम सौंप दिया जाता है। जो कहते हैं कि देश बदल रहा है उन्हें इस हरदोई के नटपुरवा गाँव आकर देखना चाहिए ताकि इस बात का ठीक-ठीक अंदाज़ा लगाया जा सके कि बदलने के असली मायने क्या हैं, और क्या क्या अभी बदलना बाकी है।
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इस लड़ाई के खिलाफ आवाज़ उठाई चंद्र लेखा ने, उन्होंने लड़कियों को जागरूक किया और इस प्रथा का पुरज़ोर विरोध किया। चंद्र लेखा बताती है कि इस प्रथा का असर गाँव के लड़कों पर भी पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने बहनों के लिए ग्राहक लाने का काम सौंप दिया जाता है। जो कहते हैं कि देश बदल रहा है उन्हें इस हरदोई के नटपुरवा गाँव आकर देखना चाहिए ताकि इस बात का ठीक-ठीक अंदाज़ा लगाया जा सके कि बदलने के असली मायने क्या हैं, और क्या क्या अभी बदलना बाकी है।
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