धरती का तापमान पिछले 2,000 साल में सबसे अधिक
गाँव कनेक्शन | Jul 25, 2019, 13:56 IST
धरती का तापमान पिछले 2
Highlight of the story: जलवायु वैज्ञानिक के मुताबिक पूरे विश्व में एक ही वक्त में घट रहे जलवायु संबंधी चरणों की परिकल्पना अब उस प्रभाव के चलते सामने आई है जिसे यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के जलवायु के इतिहास के जरिए समझा जा सकता है
जिनेवा। वैश्विक तापमान 20वीं सदी में कम से कम पिछले 2,000 साल में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है जिससे इस ताप का असर एक ही वक्त में पूरे ग्रह को प्रभावित कर रहा है। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। ऐसा माना जाता था कि लिटिल आइस एज(1300 से 1850 एडी तक की अवधि) और इसी तरह लोकप्रिय मेडिवल वार्म पीरियड वैश्विक घटनाएं हैं।
ये भी पढ़ें: जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में दिखी तलानोवा की संस्कृति की झलक
प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट
हालांकि स्विटजरलैंड के बर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ता इन कथित वैश्विक जलवायु बदलावों की एक अलग ही तस्वीर सामने रखते हैं। उनका शोध दिखाता है कि पिछले 2,000 साल में पूरे विश्व में एक जैसी गर्म या सर्द अवधि रही हो, इस बात के कोई साक्ष्य नहीं मिलते। बर्न विश्वविद्यालय के राफेल न्यूकोम ने कहा यह सच है कि लिटिल आइस एज के दौरान पूरे विश्व में आम तौर पर ठंड रहती थी लेकिन एक ही वक्त में हर जगह नहीं।
ये भी पढ़ें: उत्तर भारत में दम घोंटने वाले हाल और एक्शन प्लान के नाम पर सरकार का झुनझुना
उन्होंने कहा कि औद्योगिकीकरण से पहले गर्म एवं ठंड की अवधि अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय में रही। जलवायु वैज्ञानिक के मुताबिक पूरे विश्व में एक ही वक्त में घट रहे जलवायु संबंधी चरणों की परिकल्पना अब उस प्रभाव के चलते सामने आई है जिसे यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के जलवायु के इतिहास के जरिए समझा जा सकता है। यह शोध नेचर एवं नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
इनपुट-भाषा
ये भी पढ़ें: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में अमीर देशों की गरीबों के खिलाफ चाल: बांटो और राज करो
Ad 1
ये भी पढ़ें: जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में दिखी तलानोवा की संस्कृति की झलक
RDESController-2186
हालांकि स्विटजरलैंड के बर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ता इन कथित वैश्विक जलवायु बदलावों की एक अलग ही तस्वीर सामने रखते हैं। उनका शोध दिखाता है कि पिछले 2,000 साल में पूरे विश्व में एक जैसी गर्म या सर्द अवधि रही हो, इस बात के कोई साक्ष्य नहीं मिलते। बर्न विश्वविद्यालय के राफेल न्यूकोम ने कहा यह सच है कि लिटिल आइस एज के दौरान पूरे विश्व में आम तौर पर ठंड रहती थी लेकिन एक ही वक्त में हर जगह नहीं।
Ad 2
Ad 3
ये भी पढ़ें: उत्तर भारत में दम घोंटने वाले हाल और एक्शन प्लान के नाम पर सरकार का झुनझुना
उन्होंने कहा कि औद्योगिकीकरण से पहले गर्म एवं ठंड की अवधि अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय में रही। जलवायु वैज्ञानिक के मुताबिक पूरे विश्व में एक ही वक्त में घट रहे जलवायु संबंधी चरणों की परिकल्पना अब उस प्रभाव के चलते सामने आई है जिसे यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के जलवायु के इतिहास के जरिए समझा जा सकता है। यह शोध नेचर एवं नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
Ad 4
इनपुट-भाषा
ये भी पढ़ें: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में अमीर देशों की गरीबों के खिलाफ चाल: बांटो और राज करो