शरीर में बढ़ती चर्बी से परेशान हैं या कंधों को मज़बूत करना है तो ये आसन आपके काम का है
 Rekha Khanna |  Oct 30, 2023, 10:47 IST | 
 शरीर में बढ़ती चर्बी से परेशान हैं या कंधों को मज़बूत करना है तो ये आसन आपके काम का है
शरीर के अंगों और मांसपेशियों की क्षमता को बढ़ाने और उन्हें स्वस्थ बनाए रखने के लिए आप भी हर रोज़ वीरभद्रासन कर सकते हैं; ये पैरों कंधों, गर्दन, पेट, कमर और टखनों को मज़बूत बनाए रखने में मदद करता है।
    वीरभद्रासन एक ऐसा आसन है जिसके नियमित अभ्यास से शरीर को कई तरह से शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं, साथ ही यह आसन मानसिक रूप से भी लाभदायक है।   
   
   सबसे पहले अपने आसन पर खड़े हो जाएँ, दोनों पैरों को चार फीट तक फैलाएं, बाएं पैर को 45 से 60 डिग्री अंदर को मोड़ें और दाहिने पैर को 90 डिग्री बाहर को मोड़ें। इस अवस्था में दोनों पैरों की एड़ी एक सीध में होगी।   
   
धीरे-धीरे दोनों हाथ कंधे के सीध में उठा लें; अब आपकी पीठ एकदम सीधी होगी, फिर धीरे से दाहिना घुटना मोड़ें जब तक सीधा टखने के ऊपर न आ जाये।
   
अपने सिर को दाहिने तरफ दाहिने हाथ की तरफ मोड़ें और दृष्टि दाहिने हाथ के अंगूठे पर साधें। इसी स्थिति में बने रहें और सामान्य रूप से स्वास लेते रहें। शुरू में इसे 30-40 सेकंड तक कर सकते हैं बाद में अवधि को बढाकर 60 सेकंड तक आसन में बने रह सकते हैं।
   
वापस आने के लिए धीरे धीरे घुटने को सीधा करें और पहले की अवस्था में आ जाएँ। इसी तरह दूसरे पैर से भी वीरभद्रासन का अभ्यास करें। वीरभद्रासन का अभ्यास आप चार-पाँच चक्र कर सकते हैं। याद रखें अपनी शारीरिक क्षमता अनुसार ही योगासन का अभ्यास करें।
   
   पैर, घुटने और जांघ को मजबूत बनाता है।   
   
संतुलन बनाने में मदद करता है, ऊर्जा बढ़ती है और एकाग्रता में सुधार करता है।
   
पेट की चर्बी, जांघों की चर्बी और हिप्स की चर्बी कम करता है।
   
सावधानी- जिन्हे उच्च रक्तचाप हो, गर्दन या रीढ़ की हड्डी में किसी तरह की कोई परेशानी हो वे इस आसन का अभ्यास न करें।
   
अगर किसी को कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या है तो अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें।
   
               
कैसे करें वीरभद्रासन
धीरे-धीरे दोनों हाथ कंधे के सीध में उठा लें; अब आपकी पीठ एकदम सीधी होगी, फिर धीरे से दाहिना घुटना मोड़ें जब तक सीधा टखने के ऊपर न आ जाये।
अपने सिर को दाहिने तरफ दाहिने हाथ की तरफ मोड़ें और दृष्टि दाहिने हाथ के अंगूठे पर साधें। इसी स्थिति में बने रहें और सामान्य रूप से स्वास लेते रहें। शुरू में इसे 30-40 सेकंड तक कर सकते हैं बाद में अवधि को बढाकर 60 सेकंड तक आसन में बने रह सकते हैं।
वापस आने के लिए धीरे धीरे घुटने को सीधा करें और पहले की अवस्था में आ जाएँ। इसी तरह दूसरे पैर से भी वीरभद्रासन का अभ्यास करें। वीरभद्रासन का अभ्यास आप चार-पाँच चक्र कर सकते हैं। याद रखें अपनी शारीरिक क्षमता अनुसार ही योगासन का अभ्यास करें।
वीरभद्रासन आसन से क्या लाभ होगा?
संतुलन बनाने में मदद करता है, ऊर्जा बढ़ती है और एकाग्रता में सुधार करता है।
पेट की चर्बी, जांघों की चर्बी और हिप्स की चर्बी कम करता है।
सावधानी- जिन्हे उच्च रक्तचाप हो, गर्दन या रीढ़ की हड्डी में किसी तरह की कोई परेशानी हो वे इस आसन का अभ्यास न करें।
अगर किसी को कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या है तो अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें।
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