घटती खेती योग्य ज़मीन का विकल्प साबित हो सकती है ‘वर्टिकल खेती’

vineet bajpai | Aug 08, 2017, 12:53 IST
घटती खेती योग्य ज़मीन का विकल्प साबित हो सकती है ‘वर्टिकल खेती’

Highlight of the story:

लखनऊ। लगातार बढ़ती आबादी और घटती कृषि योग्य जमीन को देखते हुए जयपुर के एक विश्वविध्यालय में वर्टिकल खेती (खड़ी खेती) का प्रयोग किया जा रहा है। खेती की इस विधि की खास बात यहा है कि इसमें रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का उपयोग नहीं होता है।
Ad 2


वर्ष 2016 के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 50 वर्ष पहले के मुकाबले अब औसत भारतीय खेत आधे हो गए हैं, ऐसे मैं वर्टिकल खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
Ad 4


खेती का ये प्रयोग जयपुर स्थित सुरेश ज्ञान विहार विश्वविद्यालय में किया जा रहा है और परिणाम बहुत ही सकारात्मक आए हैं। इस शोध के बाद आम लोग अपनी छतों पर भी अपने उपयोग लायक सब्जियां पैदा कर सकेंगे। इसके लिए न तो मिट्टी की जरूरत होगी और न तेज धूप की।
Ad 1


विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च के शोधार्थी कृषि विज्ञानी अभिषेक शर्मा के मार्गदर्शन में यह प्रयोग कर रहे हैं। यहां टमाटर, चिली, कॉली फ्लावर, ब्रोकली, चीनी कैबेज, पोकचाई, बेसिल, रेड कैबेज का उत्पादन किया जा रहा है। आने वाले समय में पूरे पश्चिमी भारत में कम वर्षा वाले क्षेत्रों यह शोध कारगर साबित हो सकता है। ऑर्गेनिक होने के कारण ये सब्जियां महंगी भी बिकती हैं।
Ad 3


क्या है ये तकनीक

वर्टिकल खेती को सामान्य भाषा में खड़ी खेती भी कह सकते हैं। यह खुले में हो सकती है और इमारतों व अपार्टमेंट की दीवारों का उपयोग भी छोटी-मोटी फसल उगाने के लिए किया जा सकता है। वर्टिकल फार्मिंग एक मल्टी लेवल प्रणाली है।

इसके तहत कमरों में एक बहु-सतही ढांचा खड़ा किया जाता है, जो कमरे की ऊंचाई के बराबर भी हो सकता है। वर्टिकल ढांचे के सबसे निचले खाने में पानी से भरा टैंक रख दिया जाता है। टैंक के ऊपरी खानों में पौधों के छोटे-छोटे गमले रखे जाते हैं। पंप के जरिए इन तक काफी कम मात्रा में पानी पहुंचाया जाता है।

इस पानी में पोषक तत्व पहले ही मिला दिए जाते हैं। इससे पौधे जल्दी-जल्दी बढ़ते हैं। एलइडी बल्बों से कमरे में बनावटी प्रकाश उत्पन्न किया जाता है। इस प्रणाली में मिट्टी की जरूरत नहीं होती। इस तरह उगाई गई सब्जियां और फल खेतों की तुलना में ज्यादा पोषक और ताजे होते हैं। अगर ये खेती छत पर की जाती है तो इसके लिए तापमान को नियंत्रित करना होगा।

ये भी देखें -