युवाओं में बढ़ रही पैर सूजने की बीमारी
गाँव कनेक्शन | Aug 12, 2017, 08:53 IST |
युवाओं में बढ़ रही पैर सूजने की बीमारी
नई दिल्ली (आईएएनएस)। एक ताजा शोध में यह बात सामने आई है कि 'वैरिकोज वेन्स' यानी पैरों की नसें सूजने की बीमारी युवाओं में चिंता का कारण बन रही है। करीब 7 प्रतिशत युवा इस स्थिति से परेशान हैं। इस रोग से महिलाओं को चार गुना अधिक खतरा रहता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अनुसार, पैरों की नसें सूजने के कुछ प्रमुख कारण हैं शारीरिक व्यायाम न करना, एक ही जगह देर तक बैठे रहना, तंग कपड़े और ऊंची एड़ी के जूते पहनना।
यह रोग तब होता है, जब निचले अंगों की नसों के वाल्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे निचले अंगों से हृदय की ओर रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इससे नसों में खून एकत्रित होता रहता है और पैरों में सूजन आ जाती है। यह रोग आमतौर पर पैरों में पाया जाता है।
आईएमए के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ केके अग्रवाल ने कहा, ''पैर में कई वाल्व होते हैं जो रक्त को हृदय की दिशा में प्रवाहित होने में मदद करते हैं। वैरिकोज अल्सर दोनों पैरों में हो सकता है। जब ये वाल्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो सूजन, दर्द, थकान, खुजली और रक्त के थक्के बनना शुरू हो होता है। यह एक धीमी लेकिन परेशानी वाली बीमारी है।'' उन्होंने कहा कि लक्षण शुरुआत में हल्के होते हैं, जिस वजह से लोग इस पर ध्यान नहीं देते। इससे जटिलता का सामना करना पड़ सकता है और इलाज मुश्किल होता जाता है। इसका इलाज समय पर कराना जरूरी है, वरना अल्सर विकसित हो सकता है।''
वैरिकोज नसों की शुरुआत पर प्रभाव डालने वाले कुछ कारक आयु, लिंग, आनुवंशिकी, मोटापे और लंबी अवधि के लिए पैरों की स्थिति हैं। वृद्धावस्था में भी नसों में टूट फूट हो सकती है। गर्भावस्था, पूर्व माहवारी और रजोनिवृत्ति कुछ कारक हैं जो महिलाओं में वैरिकोज नसों को प्रभावित करते हैं।
डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया, ''इस कंडीशन के बारे में कई लोगों में जागरूकता की कमी है। चिंता की बात तो यह है कि इस रोग की अनदेखी हो जाती है और लोग समय पर उपचार नहीं कराते। समय पर इलाज न होने से अल्सर, एक्जिमा और उच्च रक्तचाप हो सकता है। उपचार समय पर दिया जाना चाहिए, बशर्ते रोगी को कोई परेशानी न हो। कुछ रोगियों को पैरों की खूबसूरती के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी भी करानी पड़ सकती है।''
यह रोग तब होता है, जब निचले अंगों की नसों के वाल्व क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे निचले अंगों से हृदय की ओर रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इससे नसों में खून एकत्रित होता रहता है और पैरों में सूजन आ जाती है। यह रोग आमतौर पर पैरों में पाया जाता है।
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वैरिकोज नसों की शुरुआत पर प्रभाव डालने वाले कुछ कारक आयु, लिंग, आनुवंशिकी, मोटापे और लंबी अवधि के लिए पैरों की स्थिति हैं। वृद्धावस्था में भी नसों में टूट फूट हो सकती है। गर्भावस्था, पूर्व माहवारी और रजोनिवृत्ति कुछ कारक हैं जो महिलाओं में वैरिकोज नसों को प्रभावित करते हैं।
डॉ. अग्रवाल ने आगे बताया, ''इस कंडीशन के बारे में कई लोगों में जागरूकता की कमी है। चिंता की बात तो यह है कि इस रोग की अनदेखी हो जाती है और लोग समय पर उपचार नहीं कराते। समय पर इलाज न होने से अल्सर, एक्जिमा और उच्च रक्तचाप हो सकता है। उपचार समय पर दिया जाना चाहिए, बशर्ते रोगी को कोई परेशानी न हो। कुछ रोगियों को पैरों की खूबसूरती के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी भी करानी पड़ सकती है।''
वैरिकोज नसों की परेशानी से बचने के लिए कुछ उपाय :
- नियमित रूप से पैदल चलने से पैरों में रक्त परिसंचरण बढ़ेगा।
- वजन और आहार को नियंत्रित करें। पैरों पर दबाव से बचने के लिए अधिक वजन ठीक नहीं। नमक कम ही खाएं।
- आरामदायक कपड़े और जूते पहनें।
- पैरों को ऊपर उठाइए। अपने दिल की ऊंचाई तक पैरों को ऊपर उठाइए। लेट कर अपने पैरों के नीचे तीन-चार तकिये भी रख सकते हैं।
- लंबे समय तक बैठना या खड़े रहना उचित नहीं।