जानलेवा गलघोंटू बीमारी से पशुओं को बचाएं
vineet bajpai | Aug 06, 2017, 10:12 IST |
जानलेवा गलघोंटू बीमारी से पशुओं को बचाएं
लखनऊ। बारिश के मौसम पशुओं को गलघोंटू बीमारी होना का ख़तरा सबसे ज्यादा होता है, जिससे पशु की मौत हो जाती है। इससे बचने के लिए किसान को बारिश से पहले अपने पशुओं को गलघोंटू बीमारी का टीका लगवा लेना चाहिए, क्योंकि इस बीमारी की चपेट में आने के बाद 80 प्रतिशत से अधिक जानवरों की मौत हो जाती है, बहुत कम जानवर इस बीमारी से लड़कर बच पाते हैं।
गलघोंटू बीमारी से निपटने के लिए सरकार टीकाकरण अभियान चलाती है, जिसके अंतर्गत पशुओं को टीके लगाए जाते हैं। उस समय किसानों को अपने पशुओं को टीके लगवाने चाहिए और अगर किसी वजह से टीका नहीं लग पया है तो पशु चिकिच्सक से संपर्क करके टीका जरूर लगवाएं।
19 वीं पशुगणना के अनुसार 4 करोड़ 75 लाख पशु उत्तर प्रदेश में हैं और कृषि मंत्रालय के अनुसार भारत में 51 करोड़ पशु हैं।
वर्ष में पशु को दो बार गलघोटू रोग का टीकाकरण अवश्य करवाएं पहला बारिश का मौसम शुरू होने से पहले (मई - जून महीने में ) और दूसरा अक्टूबर - नवम्बर महीने में और अगर किसी वजह से टीकाकरण नहीं करवा पाए हैं तो बारिश के मौसम में कभी भी टीका लगवा सकते हैं।बीमार पशु को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए।
गलघोंटू बीमारी से निपटने के लिए सरकार टीकाकरण अभियान चलाती है, जिसके अंतर्गत पशुओं को टीके लगाए जाते हैं। उस समय किसानों को अपने पशुओं को टीके लगवाने चाहिए और अगर किसी वजह से टीका नहीं लग पया है तो पशु चिकिच्सक से संपर्क करके टीका जरूर लगवाएं।
19 वीं पशुगणना के अनुसार 4 करोड़ 75 लाख पशु उत्तर प्रदेश में हैं और कृषि मंत्रालय के अनुसार भारत में 51 करोड़ पशु हैं।
लक्षण
- इस रोग में पशु को अचानक तेज बुखार हो जाता है एवं पशु कांपने लगता है।
- रोगी पशु सुस्त हो जाता है तथा खाना-पीना कम कर देता है।
- पशु की आंखें लाल हो जाती हैं।
- पशु को सांस लेने में कठिनाई होती है।
- सांस लेने पर घर्र-घर्र की आवाज आती है।
- पशु के पेट में दर्द होता है, वह जमीन पर गिर जाता है और उसके मुंह से लार भी गिरने लगती है।