बढ़ रहा है पीयर टू पीयर लेंडिंग का ट्रेंड, इमरजेंसी में कोई भी ले सकता है लोन

Astha Singh | Sep 24, 2017, 09:55 IST |
बढ़ रहा है पीयर टू पीयर लेंडिंग का ट्रेंड
लखनऊ। घर में शादी-विवाह हो, मकान की रिपेयरिंग करानी हो या कोई छोटा कारोबार शुरू करना हो और लोन की जरूरत पड़ जाए तो मजबूरी में किसी सूदखोर की तलाश करनी पड़ती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए अब ऑनलाइन अप्‍लाई कर सकते हैं। लोन देने वाले उधार लेने वाले से सीधा संपर्क करके तय ब्‍याज दर पर लोन दे सकते हैं। इसे पीयर-टू-पीयूर (पी2पी) लैंडिंग कहा जाएगा। यह सब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की निगरानी में होगा, इसलिए इसमें धोखाधड़ी की आशंका भी नहीं रहेगी।

जिन लोगों को बैंकों या एनबीएफसी से लोन नहीं मिलता, उनके लिए पीयर टू पीयर लेंडिंग या पीटूपी कर्ज एक अच्छे विकल्प की तरह सामने आया है। पीटूपी कर्ज में आपको कर्ज देने के लिए कोई व्यक्ति या समूह आगे आता है। आसान शब्दों में कहें तो इसका मतलब ये है कि जरूरत पड़ने पर कुछ लोग या समूह एक दूसरे को कर्ज देते हैं और ये सब होता है ऑनलाइन।

क्या है पीयर टू पीयर लेंडिंग

पीयर टू पीयर लेंडिंग बैंकिंग का नया तरीका है, जिसका हिस्सा हर कोई बन सकता है। हालांकि भारत में अभी ये शुरुआती चरण में है और आज करीब 30 कंपनियां पीयर टू पीयर लेंडिंग में उतर चुकी हैं। जानकारों के मुताबिक आने वालों 5-6 सालों में ये कंपनियां 500 करोड़ रुपये तक का कर्ज लोगों को दे रही होंगी। ये निजी जरूरतों के लिए 30000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का और कारोबार के लिये 15 लाख रुपये तक का लोन देती हैं। इनकी शर्तें आसान होने की वजह से कई लोग बैंकों और एनबीएफसी के बजाय पीयर टू पीयर लेंडिंग कंपनियों के पास जा रहे हैं।

जानकारों के मुताबिक पीयर टू पीयर लेंडिंग, कर्ज लेने वालों के लिये एक अच्छा विकल्प है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान भी जरूर रखना चाहिए। पीयर टू पीयर लेंडिंग फाइनेंशियल इनक्लूजन की दिशा में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है, क्योंकि इसके तहत उन लोगों को भी कर्ज दिया जाता है, जो आम बैंकिंग चैनल के जरिए कर्ज नहीं ले पाते। इसकी अहमियत को देखते हुए ही आरबीआई पीयर टू पीयर लेंडिंग कंपनियों को एनबीएफसी के तौर पर रजिस्टर करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।

कर्ज देने वालों को चाहिए ज्यादा ब्याज-

ऊंचे दरों के बावजूद लोग यहां से कर्ज लेने को तैयार रहते हैं क्योंकि उन्हें यहां बैंक जैसी जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता। कर्ज भी छोटी रकम के होते हैं इसलिए ब्याज दरों में 5 फीसदी का अंतर भी बड़ा नहीं लगता।

बैंक लोन जल्दी चुकाने की इच्छा रखने वाले यंग प्रोफेशनल से लेकर किसी इमरजेंसी या हॉलिडे के लिए पैसे की जरूरत वाले, हर तरह के कर्जदार यहां आ सकते हैं| प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स की एक रिपोर्ट में अंदाजा लगाया गया है कि साल 2020 तक भारत में इसका बाजार 5 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार का साइज होगा 150 अरब डॉलर।

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