जश्न के मौके पर गुब्बारों से फैलता है प्रदूषण, आप चाहेंगे फैलाना?
 Akankhya Rout |  Aug 08, 2024, 19:07 IST
no balloons please independence day india plastic pollution environment sustainability experts environmentalists Odette Katrak (2)
Highlight of the story: हम बर्थडे या किसी दूसरे जश्न में गुब्बारों से घर, इमारत ज़रूर सजा लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये कितने ख़तरनाक हो सकते हैं? तभी तो बैंगलोर की ओडेट कटरक गुब्बारों के खिलाफ मुहिम चला रहीं हैं।
    स्वतंत्रता दिवस में कुछ दिन ही बचे हैं, आज़ादी के इस पर्व में हर कोई शामिल होता है, स्कूल-कॉलेज, सरकारी दफ्तर इस दिन तीन रंग के गुब्बारों से सज जाएँगे, लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि उसके बाद उन गुब्बारों का क्या होता होगा, नहीं सोचा न?   
   
चलिए कोई बात नहीं, बस आप एक बार कर्नाटक में रहने वाली ओडेट कटरक से मिल लीजिए, उन्होंने गुब्बारों के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। इन दिनों ओडेट #Noballonsplease कैंपेन चला रहीं हैं। उन्होंने याचिका भी दायर की है, याचिका में लिखा है- "स्वतंत्रता दिवस के दिन आसमान में छोड़े गए तीन रंग के गुब्बारों पर तुरंत ध्यान दिया जाए। क्योंकि इस छोटे कदम से ही हम हमारे पर्यावरण को बचा सकते हैं।
   
ब्यूटीफुल भारत की फाउंडर ओडेट कटरक गाँव कनेक्शन से कहती हैं, "स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर गुब्बारे उड़ा कर हम इन अवसरों का आनंद लेते हैं, लेकिन ये हानिकारक हैं ; गुब्बारे आमतौर पर हीलियम गैस से भरे होते हैं, जो आकाश की ऊँचाई पर छोड़े जाते हैं।"
   
     
   
जर्नल ऑफ़ हैज़ार्डस मटेरियल्स के रिसर्च पेपर के अनुसार, "गुब्बारे मुख्य रूप से प्लास्टिक सामग्री से बने होते हैं, जिसमें रबर, लेटेक्स, पॉलीक्लोरोप्रिन या नायलॉन शामिल हैं। गुब्बारे के फटने से छोटे-छोटे प्लास्टिक के टुकड़े बनते हैं, जो माइक्रोप्लास्टिक (<5 मिमी) और नैनो प्लास्टिक (<1000 एमएम) के रूप में पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बनता है।
   
जी नागराज एक प्लॉगर यानि जॉगिंग हुए कूड़ा उठाते हैं, ओडेट कटरक की इस मुहिम में उनके साथ है, गाँव कनेक्शन से कहते हैं, "स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के बाद अगर आप समुद्र तट पर जाएँगे तो आपको हर जगह गुब्बारे मिलेंगे, जो समुद्री जीवों के लिए हानिकारक हैं। अगर ऐसे ही प्रदूषण बढ़ता रहा तो वनस्पति और जीवों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।"
   
"यही नहीं, कुछ लोग बर्थडे सेलिब्रेशन के दौरान समुद्र के पास कचरा छोड़कर चले जाते हैं; हमें एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने व्यवहार में सुधार लाना चाहिए, " जी नागराज ने आगे कहा।
   
साल भर गुब्बारे आपको कहीं न कहीं गुब्बारे दिख जाएँगे, ये गुब्बारे जितने खूबसूरत लगते हैं, उतने हानिकारक भी होते हैं। बच्चों की बर्थडे पार्टी से लेकर त्योहार और उत्सव गुब्बारों की सजावट के बिना पूरे नहीं होते हैं, लेकिन गुब्बारे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
   
“हमें सोचना चाहिए तभी जाकर हम हमारे पृथ्वी को बचा सकते है, आगे के लिए इसे संरक्षण भी कर सकते हैं; जैसे हमने देखा की इस साल कितनी गर्मी पड़ रही थी, इसका बड़ा कारण है वायुमंडल प्रदूषण; इसको ध्यान में रखते हुए हम छोटे छोटे कदम उठा सकते हैं, ”ओडेट कटरक ने कहा।
   
         
   
ब्यूटीफुल भारत की सदस्य श्री लक्ष्मी गाँव कनेक्शन से कहती हैं, "हम स्कूलों, सार्वजनिक क्षेत्रों और कॉलेजों में कैंपेन करके लोगों को समझाते हैं कि गुब्बारे के बिना भी सजावट कैसे की जा सकती है, जैसे कपड़े और कागज से, जिसे हम बनाने के बाद फिर से उपयोग कर सकते हैं।"
   
उन्होंने आगे कहा, "गुब्बारे के टुकड़े कभी रिसायकल नहीं हो सकते हैं, इन टुकड़ों से जानवरों और हमारे पर्यावरण को नुकसान हो सकता है; हमें हमेशा पृथ्वी के अनुकूल विकल्प अपनाने चाहिए ताकि हम अपने पर्यावरण को बचा सकें।"
   
 
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चलिए कोई बात नहीं, बस आप एक बार कर्नाटक में रहने वाली ओडेट कटरक से मिल लीजिए, उन्होंने गुब्बारों के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। इन दिनों ओडेट #Noballonsplease कैंपेन चला रहीं हैं। उन्होंने याचिका भी दायर की है, याचिका में लिखा है- "स्वतंत्रता दिवस के दिन आसमान में छोड़े गए तीन रंग के गुब्बारों पर तुरंत ध्यान दिया जाए। क्योंकि इस छोटे कदम से ही हम हमारे पर्यावरण को बचा सकते हैं।
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ब्यूटीफुल भारत की फाउंडर ओडेट कटरक गाँव कनेक्शन से कहती हैं, "स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर गुब्बारे उड़ा कर हम इन अवसरों का आनंद लेते हैं, लेकिन ये हानिकारक हैं ; गुब्बारे आमतौर पर हीलियम गैस से भरे होते हैं, जो आकाश की ऊँचाई पर छोड़े जाते हैं।"
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जर्नल ऑफ़ हैज़ार्डस मटेरियल्स के रिसर्च पेपर के अनुसार, "गुब्बारे मुख्य रूप से प्लास्टिक सामग्री से बने होते हैं, जिसमें रबर, लेटेक्स, पॉलीक्लोरोप्रिन या नायलॉन शामिल हैं। गुब्बारे के फटने से छोटे-छोटे प्लास्टिक के टुकड़े बनते हैं, जो माइक्रोप्लास्टिक (<5 मिमी) और नैनो प्लास्टिक (<1000 एमएम) के रूप में पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बनता है।
जी नागराज एक प्लॉगर यानि जॉगिंग हुए कूड़ा उठाते हैं, ओडेट कटरक की इस मुहिम में उनके साथ है, गाँव कनेक्शन से कहते हैं, "स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के बाद अगर आप समुद्र तट पर जाएँगे तो आपको हर जगह गुब्बारे मिलेंगे, जो समुद्री जीवों के लिए हानिकारक हैं। अगर ऐसे ही प्रदूषण बढ़ता रहा तो वनस्पति और जीवों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।"
"यही नहीं, कुछ लोग बर्थडे सेलिब्रेशन के दौरान समुद्र के पास कचरा छोड़कर चले जाते हैं; हमें एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने व्यवहार में सुधार लाना चाहिए, " जी नागराज ने आगे कहा।
साल भर गुब्बारे आपको कहीं न कहीं गुब्बारे दिख जाएँगे, ये गुब्बारे जितने खूबसूरत लगते हैं, उतने हानिकारक भी होते हैं। बच्चों की बर्थडे पार्टी से लेकर त्योहार और उत्सव गुब्बारों की सजावट के बिना पूरे नहीं होते हैं, लेकिन गुब्बारे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
“हमें सोचना चाहिए तभी जाकर हम हमारे पृथ्वी को बचा सकते है, आगे के लिए इसे संरक्षण भी कर सकते हैं; जैसे हमने देखा की इस साल कितनी गर्मी पड़ रही थी, इसका बड़ा कारण है वायुमंडल प्रदूषण; इसको ध्यान में रखते हुए हम छोटे छोटे कदम उठा सकते हैं, ”ओडेट कटरक ने कहा।
ब्यूटीफुल भारत की सदस्य श्री लक्ष्मी गाँव कनेक्शन से कहती हैं, "हम स्कूलों, सार्वजनिक क्षेत्रों और कॉलेजों में कैंपेन करके लोगों को समझाते हैं कि गुब्बारे के बिना भी सजावट कैसे की जा सकती है, जैसे कपड़े और कागज से, जिसे हम बनाने के बाद फिर से उपयोग कर सकते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "गुब्बारे के टुकड़े कभी रिसायकल नहीं हो सकते हैं, इन टुकड़ों से जानवरों और हमारे पर्यावरण को नुकसान हो सकता है; हमें हमेशा पृथ्वी के अनुकूल विकल्प अपनाने चाहिए ताकि हम अपने पर्यावरण को बचा सकें।"