बासी फूलों का ऐसा उपयोग... कमाई भी और सफाई भी

Mohit Asthana | Jun 28, 2017, 15:28 IST |
बासी फूलों का ऐसा उपयोग… कमाई भी और सफाई भी
लखनऊ। फूलों की खुशबू पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है चाहे वो मंदिर हों मस्जिद या फिर गुरूद्वारा लेकिन कभी आपने ये सोचा है कि चढ़ाने के बाद इन फूलों का क्या होता है? इन बासी फूलों को बेकार समझ कर कचरे में फेंक दिया जाता है लेकिन मुंम्बई के निखिल गम्पा इन बासी फूलों से अगरबत्ती बनाकर फिर से सुगंधित बना देते हैं।

बासी फूलों से अगरबत्ती बनाने का ख्याल निखिल के मन में कैसे आया इस बारे में जब गाँव कनेक्शन ने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि वो टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस से पढ़ाई कर रहे है तो उस टाइम पर हमें एक फील्ड वर्क दिया गया था फील्ड वर्क के दौरान मध्य प्रदेश के कई गाँव में जाना पड़ा लेकिन वहां एक समस्या ये थी कि वहां पर बिजली, पानी की दिक्कत थी। गाँव के पास केवल एक मंदिर ही ऐसा था जहां पर बिजली पानी का इंतजाम था। तो मै उस मंदिर में रूक गया था।

इस तरह हुई शुरुआत

मंदिर के आस-पास बासी फूल और कचरा फेंका हुआ था जिसकी वजह से मुझे मलेरिया हो गया था। तब मेरे मन में ये ख्याल आया इस समस्या को कैसे हल करूं। मैने बायोटेक से पढ़ाई की है। मैने पहले भी लखनऊ के बायो के दो साइंटिस्टों के साथ काम किया है इसलिये ये ख्याल मन में आया। फिर हम लोगों ने मिलकर इस योजना के लिये काफी विचार किया। साथ ही ये भी तय किया कि इस काम में गरीब महिलाओं को भी जोड़कर उन्हे आय का जरिया दिया जा सकता है।

उन्होंने बताया, इसकी शुरूआत हमने कानपुर के नानकारी गांव से की थी वहां पर हमने झोपड़-पट्टी वाले इलाके में एक छोटा सा प्लांट लगाया और वहीं की महिलाओं को काम दिया। उस क्षेत्र के आस-पास जो भी मंदिर थे हम उन महिलाओं के जरिये मंदिरों से फेंके गये बासी फूलों को मंगवाते थे।

हमने इन फूलों से अगरबत्ती बनाने का महिलाओं को प्रशिक्षण दिया था और जो लखनऊ के साइंटिस्ट थे जिनके साथ मैंने काम किया था वो भी लखनऊ की झोपड़ पट्टी की महिलाओं को ट्रेनिंग देते थे। फिर हम लोगों ने लखनऊ के बक्शी का तालाब स्थित चन्द्रिका देवी मंदिर में भी बासी फूलों को इकट्ठा करके अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया।



अगरबत्ती बनाती महिलाएं

महिलाओं को दी ट्रेनिंग

ये काम हमने साल 2015 में शुरू किया था। हमने इन महिलाओं को हर तरीके से सिखाया कि पैकिंग कैसे करनी है, मार्केटिंग कैसे करनी है, आर्डर कैसे लेना है... इन सभी चीजों की ट्रेनिंग हमने उन महिलाओं को दी। गाँव कनेक्शन ने जब निखिल ये इस काम को शूरू करने के लिये पैसों के इंतजाम के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि इसके लिये पहले मैंने इस आइडिया को सोशल मीडिया में शेयर किया था।

निखिल बताते हैं, इसे देखकर मेरे कुछ दोस्तों ने अपने पास से पैसे लगाये और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने भी इस काम की शुरूआत के लिये पैसे देकर हमारी मदद की थी। मेरे पास भी कुछ पैसे थे, तो ये सब मिलाकर हमने शुरूआत की। निखिल ने बताया मुम्बई में जो प्लांट हमने शुरू किया है "ग्रीन वेव" नाम से, उसमें इस समय करीब 15 से 20 महिलाएं काम कर रही हैं और आगे इस काम को वयापक स्तर पर पहुंचाने की योजना है।



ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।



Tags:
  • हिन्दी समाचार
  • Samachar
  • समाचार
  • hindi samachar
  • Stale flowers
  • nikhil gampa
  • Green wave
  • incense stick

Previous Story
बैंकों में 30 सितंबर तक खोलना होगा आधार सेंटर, नहीं तो लगेगा 20 हजार जुर्माना

Contact
Recent Post/ Events