आपके बुढ़ापे का सहारा बनेगी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली, जानिए कैसे ले सकते हैं इसका लाभ?
Akash Deep Mishra | Apr 26, 2023, 13:59 IST |
आपके बुढ़ापे का सहारा बनेगी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली
वृद्धावस्था में आय के निश्चित स्त्रोत नहीं होते, एक बेहतर जिंदगी के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी युवावस्था में ही कुछ ऐसे हल निकाल लें जिससे कि हमारी बाद की ज़रूरतें किसी की मदद की मोहताज़ न हों। बात पते की इस भाग में आज ऐसी ही एक योजना के बारे में बता रहे हैं।
पेंशन, यानी की सरकारी नौकरी करने की सबसे बड़ी वजह, बुढ़ापे में किसी का मुँह न ताकना पड़े उसका जुगाड़, अपने नाती पोते को खिलौने और मिठाई देने के लिए हाथ खाली न रहे, अपने जाने के बाद अपने परिवार को एक सहारा देने की कवायद।
ऐसे ही न जाने कितने ही कारण हैं जो आज भी सरकारी नौकरी को आज के युवाओं में प्रासंगिक बनाये हुए है। यह एक तरीके से सही भी है की इंसान ज़िन्दगी भर जिस नौकरी को करता है उससे ये अपेक्षा रखता है की वह भी उसकी सामाजिक और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा करे। इनमें सबसे प्रबल होती है सेवा निवृत्ति के बाद की ज़िन्दगी, क्योंकि इंसान अपने कमज़ोर समय के लिए ज्यादा से ज्यादा इंतेज़ाम करना चाहता है।
भारत में जीवन प्रत्याशा वर्तमान में 65 वर्ष है जो की वर्ष 2050 तक 75 वर्ष तक पहुंच सकती है, जिसके परिणामस्वरूप 60 वर्ष की आयु जिसे सामान्यतः सेवा निवृत्ति भी माना जाता है, उसके बाद के वर्षों की संख्या भी बढ़ जाएगी। उम्र के साथ ही महंगाई और जीवन जीने की लागत में भी वृद्धि होगी। इन सभी कारणों से सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, एक निश्चित पेंशन की योजना से जुड़ जाना चाहिए।
वृद्धावस्था में आय के निश्चित स्त्रोत नहीं होते, सम्मानजनक और प्रतिष्ठा के साथ जीवन यापन के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी युवावस्था में ही कुछ ऐसे हल निकल लें जिससे की हमारी बाद की ज़रूरतें किसी की मदद की मोहताज़ न हो।
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों सहित भारत के सभी नागरिकों को वृद्धावस्था सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा यह योजना शुरू की गई है। एनपीएस एक स्वैच्छिक, निवेश सह पेंशन योजना है और इसे पीएफआरडीए द्वारा विनियमित किया जाता है। 18 से 70 वर्ष की आयु के बीच निवासी या अनिवासी भारतीय; वेतनभोगी या स्व-नियोजित इस योजना से जुड़ सकते हैं।
निवेशक को एक स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) कार्ड जारी किया जाएगा जिसमें 12 अंकों की विशिष्ट संख्या होगी। एनपीएस खाते के तहत, दो उप-खाते - टियर I और II प्रदान किए जाते हैं।
टियर I खाता अनिवार्य है और सब्सक्राइबर के पास टियर II खाता खोलने और संचालन का विकल्प है। टियर II खाता केवल तभी खोला जा सकता है जब टियर I खाता मौजूद हो।
टियर -1 खाता: एक सेवानिवृत्ति और पेंशन खाता जिसे एनपीएस के तहत निर्धारित निकास शर्तों को पूरा करने पर ही निकाला जा सकता है। आवेदक सेवानिवृत्ति के लिए अपनी बचत को इस खाते में योगदान देगा। यह सेवानिवृत्ति खाता है और आवेदक लागू आयकर नियमों के अधीन किए गए योगदान के खिलाफ कर लाभ का दावा कर सकता है। एनपीएस खाता खोलते समय प्रारंभिक राशि 500 रुपये है जिसमें न्यूनतम वार्षिक योगदान 1000 रुपये है। अधिकतम अंशदान की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
टियर-2 खाता: यह एक स्वैच्छिक निवेश सुविधा है। आवेदक जब चाहें इस खाते से अपनी बचत निकालने के लिए स्वतंत्र हैं। यह एक सेवानिवृत्ति खाता नहीं है और आवेदक इस खाते में योगदान के खिलाफ किसी भी कर लाभ का दावा नहीं कर सकता है। प्रति अंशदान न्यूनतम राशि 250 रुपये है और अधिकतम योगदान के लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
दुनिया की सबसे कम लागत वाली पेंशन योजना है। इसका प्रशासनिक शुल्क और फंड प्रबंधन शुल्क भी सबसे कम है।
निधियों का प्रबंधन पीएफआरडीए द्वारा विनियमित और सक्रिय रूप से निगरानी किए जाने वाले पेशेवर पेंशन फंडों द्वारा किया जाता है।
एनपीएस खाता (पीआरएएन) देश में कहीं से भी संचालित किया जा सकता है, और नौकरी बदलने या स्थान बदलने की परिस्थिति में भी यह नहीं बदलता है
कर्मचारी और नियोक्ता योगदान दोनों पर कर लाभ उपलब्ध हैं। इनकम टैक्स एक्टके सेक्शन 80CCD (1), 80 CCD(1b) और 80 CCD(2) के तहत टैक्स छूट मिलती है. NPS पर सेक्शन 80C यानी 1.50 लाख रुपए से अलग 50,000 रुपए की और छूट ले सकते हैं. NPS में निवेश कर 2 लाख रुपए की इनकम टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं।
समय से पूर्व निकासी : सब्सक्राइबर को संचित पेंशन संपत्ति का 80% अनिवार्य रूप से वार्षिक करना होगा और शेष 20% को एकमुश्त के रूप में निकाला जा सकता है। यदि कॉर्पस< 2.50 लाख रुपये है, तो पूर्ण निकासी की अनुमति है।
अभिदाता की मृत्यु के मामले में- मानदंडों के अनुसार नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारियों को संपूर्ण संचित पेंशन निधि का भुगतान किया जाएगा। इस योजना के तहत कोई पारिवारिक पेंशन नहीं है।
60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद, कॉर्पस का 60% तक निकाला जा सकता है। सब्सक्राइबर को वार्षिकी के रूप में रखी जाने वाली संचित बचत का न्यूनतम 40% निवेश करना आवश्यक है। मैच्योरिटी के समय अमाउंट का पूरा 60 पर्सेंट टैक्स फ्री होता है।
पात्र एकमुश्त राशि की निकासी को 75 वर्ष की आयु तक स्थगित कर सकते हैं और 10 वार्षिक किस्तों में इसे वापस ले सकते हैं।
60 साल बाद सब्सक्राइबर रजिस्ट्रेशन के लिए: निकासी के समय, यदि सब्सक्राइबर एनपीएस खाता रखने के 3 साल पूरे होने के बाद पैसे निकालता है, तो 60-40 विकल्प उपलब्ध है (40% वार्षिकी न्यूनतम शर्तहै, अगर सब्सक्राइबर अधिक पेंशन चाहता है तो वह उच्च वार्षिकी प्रतिशत आवंटित कर सकता है)। यदि सब्सक्राइबर 3 साल पूरा करने से पहले अपने एनपीएसखाता विड्रॉ करता है तो वार्षिकी विकल्प के लिए 20% एकमुश्त और 80% आवंटित किया जाना है।
पात्र एकमुश्त राशि की निकासी को 75 वर्ष की आयु तक स्थगित कर सकते हैं और 10 वार्षिक किस्तों में इसे वापस ले सकते हैं।निकासी के समय खरीद को अधिकतम 3 साल की अवधि के लिए भी टाला जा सकता है।
आंशिक निकासी:
सब्सक्राइबर कम से कम 3 वर्षों के लिए एनपीएस में होना चाहिए।
राशि उस अवधि के दौरान अभिदाता द्वारा किए गए अंशदान के 25% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
उद्देश्य जिसके लिए आंशिक निकासी की अनुमति है:
बच्चों की उच्च शिक्षा
संतान की शादी
आवासीय घर या फ्लैट की खरीद या निर्माण
गम्भीर बीमारी का उपचार
75% से अधिक की विकलांगता
कौशल विकास कौशल या कोई अन्य स्व-विकास गतिविधियाँ
आज हमने जाना राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के बारे में जो की निवेशक को पेंशन का एक अवसर मुहैय्या कराता है। मार्च 2023 तक इस योजना से 625 .81 लाख लोग जुड़ चुके हैं जो की पिछले वर्ष से 22% ज्यादा है। यह ये दर्शाता है की लोगों में इसको लेकर जागरूकता बढ़ी है। निवेशक अपनी वित्तीय ज़रूरतों के हिसाब से इस योजना से जुड़ सकते हैं।
ऐसे ही न जाने कितने ही कारण हैं जो आज भी सरकारी नौकरी को आज के युवाओं में प्रासंगिक बनाये हुए है। यह एक तरीके से सही भी है की इंसान ज़िन्दगी भर जिस नौकरी को करता है उससे ये अपेक्षा रखता है की वह भी उसकी सामाजिक और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा करे। इनमें सबसे प्रबल होती है सेवा निवृत्ति के बाद की ज़िन्दगी, क्योंकि इंसान अपने कमज़ोर समय के लिए ज्यादा से ज्यादा इंतेज़ाम करना चाहता है।
भारत में जीवन प्रत्याशा वर्तमान में 65 वर्ष है जो की वर्ष 2050 तक 75 वर्ष तक पहुंच सकती है, जिसके परिणामस्वरूप 60 वर्ष की आयु जिसे सामान्यतः सेवा निवृत्ति भी माना जाता है, उसके बाद के वर्षों की संख्या भी बढ़ जाएगी। उम्र के साथ ही महंगाई और जीवन जीने की लागत में भी वृद्धि होगी। इन सभी कारणों से सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, एक निश्चित पेंशन की योजना से जुड़ जाना चाहिए।
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वृद्धावस्था में आय के निश्चित स्त्रोत नहीं होते, सम्मानजनक और प्रतिष्ठा के साथ जीवन यापन के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी युवावस्था में ही कुछ ऐसे हल निकल लें जिससे की हमारी बाद की ज़रूरतें किसी की मदद की मोहताज़ न हो।
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों सहित भारत के सभी नागरिकों को वृद्धावस्था सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा यह योजना शुरू की गई है। एनपीएस एक स्वैच्छिक, निवेश सह पेंशन योजना है और इसे पीएफआरडीए द्वारा विनियमित किया जाता है। 18 से 70 वर्ष की आयु के बीच निवासी या अनिवासी भारतीय; वेतनभोगी या स्व-नियोजित इस योजना से जुड़ सकते हैं।
निवेशक को एक स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) कार्ड जारी किया जाएगा जिसमें 12 अंकों की विशिष्ट संख्या होगी। एनपीएस खाते के तहत, दो उप-खाते - टियर I और II प्रदान किए जाते हैं।
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टियर -1 खाता: एक सेवानिवृत्ति और पेंशन खाता जिसे एनपीएस के तहत निर्धारित निकास शर्तों को पूरा करने पर ही निकाला जा सकता है। आवेदक सेवानिवृत्ति के लिए अपनी बचत को इस खाते में योगदान देगा। यह सेवानिवृत्ति खाता है और आवेदक लागू आयकर नियमों के अधीन किए गए योगदान के खिलाफ कर लाभ का दावा कर सकता है। एनपीएस खाता खोलते समय प्रारंभिक राशि 500 रुपये है जिसमें न्यूनतम वार्षिक योगदान 1000 रुपये है। अधिकतम अंशदान की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
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टियर-2 खाता: यह एक स्वैच्छिक निवेश सुविधा है। आवेदक जब चाहें इस खाते से अपनी बचत निकालने के लिए स्वतंत्र हैं। यह एक सेवानिवृत्ति खाता नहीं है और आवेदक इस खाते में योगदान के खिलाफ किसी भी कर लाभ का दावा नहीं कर सकता है। प्रति अंशदान न्यूनतम राशि 250 रुपये है और अधिकतम योगदान के लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
आइए जानते हैं इसकी कुछ खासियतों के बारे में :
निधियों का प्रबंधन पीएफआरडीए द्वारा विनियमित और सक्रिय रूप से निगरानी किए जाने वाले पेशेवर पेंशन फंडों द्वारा किया जाता है।
एनपीएस खाता (पीआरएएन) देश में कहीं से भी संचालित किया जा सकता है, और नौकरी बदलने या स्थान बदलने की परिस्थिति में भी यह नहीं बदलता है
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समय से पूर्व निकासी : सब्सक्राइबर को संचित पेंशन संपत्ति का 80% अनिवार्य रूप से वार्षिक करना होगा और शेष 20% को एकमुश्त के रूप में निकाला जा सकता है। यदि कॉर्पस< 2.50 लाख रुपये है, तो पूर्ण निकासी की अनुमति है।
अभिदाता की मृत्यु के मामले में- मानदंडों के अनुसार नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारियों को संपूर्ण संचित पेंशन निधि का भुगतान किया जाएगा। इस योजना के तहत कोई पारिवारिक पेंशन नहीं है।
परीपक्वता पर
पात्र एकमुश्त राशि की निकासी को 75 वर्ष की आयु तक स्थगित कर सकते हैं और 10 वार्षिक किस्तों में इसे वापस ले सकते हैं।
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पात्र एकमुश्त राशि की निकासी को 75 वर्ष की आयु तक स्थगित कर सकते हैं और 10 वार्षिक किस्तों में इसे वापस ले सकते हैं।निकासी के समय खरीद को अधिकतम 3 साल की अवधि के लिए भी टाला जा सकता है।
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आंशिक निकासी:
सब्सक्राइबर कम से कम 3 वर्षों के लिए एनपीएस में होना चाहिए।
राशि उस अवधि के दौरान अभिदाता द्वारा किए गए अंशदान के 25% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
उद्देश्य जिसके लिए आंशिक निकासी की अनुमति है:
बच्चों की उच्च शिक्षा
संतान की शादी
आवासीय घर या फ्लैट की खरीद या निर्माण
गम्भीर बीमारी का उपचार
75% से अधिक की विकलांगता
कौशल विकास कौशल या कोई अन्य स्व-विकास गतिविधियाँ
आज हमने जाना राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के बारे में जो की निवेशक को पेंशन का एक अवसर मुहैय्या कराता है। मार्च 2023 तक इस योजना से 625 .81 लाख लोग जुड़ चुके हैं जो की पिछले वर्ष से 22% ज्यादा है। यह ये दर्शाता है की लोगों में इसको लेकर जागरूकता बढ़ी है। निवेशक अपनी वित्तीय ज़रूरतों के हिसाब से इस योजना से जुड़ सकते हैं।
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