वैज्ञानिकों ने बनाया कमल की पत्तियों से प्रेरित ईको-फ्रेंडली मैटेरियल

Divendra Singh | Jan 21, 2019, 08:25 IST |
वैज्ञानिकों ने बनाया कमल की पत्तियों से प्रेरित ईको-फ्रेंडली मैटेरियल
नई दिल्ली। प्रकृति से प्रेरणा लेकर वैज्ञानिक कई तरह की उपयोगी चीजों का निर्माण करते रहते हैं। भारतीय और स्विस वैज्ञानिकों ने कमल की पत्तियों से प्रेरित होकर जैविक रूप से अपघटित होने में सक्षम एक ऐसा मैटेरियल विकसित किया है, जिसकी सतह पर पानी नहीं ठहर पाता है।

कमल की पत्तियों की सतह पर प्राकृतिक रूप से निर्मित मोम जल विकर्षक के रूप में कार्य करता है, जिसके कारण पानी में रहने के बावजूद कमल की पत्तियां सड़ती नहीं हैं। नया जल विकर्षक (Water Repellent) मैटेरियल इसी तरह काम करता है।

इस मैटेरियल में सेलूलोज की मदद से सूक्ष्म स्तंभों (Micro pillars) की संरचना बनायी गई है। सेलूलोज की ढलाई के लिए ट्रायफ्लुरोएसिटिक एसिड में सेलूलोज पाउडर को पहले विघटित किया गया है और फिर पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सुखाने की नियंत्रित प्रक्रिया से एसिड को हटा दिया गया। इसके बाद कमल के पत्तों में पाये जाने वाले समान रासायनिक परिवार के मोम का छिड़काव इस सेलूलोज संरचना पर किया गया है। अधिकतम जल विकर्षण के लिए सेलूलोज से सूक्ष्म स्तंभों का निर्माण सॉफ्ट लिथोग्रफिक तकनीक की मदद से किया गया है। इस मैटेरियल को बनाने में उपयोग किया गया प्राकृतिक मोम ताड़ के वृक्षों से प्राप्त किया जा सकता है।

RDESController-2115


नये ईको-फ्रेंडली जल विकर्षक मैटेरियल पर गिरने वाली पानी की बूंदों के हाई स्पीड फ्रेम। (फोटो : एडवांस्ड मैटेरियल इंटरेफेसेज)

इस अध्ययन से जुड़े आईआईटी, रोपड़ के शोधकर्ता डॉ. चंदर शेखर शर्मा ने बताया, "सुपर हाइड्रोफोबिक या जल विकर्षक मैटेरियल आमतौर पर विषैले तत्वों से बनते हैं, जो जैविक रूप से अपघटित नहीं हो पाते और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। हमारी टीम ने जैविक तत्वों के उपयोग से सुपर हाइड्रोफोबिक गुणों से लैस लचीले मैटेरियल का निर्माण किया है, जो पर्यावरण के अनुकूल है। प्राकृतिक प्लास्टिसाइजर और ग्लिसरॉल मिलाने से यह मैटेरियल चार गुना अधिक लचीला हो सकता है।
नये मैटेरियल का उपयोगहेल्थकेयर, सेल्फ-क्लीनिंग टेक्सटाइल्स, तेल रिसाव शोधन, जंग अवरोधकों के निर्माण, संवेदकों (Sensors) के निर्माण, रोबोटिक्स और 3डी प्रिंटिंग जैसे क्षेत्रों में हो सकता है। बायो एनालिटिक परीक्षण, सेल कल्चर, ड्रग डिलिवरी, फोल्डेबल तथा डिस्पोजेबल इलेक्ट्रॉनिक्स में इस मैटेरियल का उपयोगकर सकते हैं।

स्विट्जरलैंड की ईटीएच ज्यूरिख यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. एथेनासिओस्ज मिलिओनिस इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता हैं। डॉ. चंदर शेखर शर्मा और डॉ. मिलिओनिस के अलावा अध्ययनकर्ताओं में ईटीएच ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डिमोस पौलिककोस, डॉ राओल हॉप, माइकल उगोवित्जर और इटैलियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इटली के इल्कर बायर शामिल थे। अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका एडवांस मैटेरियल इंटरफेसेज में प्रकाशित किए गए हैं। (इंडिया साइंस वायर)

Tags:
  • ईको-फ्रेंडली

Previous Story
फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए विकसित हुआ 'डोफिंग यूनिट'

Contact
Recent Post/ Events