जॉब फेयर्स: क्या वाकई हैं फायदेमंद

गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:19 IST
जॉब फेयर्स: क्या वाकई हैं फायदेमंद

Highlight of the story:

लखनऊ। एडमिशन मौसम के दौरान किसी भी टेक्निकल कैंपस में जॉब फेयर, करियर फेयर, या प्लेसमेंट वीक जैसे इवेंट्स देखे जा सकते हैं। अपने ड्रीम जॉब को ढूंढ़ने में हज़ारों छात्रों की भीड़ इन फेयर में उमड़ पड़ती है, ये जाने बिना कि ये उनके काम का है भी या नहीं।
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कोई भी प्रोडक्ट या सर्विसेज कभी भी पूरी तरह से सही नहीं हो सकती है, उसी तरह करियर फेयर के भी फायदों के साथ कई नुकसान भी हैं। आयोजकों के साथ कैंडिडेट्स और कम्पनीज को फायदे तो होते हैं लेकिन कितने, ये समझने की ज़रुरत है। आज ट्रेंड में बढ़ रहे जॉब फेयर्स के पूरे सिनेरियो को समझने के बाद kareermatrix के तरुण त्यागी उनके फायदे और नुकसान बता रहे हैं :-
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कंपनियों को फायदे



1. एक ही जगह पर ज्यादा से ज्यादा कैंडिडेट्स मिल जाते हैं।



2. ब्रांड को लेकर जागरूकता बढ़ जाती है।



3. नॉन ट्रेडिशनल कैंडिडेट्स से मिलने का मौका मिलता है।
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4. इंडस्ट्री की दूसरी कंपनियों से भी मिलने का मौका मिलता है।



कंपनियों को नुकसान



1. कंपनियों के पास कैंडिडेट्स को टेस्ट करने का समय कम होता है।



2. कैंडिडेट्स के सामने कई कंपनियों के ऑफर होने के कारण ज्वाइनिंग की सुनिश्चितता नहीं रहती है।



3. अक्सर कम समय होने के कारण गलत कैंडिडेट्स का चुनाव हो जाता है।



4. जॉब फेयर्स के ख़र्चे।



5. कई बार कैंडिडेट्स के बैकग्राउंड का पता नहीं होने के कारण टेक्निकल पैनल की प्लानिंग में दिक्कत आती है।



कैंडिडेट्स को फायदे



1. कम्पनीज से मिलने और उनके काम करने के तरीके को समझने का मौका मिलता है।



2. इंडस्ट्री की कई कम्पनीज एक ही जगह मिल जातीं हैं और उनके रिप्रेजेन्टेटिव से मिलने का मौका मिलता है।



3. कम्पनीज के हैंडआउट्स देखने और सवाल-जवाब करने का अवसर मिलता है।



4. कई एम्प्लॉयर्स होने के कारण बेस्ट ऑफर मिल जाता है।



5. रिज्यूमे भेजकर इंतज़ार करने से बच जाते हैं, उसी समय मीटिंग की जा सकती है।



कैंडिडेट्स को नुकसान



1. कई तरह की कम्पनीज और जॉब रोल्स होने की वजह से एक लक्ष्य नहीं बन पाता है और छात्रों में असमंजस की स्थिति बन जाती है।



2. करियर फेयर पर खर्च किया हुआ पैसा और समय कई बार बर्बाद हो जाता है।



3.कंपनी हर कैंडिडेट को ज्यादा समय नहीं दे पाती है, जिसके कारण उन्हें अपने स्किल्स साबित करने का समय नहीं मिल पाता है।



एक समय देखा जा रहा था जब करियर फेयर्स अपनी चमक खोने लगे थे, लेकिन बढ़ती बेरोज़गारी और कर्मचारियों की कोशिशों के बाद ये फिर ट्रेंड में आ चुके है। कैंडिडेट्स के लिए बेहतर होगा की आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाकर अपना समय बचाएं और फेयर की पूरी जानकारी के बाद वहां जाएं। इससे आपका समय और पैसा बर्बाद नहीं होगा और आपको पता चल जाएगा कि ये आपके प्रोफाइल से मैच कर भी रहा है या नहीं।



रिपोर्टर - दिवा शर्मा




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