गोबर के बाद अब गोमूत्र भी खरीदेगी छत्तीसगढ़ सरकार, हरेली तिहार होगी शुरूआत
गाँव कनेक्शन | Jul 26, 2022, 13:37 IST
गोबर के बाद अब गोमूत्र भी खरीदेगी छत्तीसगढ़ सरकार
Highlight of the story: 'गोधन न्याय योजना' के तहत गोबर खरीदने के साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार अब गोमूत्र खरीदेगी। जहां गोबर दो रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है, वहीं गोमूत्र चार रुपए लीटर खरीदा जाएगा।
गोबर खरीदने के बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार गोमूत्र भी खरीदेगी, 28 जुलाई को छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले हरेली तिहार के दिन इसकी शुरूआत की जाएगी और इसी दिन से गोमूत्र की खरीदारी भी शुरू की जाएगी।
छत्तीसगढ़ में गोमूत्र का इस्तेमाल अब इको फ्रेंडली खाद के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत किसानों से इसकी खरीद की जाएगी। इसके जरिए किसानों की आय बढ़ाने का राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य ने गोबर ख़रीदी की शुरूआतत कर गोबर को ग्रामीण विकास और आर्थिक मॉडल का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। इससे पहले पशुपालक गोबर का उपयोग कंडे बनाने करते थे जिससे मामूली आय ही हो पाती थी। मगर अब सरकार की गोधन न्याय योजना से पशुपालकों और किसानों की अतिरिक्त आय हो रही है।
गोमूत्र की खरीद छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलायी जा रही गोधन न्याय योजना के तहत की जाएगी, जिसके शुरुआत प्रदेश में दो साल पहले की गयी थी। यह छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख योजना है।
अभी तक गोबर दो रुपए किलो के हिसाब से खरीदा जा रहा है, जबकि 4 रुपए लीटर के हिसाब से गोमूत्र खरीदा जाएगा। छत्तीसगढ़ के कामधेनु विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के गोमूत्र के मूल्यवर्धन की जरूरत बढ़ाने का आकलन करने के लिए एक अध्ययन किया था। अध्ययन की रिपोर्ट के आधार पर छत्तीसगढ़ कैबिनेट ने गोमूत्र की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
हरेली के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन के गांव करसा से गौमूत्र खरीदी का शुभारंभ करेंगे, वहां पर आयोजित कृषक सम्मेलन कार्यक्रम में किसानों से चर्चा कर उनका सम्मान भी करेंगे।
पशुगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में 1.5 करोड़ मवेशी हैं, इनमें से 98 लाख गौवंशीय हैं, जिनमें 48 लाख नर और 50 लाख मादा हैं। इन आंकड़ों के अनुसार राज्य में गोधन न्याय योजना से बड़ी क्रांति हो सकती है।
योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक पशुपालक छत्तीसगढ़ राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए और उसे पंजीयन कराना अनिवार्य है। पंजीयन के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर, पशुओं से सम्बंधित जानकारी पासपोर्ट साइज फोटो आदि केंद्र में जमा करना होगा।
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छत्तीसगढ़ में गोमूत्र का इस्तेमाल अब इको फ्रेंडली खाद के तौर पर इस्तेमाल करने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत किसानों से इसकी खरीद की जाएगी। इसके जरिए किसानों की आय बढ़ाने का राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है।
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छत्तीसगढ़ राज्य ने गोबर ख़रीदी की शुरूआतत कर गोबर को ग्रामीण विकास और आर्थिक मॉडल का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। इससे पहले पशुपालक गोबर का उपयोग कंडे बनाने करते थे जिससे मामूली आय ही हो पाती थी। मगर अब सरकार की गोधन न्याय योजना से पशुपालकों और किसानों की अतिरिक्त आय हो रही है।
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गोमूत्र की खरीद छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलायी जा रही गोधन न्याय योजना के तहत की जाएगी, जिसके शुरुआत प्रदेश में दो साल पहले की गयी थी। यह छत्तीसगढ़ की एक प्रमुख योजना है।
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अभी तक गोबर दो रुपए किलो के हिसाब से खरीदा जा रहा है, जबकि 4 रुपए लीटर के हिसाब से गोमूत्र खरीदा जाएगा। छत्तीसगढ़ के कामधेनु विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के गोमूत्र के मूल्यवर्धन की जरूरत बढ़ाने का आकलन करने के लिए एक अध्ययन किया था। अध्ययन की रिपोर्ट के आधार पर छत्तीसगढ़ कैबिनेट ने गोमूत्र की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
हरेली के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन के गांव करसा से गौमूत्र खरीदी का शुभारंभ करेंगे, वहां पर आयोजित कृषक सम्मेलन कार्यक्रम में किसानों से चर्चा कर उनका सम्मान भी करेंगे।
पशुगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में 1.5 करोड़ मवेशी हैं, इनमें से 98 लाख गौवंशीय हैं, जिनमें 48 लाख नर और 50 लाख मादा हैं। इन आंकड़ों के अनुसार राज्य में गोधन न्याय योजना से बड़ी क्रांति हो सकती है।
योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक पशुपालक छत्तीसगढ़ राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए और उसे पंजीयन कराना अनिवार्य है। पंजीयन के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर, पशुओं से सम्बंधित जानकारी पासपोर्ट साइज फोटो आदि केंद्र में जमा करना होगा।