'अचानक हो रही मौत का कोविड वैक्सीन से कोई लेना देना नहीं है'

गाँव कनेक्शन | Nov 22, 2023, 09:31 IST
‘अचानक हो रही मौत का कोविड वैक्सीन से कोई लेना देना नहीं है’

Highlight of the story: युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक की घटनाओं को कोरोना वैक्सीन से जोड़ने के मामले में आईसीएमआर की ताज़ा रिपोर्ट में कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं।

पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो देखने को मिले हैं, जिनमें अचानक डांस करते, जिम में एक्सरसाइज करते लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो जा रही है। इस तरह की अचानक मौत को कोविड वैक्सीन जोड़ा जा रहा है, कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट के चलते मौत हो रहीं हैं।
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लेकिन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के शोध के मुताबिक कोविड वैक्सीन का इन मौतों से कोई लेना देना नहीं है।
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आईसीएमआर पिछले तीन साल से ये स्टडी कर रहा है कि युवाओं में अचानक मौत का क्या कारण है। स्टडी के नतीजे जारी कर दिए गए हैं।

18 से 45 साल के लोगों पर का किया गया है अध्ययन

इसके लिए 18 से 45 साल के ऐसे युवाओं पर स्टडी की गई जिन्हें कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। भारत के 19 राज्यों के 47 अस्पतालों को इसमें शामिल किया गया।
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अक्टूबर 2021 से लेकर 31 मार्च 2023 तक के आंकड़े इकट्ठे किए गए और इस साल मई से अगस्त के बीच डाटा का एनालिसिस किया गया।
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स्टडी में ये देखा गया कि वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगने के 42 दिनों तक मरीज कैसा रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार वैक्सीन के 42 दिन के अंदर होने वाले साइड इफेक्ट्स को वैक्सीन का असर माना जाएगा।

इस अध्ययन में 18 से 45 साल के ऐसे युवा शामिल थे जिनकी 1 अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच अचानक हार्ट अटैक से मौत हुई थी। 87 प्रतिशत लोगों को कोविड वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग चुकी थी। 2 प्रतिशत को अस्पताल जाने की जरूरत पड़ी थी।

2 प्रतिशत लोगों में कोरोना से रिकवर होने के बाद भी साँस फूलने, ब्रेन फॉगिंग या दूसरी दिक्कत बनी रही थी। इन लोगों में से 10 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनके परिवार में पहले भी किसी की अचानक मौत हो चुकी थी।

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मरने वालों में 27 प्रतिशत लोग सिगरेट पीते थे, 27 प्रतिशत लोग शराब पीते थे। मृतकों में से 677 लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मौत से 48 घंटे पहले या उससे पहले ड्रिंक्स ली थी। 18 फीसदी यानी 692 लोग मौत से एक साल पहले तक एक्सरसाइज कर रहे थे।


इसके अलावा इस स्टडी को कंट्रोल ग्रुप में भी किया गया। कंट्रोल ग्रुप में 18 से 45 वर्ष के 4850 लोगों को शामिल किया गया जिसमें से 2916 का डिटेल एनालिसिस किया गया।

इनमें से 81 प्रतिशत युवा वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगवा चुके थे। इनमें से 1 प्रतिशत लोग अस्पताल पहुँचे थे। 1 प्रतिशत को कोरोना से रिकवर होने के बाद एक महीने तक कोरोना के साइड इफेक्ट्स जैसे साँस फूलने, स्मेल ना आने और ब्रेन फागिंग जैसी परेशानियाँ रहीं।

4 प्रतिशत लोगों के घर में किसी ना किसी की पहले भी अचानक मौत हो चुकी थी। कंट्रोल ग्रुप में 19 प्रतिशत स्मोकर थे। 13 प्रतिशत शराब पीते थे। 1 प्रतिशत ने किसी बीमारी से 48 घंटे पहले 6 या उससे ज्यादा पैग शराब पी थी, 17 प्रतिशत लोग 1 साल पहले से कोई ना कोई फिजिकल एक्टिविटी जैसे एक्सरसाइज कर रहे थे।

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