किसानों की अच्छी दोस्त होती हैं मधुमक्खियां, फसल की पैदावार बढ़ाने में करती हैं मदद
 vineet bajpai |  Jul 15, 2017, 13:23 IST
किसानों की अच्छी दोस्त होती हैं मधुमक्खियां
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    लखनऊ। जंगलों से शहद इकट्ठा करने की परंपरा धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। इसके साथ ही बाजार में शहद और इसके उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण मधुमक्खी पालन अब एक लाभदायक और आकर्षक व्यवसाय के रूप में स्थापित हो चला है। मधुमक्खी पालन के उत्पाद के रूप में शहद और मोम आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा मधुमक्खियां किसानों की मित्र होती हैं और फसल का उत्पादन बढ़ाने में मदद करती हैं।   
   
   मधुमक्खियां पूरे विश्व में लगभग 2 अरब छोटे किसानों के लिए खाद्य उत्पादकता बढ़ाने में मदद करती हैं। साथ ही दुनिया की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती हैं। कृषि क्षेत्र में किए गए शोध बताते हैं कि यदि मधुमक्खियों और अन्य कीटों की परागण की व्यवस्था छोटे विविध खेतों पर उचित रूप से की गई है तो फसल की पैदावार में लगभग 24 प्रतिशत की बढ़त पाई गई है।   
   
      फलों, सब्जियों और बीजों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की निर्भरता मधुमक्खी और अन्य कीटों के परागण पर होती है। यदि एक पौधे पर अच्छी तरह से परागण की क्रिया हुई है यानी बड़ी संख्या में परागण किया गया है तो वह फलों और सब्जियों को और भी रसभरा बनाता है। जैसे सेब फल में अच्छा परागण होने पर ही वे उतने ही रसभरे होते हैं। यही प्रक्रिया अन्य फलों, सब्जी और बीजों में होती है। सरल शब्दों में उनके गुणों और स्वाद में बढ़ोत्तरी करता है।   
   
      परागण के लिए मधुमक्खियों को उचित वातावरण की जरूरत होती है। यानी आवश्यकता होती है कि वे ऐसे अच्छे वातावरण में रहें, जहां उनको प्राकृतिक रूप से भोजन और गैर विषेला वातावरण मिले। 100 साल पहले छोटे, विविध और कीट नाशक मुक्त प्रणाली ने परागण के लिये यह सिद्ध भी किया है। मधुमक्खियों और कीटों के बेहतर परागण के लिये यह प्रणाली आज भी केन्या जैसे विकासशील देशों में मिल सकती है। ऐसे में कृषि, फलों और सब्जियों की उत्पादकता पर बेहतर असर दिखाई पड़ता है।   
   
      खेती, फलों व सब्जियों की उत्पादकता के साथ उनकी पोषकता और गुणवत्ता पर हाल में काफी गिरावट आई है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि पिछले कुछ सालों से मौसम में परिवर्तन के चलते खेती में तेजी से कीटनाशक दवाओं का उपयोग बढ़ा है। ऐसे में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर काफी गिरावट आई है। मधुमक्खियों और अन्य कीटों के परागण में कमी की वजह से खाद्य पदार्थों की पोषकता पर भी असर सामने आया है।   
   
      एक तरफ जहां किसानों को मधुमक्खियों और अन्य कीटों के लिए बेहतर परागण के वातावरण की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके लिए किसानों को प्राकृतिक स्थान क्षेत्र बनाने के साथ कीट नाशकों का उपयोग नहीं करना होगा। इससे किसानों को उनकी फसलों में अच्छा पैदावार के साथ गुणवत्ता मिलेगी तो दूसरी तरफ सरकार को कीटनाशक दवाओं और जहरीले कैमिकल की निर्भरता को खेती में दूर करना होगा। ताकि देश के लोगों को बेहतर और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ मिल सके।   
   
साभार - किसान हेल्प
   
         
   
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साभार - किसान हेल्प