इन तीन हजार बच्चों ने की है पेड़ों से दोस्ती
 Diti Bajpai |  Jun 23, 2018, 12:28 IST
इन तीन हजार बच्चों ने की है पेड़ों से दोस्ती
Highlight of the story: भारत में अब प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं और इनकी संख्या साल दर साल कम होती जा रही है। अगर हर एक बच्चा पेड़ को ऐसे ही अपना ले तो दुनिया बदल सकती है।
    लखनऊ। पिछले दो वर्षों पहले मनीषा(12 वर्ष) ने अपने स्कूल में जामुन का पेड़ लगाया था आज वो पेड़ आज मनीषा का सबसे अच्छा दोस्त है। स्कूल आने के बाद सबसे पहले वो अपने पेड़ की साफ-सफाई करके उसको पानी देती है।   
   
मनीषा जैसे हजारों बच्चे पिछले कई वर्षों से एक-एक पेड़ को अपने दोस्त की तरह बड़ा कर रहे है। लखनऊ जिले के गोसाईंगंज ब्लॉक के मीसा गाँव में पूर्व माध्यमिक विद्यालय में दस बच्चों के दोस्त पेड़ है। "मुझे जामुन खाना पंसद है इसलिए मैंने इस पेड़ को लगाया। सुबह जल्दी स्कूल आकर पहले पानी देते है। फिर क्लास में जाते है।" अपने पेड़ को दिखाते हुए मनीषा बताती हैं, "मेरी और दोस्तों ने भी पेड़ लगा रखे है सभी लोग उसका ख्याल रखते है।"
   
भारत में अब प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं और इनकी संख्या साल दर साल कम होती जा रही है। अगर हर एक बच्चा पेड़ को ऐसे ही अपना ले तो दुनिया बदल सकती है।
   
   
पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम कर रही आई केयर इंडिया संस्था ने उत्तर प्रदेश के तीन हजार स्कूली बच्चों को वृक्षमित्र बनाया है। इस संस्था के यूपी त्रिपाठी बताते हैं, "बच्चों से ही बदलाव किया जा सकता है। इसलिए हमने सरकारी स्कूल के बच्चों को चुना और उन्हें जिम्मेदारी दी। कि वो पेड़ का ख्याल रखे और उन्हें बढ़ा करें।" अपनी बात को जारी रखते हुए त्रिपाठी आगे बताते हैं, "बच्चों को जागरूक करना काफी आसान है उनको जैसा सिखाओं वो वैसा ही करते है। हर महीने पर्यावरण के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए बच्चों के साथ नई नई गतिविधियां करते है ताकि वो जागरूक हो।"
   
   
इस संस्था ने अभी तक तीन जिलों (लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर) के 150 से ज्यादा स्कूली बच्चों को वृक्षमित्र बनाया है। यह संस्था बच्चों को कदम, अशोक, फेकस, चितवन, अमरूद, शहतूत, कटहल जैसे कई पेड़ देती है और उसको बड़ा करने की भी जिम्मेदारी भी देती है।
   
बारह वर्षीय सुनैना ने पिछले वर्ष अजूबा का पेड लगाया था। सुनैना बताती हैं, "अभी स्कूल की छुट्टी चल रही है लेकिन हम फिर भी स्कूल आते है क्योंकि अपने पेड़ को पानी देना होता है। स्कूल में जिन जिन का पेड़ है वो सभी आते है। हमने अपने घर में भी पेड़ लगा रखे जिनको मैं ही पानी देती हूं।"
   
ये भी पढ़े- इस राज्य में पेड़-पौधों को कानूनन गोद ले सकते हैं आप
   
 
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मनीषा जैसे हजारों बच्चे पिछले कई वर्षों से एक-एक पेड़ को अपने दोस्त की तरह बड़ा कर रहे है। लखनऊ जिले के गोसाईंगंज ब्लॉक के मीसा गाँव में पूर्व माध्यमिक विद्यालय में दस बच्चों के दोस्त पेड़ है। "मुझे जामुन खाना पंसद है इसलिए मैंने इस पेड़ को लगाया। सुबह जल्दी स्कूल आकर पहले पानी देते है। फिर क्लास में जाते है।" अपने पेड़ को दिखाते हुए मनीषा बताती हैं, "मेरी और दोस्तों ने भी पेड़ लगा रखे है सभी लोग उसका ख्याल रखते है।"
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भारत में अब प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं और इनकी संख्या साल दर साल कम होती जा रही है। अगर हर एक बच्चा पेड़ को ऐसे ही अपना ले तो दुनिया बदल सकती है।
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पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम कर रही आई केयर इंडिया संस्था ने उत्तर प्रदेश के तीन हजार स्कूली बच्चों को वृक्षमित्र बनाया है। इस संस्था के यूपी त्रिपाठी बताते हैं, "बच्चों से ही बदलाव किया जा सकता है। इसलिए हमने सरकारी स्कूल के बच्चों को चुना और उन्हें जिम्मेदारी दी। कि वो पेड़ का ख्याल रखे और उन्हें बढ़ा करें।" अपनी बात को जारी रखते हुए त्रिपाठी आगे बताते हैं, "बच्चों को जागरूक करना काफी आसान है उनको जैसा सिखाओं वो वैसा ही करते है। हर महीने पर्यावरण के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए बच्चों के साथ नई नई गतिविधियां करते है ताकि वो जागरूक हो।"
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इस संस्था ने अभी तक तीन जिलों (लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर) के 150 से ज्यादा स्कूली बच्चों को वृक्षमित्र बनाया है। यह संस्था बच्चों को कदम, अशोक, फेकस, चितवन, अमरूद, शहतूत, कटहल जैसे कई पेड़ देती है और उसको बड़ा करने की भी जिम्मेदारी भी देती है।
बारह वर्षीय सुनैना ने पिछले वर्ष अजूबा का पेड लगाया था। सुनैना बताती हैं, "अभी स्कूल की छुट्टी चल रही है लेकिन हम फिर भी स्कूल आते है क्योंकि अपने पेड़ को पानी देना होता है। स्कूल में जिन जिन का पेड़ है वो सभी आते है। हमने अपने घर में भी पेड़ लगा रखे जिनको मैं ही पानी देती हूं।"
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