पंचायती राज दिवस: सरकारी नौकरी छोड़ ग्राम पंचायतों में कर रहे बदलाव
 Neetu Singh |  Apr 24, 2018, 16:17 IST
पंचायती राज दिवस: सरकारी नौकरी छोड़ ग्राम पंचायतों में कर रहे बदलाव 
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लखनऊ। जहां एक ओर लोग सरकारी नौकरी के लिए वर्षों मेहनत करते है, तब कहीं जाकर नौकरी मिलती है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश भर में काम करने वाली सरकारी संस्था नेहरू युवा केन्द्र के निदेशक के पद को छोड़कर डॉ. चंद्रशेखर प्राण ग्राम पंचायतों को सुधारने में लगे हैं।
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डॉ. चंद्रशेखर प्राण नेहरु युवा मंडल की सरकारी नौकरी छोड़कर सन 2014 से अब तक उत्तर प्रदेश के 70 जिलों में ‘ग्राम पंचायत को अपने कार्य और जिम्मेदारियां मालूम हो’ इस दिशा में हजारों संगोष्ठी कर चुके हैं। इनका उद्देश्य हैं कि हर ग्राम पंचायत में पंचायती राज व्यवस्था जमीनी स्तर पर लागू हो। तीसरी सरकार अभियान को सक्रिय रूप से गति देने के साथ ही ये पंचायत से जुड़ी कई किताबें भी लिख चुके हैं।
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प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर पुरे तोरई गाँव है। साधारण किसान परिवार में जन्मे डॉ. प्राण को किशोरावस्था से ही पंचायत के कार्यों में रूचि रही। वर्ष 1982 में पहली बार प्रतापगढ़ जिले में प्रधान संगठन की नींव डाली।
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छात्राओं और ग्रामीणों को पंचायत के कार्यों के बारे में बताते हुए डॉ. प्राण डॉ. चंद्रशेखर प्राण गाँव कनेक्शन को फ़ोन पर बताते हैं, “जब मै गाँव में रहता था तबसे पंचायत की दुर्दशा देखी थी, पंचायत स्तर पर अच्छा काम हो इस दिशा में नौकरी के दौरान भी मै कुछ न कुछ प्रयास करता रहता था, नौकरी करते समय पंचायत स्तर पर जितना काम करना चाहिए था उतना काम नहीं कर पा रहा था इसलिए नौकरी छोड़कर पूरी तरह से पंचायत के कार्यों में लग गया।”
वो आगे बताते हैं, “पिछले 20 सालों से संविधान के अनुसार उत्तर-प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था लागू तो कर दी गयी है, लेकिन जमीनी स्तर पर वह तीसरी सरकार बनने के बजाय ठेकेदार व एजेंट बनकर ही रह गयी है। इससे न तो गाँव का विकास हो पा रहा है और न ही जनता को असली आजादी और सच्चा लोकतंत्र मिल पा रहा है।”
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तीसरी सरकार अभियान को चलाने का मुख्य उद्देश्य डॉ चंद्रशेखर प्राण ने साझा किया, “इस अभियान के माध्यम से जहाँ एक ओर ग्रामीणों को जागरूक करने की कोशिश हैं वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम में जो कमियां और खामियां हैं उसे तलाश कर उसको बदलने के लिए लोकमत तैयार करना और राज्य सरकार को अवगत कराना साथ ही पंचायतों को उनके संवैधानिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए अनुकूल माहौल बनाना भी शामिल है।”
ग्राम प्रधानों को उनके कार्यों की जानकारी हो, गाँव-गाँव कर रहे संगोष्ठी
जैसे 11वीं अनुसूची के माध्यम से पंचायतों का काम विषय तय करना। नियमित रूप से हर पाँच साल पर चुनाव हो इसके लिए अलग से चुनाव आयोग बनाना। गाँव के लोग अपनी जरूरत के हिसाब से हर साल अपनी योजना बना सकें, इसके लिए योजना समिति बनाना। गाँव विकास के लिए पर्याप्त बजट उपलभ्ध हो इसके लिए अलग से वित्त आयोग जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण चीजें इसके अंतर्गत शामिल की गयी।
ग्रामीण भी पंचायत के कार्यों को जाने ये है इनकी कोशिश उत्तर प्रदेश नेहरु युवा केंद्र में कार्य करने के दौरान चन्द्रशेखर प्राण वर्ष 1995-2000 तक प्रदेश के 63 जिलों के 15 हजार ग्राम पंचायतों में परमेश्वर कार्य योजना के प्रदेश स्तर के निदेशक रह चुके हैं। इस दौरान इन्होंने पांच विषयों पर काम शुरू किया है।
कई प्रदेशों में चला रहे हैं ‘तीसरी सरकार अभियान’
डॉ चंद्रशेखर प्राण अब तक पंचायत से जुड़ी कई किताबें लिख चुके हैं। जैसे पंचपरमेश्वर (1995), पंचायत - कल आज और कल (1997), पंचायत और गाँव समाज - पुनर्जागरण की राह (2001), स्वशासन बनाम स्वराज्य (2010), विकास, विकास लोकतंत्र और पंचायत - एक समन्वित दृष्टि (2013)।