एक लड़की को बचाने के लिए इस दिव्यांग ने नदी में लगा दी छलांग
Manish Mishra | Mar 30, 2018, 10:48 IST
एक लड़की को बचाने के लिए इस दिव्यांग ने नदी में लगा दी छलांग
Highlight of the story:
लखनऊ। रात को अपने ठिकाने की ओर जा रहे कलाम को गोमती नदी के ऊपर भीड़ दिखाई दी, नजदीक जाने पर पता चला कि एक लड़की ने नदी में छलांग लगा दी है।
मदद को कोई आगे नहीं आ रहा था, सब एक दूसरे का इंतजार कर रहे थे, इसी बीच दिव्यांग कलाम ने अपनी जान की परवाह न करते हुए नदी में छलांग लगा दी और लड़की की ज़िंदगी बचा ली।
दिव्यांग कलाम को उसके इस साहसिक कार्य के लिए बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार से सम्मानित किया।
“जब मैंने भीड़ में कई लोगों से मदद करने के लिए कहा तो सभी ने कहा कि कौन सी मेरी माँ-बहन है। उसके बाद मैंने कहा कि यह किसी की भी माँ और बहन हो सकती है। इसके बाद मैंने छलांग लगा दी,” अपने हाथ में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड का प्रशस्ति पत्र पकड़े कलाम ने कहा, “मुझे दिव्यांग होकर नदी में इसलिए कूदना पड़ा कि सही सलामत लोगों ने यह काम नहीं किया।”
कलाम को महिला कल्याण विभाग आगे की पूरी पढ़ाई करवाएगा, वह सिर्फ अच्छा काम करना चाहता है।
“मेरे माँ-बाप नहीं हैं, मैं किसी के साथ रहता हूं, लेकिन उन लोगों ने यह महसूस नहीं होना दिया कि आप अकेले हो, मैं आज सड़क रहने के बाद एक चीज जाना है कि मुझे जीवन में अच्छा काम करना है,” कलाम ने बताया।
कलाम का नाम मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब पुकारा तो इस दिव्यांग के चेहरे पर चमक साफ देखी जा सकती थी। बमुश्किल अपने पैरों पर खड़े हो पा रहे कलाम ने अपनी कमजोरी को अपने साहस पर हावी नहीं होने दिया।
“ऐसी प्रतिभाओं को खोज कर, ऐसा करके मुझे बहुत अच्छा लगता है। इस बच्चे को जो भी चाहिए, इसके माँ-बाप भी नहीं है, ये जो भी ज़िंदगी में करना चाहता है हम महिला एवं बाल कल्याण विभाग से करेंगे। इस तरह से अवार्ड देकर में बहुत गौरवान्वित महससू कर रही हूं,” प्रमुख सचिव महिला एवं बाल कल्याण रेणुका कुमार ने कहा।
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मदद को कोई आगे नहीं आ रहा था, सब एक दूसरे का इंतजार कर रहे थे, इसी बीच दिव्यांग कलाम ने अपनी जान की परवाह न करते हुए नदी में छलांग लगा दी और लड़की की ज़िंदगी बचा ली।
दिव्यांग कलाम को उसके इस साहसिक कार्य के लिए बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार से सम्मानित किया।
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“जब मैंने भीड़ में कई लोगों से मदद करने के लिए कहा तो सभी ने कहा कि कौन सी मेरी माँ-बहन है। उसके बाद मैंने कहा कि यह किसी की भी माँ और बहन हो सकती है। इसके बाद मैंने छलांग लगा दी,” अपने हाथ में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड का प्रशस्ति पत्र पकड़े कलाम ने कहा, “मुझे दिव्यांग होकर नदी में इसलिए कूदना पड़ा कि सही सलामत लोगों ने यह काम नहीं किया।”
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“मेरे माँ-बाप नहीं हैं, मैं किसी के साथ रहता हूं, लेकिन उन लोगों ने यह महसूस नहीं होना दिया कि आप अकेले हो, मैं आज सड़क रहने के बाद एक चीज जाना है कि मुझे जीवन में अच्छा काम करना है,” कलाम ने बताया।
कलाम का नाम मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब पुकारा तो इस दिव्यांग के चेहरे पर चमक साफ देखी जा सकती थी। बमुश्किल अपने पैरों पर खड़े हो पा रहे कलाम ने अपनी कमजोरी को अपने साहस पर हावी नहीं होने दिया।
“ऐसी प्रतिभाओं को खोज कर, ऐसा करके मुझे बहुत अच्छा लगता है। इस बच्चे को जो भी चाहिए, इसके माँ-बाप भी नहीं है, ये जो भी ज़िंदगी में करना चाहता है हम महिला एवं बाल कल्याण विभाग से करेंगे। इस तरह से अवार्ड देकर में बहुत गौरवान्वित महससू कर रही हूं,” प्रमुख सचिव महिला एवं बाल कल्याण रेणुका कुमार ने कहा।