इस तरीके से करें अनाज भंडारण, लंबे समय तक रहेगा सुरक्षित

Gaon Connection | Mar 12, 2024, 12:21 IST |
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इस तरीके से करें अनाज भंडारण
मार्च-अप्रैल के महीने में किसान सरसों, चना, अलसी, गेहूँ जैसी फसलों की कटाई शुरु कर देते हैं; कटाई के बाद उनका भंडारण करना होता है। कई बार सही से भंडारण न करने पर अनाज बर्बाद हो जाता है।
भंडारण की सही जानकारी न होने के कारण अनाज नमी, दीमक, घुन और चूहों के कारण बर्बाद हो जाता है। यह समय कटाई से अगली बुवाई तक या कटाई से बेचने तक होता है; इसलिए अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए इन विधियों को अपना सकते है।

केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, के विशेषज्ञ डॉ. राजीव कुमार बताते हैं, “भण्डारण की सही जानकारी न होने से 10 से 15 फीसदी तक अनाज नमी, दीमक, घुन, बैक्टीरिया द्वारा नष्ट हो जाता है; अनाज को रखने के लिए गोदाम की सफाई कर दीमक और पुराने अवशेष आदि को बाहर निकालकर जलाकर नष्ट कर देना चाहिए; दीवारों, फर्श और ज़मीन में अगर दरार हो तो उन्हे सीमेंट, ईंट से बंद करे दें, टूटी दीवारों की भी मरम्मत करा दें।"

वह आगे बताते हैं, “अनाजों को अच्छी तरह से साफ-सुथरा कर धूप में सुखा लेना चाहिए, जिससे कि दानों में 10 फीसदी से अधिक नमी न रहने पाए, अनाज में ज़्यादा नमी रहने से फफूंद और कीटों का आक्रमण अधिक होता है। अनाज को सुखाने के बाद दांत से तोड़ने पर कट की आवाज़ करें तो समझना चाहिए कि अनाज भण्डारण के लायक सूख गया है।"

ऐसे करें भण्डार गृह का चुनाव

भंडारण में सबसे पहली बात आती है कि आप भंडारण कहाँ कर रहे हैं, इस पर डॉ. राजीव आगे बताते हैं, “भण्डारण के लिए वैसे भण्डार गृह का चयन करना चाहिए, जहाँ सीलन (नमी) न हो और चूहों से अन्न का बचाव किया जा सके; भण्डार-गृह हवादार हो और ज़रूरत पड़ने पर वायुरूद्ध भी किया जा सके।"

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"भंडार पहले पक्के भण्डार गृह और धातु की कोठियों को साफ-सुथरा कर लेना चाहिए और कीटमुक्त करने के लिए मेलाथियान 50 फीसदी का पानी में 1:100 में बने घोल को दीवारों और फर्श पर प्रति एक सौ वर्ग मीटर में तीन लेयर घोल की दर से छिड़काव करना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा।

खौलते पानी में डाल दें बोरियाँ

बोरियों में अनाज भर कर रखने के पहले इन बोरियों को 20-25 मिनट तक खौलते पानी में डाल देना चाहिए। इसके बाद धूप में अच्छी तरह सूखा देना चाहिए अथवा छिड़काव के लिए बने मेलाथियान 50 फीसदी के घोल में बोरियों को डुबाकर फिर बाहर निकालकर सुखा लेना चाहिए। ठीक से सूख जाने के बाद ही उसमें अनाज भरना चाहिए।

अनाज से भरे बोरे को भण्डार गृह में रखने के लिए फर्श से बीस से पच्चीस सेमी की ऊंचाई पर बाँस या लकड़ी के तख्ते का मंच तैयार करना चाहिए, जो दीवार से कम-से-कम 75 सेमी की दूरी पर हो। बोरियों के छल्लियों के बीच भी 75 सेमी खाली जगह रखना फायदेमंद होता है। बादल छाए रहने, वर्षा होने या वातावरण में अधिक नमी रहने पर भंडारण नही करना चाहिए। पछुवा हवा चलते रहना भंडारण के लिए सही माना जाता है।

इन बातों का भी रखें ध्यान

खुले हुए अनाज पर सीधे सूखे या तरल कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। चूहा शंकालु प्रकृति का होता है; इसलिए बदल-बदल कर विषाक्त चारा, चूहेदानी और टिकिया का इस्तेमाल करना चाहिए। अनाज में दवा डालने के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह धो लें।

भण्डारण में पुराने अनाज और भूसा वगैरह को निकालकर एक महीने पहले सफाई कर चूहों द्वारा किए गए छेद और अन्य टूट-फूट की मरम्मत कर नीम से शोधित करके अच्छी तरह से भण्डारण को बंद कर दें। इससे छिपे हुए कीट नष्ट हो जाएँगे।

अन्न का भण्डारण करते समय हवा के रुख को ज़रूर ध्यान में रखें अगर पुरवा हवा चल रही हो तब अन्न का भण्डारण न करें। अनाज भण्डारण में नीम की पत्ती का प्रयोग करते समय नीम की पत्तियाँ सूखी होनी चाहिए। इसके लिए नीम की पत्तियों को भंडारण से 15 दिन पहले किसी छायादार स्थान पर कागज पर रख कर सुखा लें।

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