खेती-किसानी के लिए कैसा रहा गुज़रा साल क्यों ख़ास है 2024
Gaon Connection | Dec 30, 2023, 07:36 IST |
खेती-किसानी के लिए कैसा रहा गुज़रा साल क्यों ख़ास है 2024
गुज़रा साल खेती किसानी से जुड़े लोगों के लिए मिला जुला रहा। देश के कुछ हिस्सों में किसानों के लिए साल 2023 जहाँ चुनौतीपूर्ण रहा वहीं कुछ अच्छा भी हुआ। एक तरफ जहाँ किसान भाइयों ने मौसम की मार झेली या कीट-पतंगों से उन्हें लड़ना पड़ा तो वहीं नई कृषि तकनीक और आर्थिक मदद से राह आसान भी हुई।
साल 2023 कृषि से जुड़ी नई योजनाओं और प्राकृतिक मार दोनों के लिए याद किया जाएगा। देश के कुल 718 जिलों में से 500 से अधिक जिले वर्तमान में मौसम संबंधी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। इन जिलों मे हल्के शुष्क से लेकर अत्यधिक शुष्क के हालात हैं। फिर भी कई किसान सही सूझ बूझ से नए साल में कुछ नया करने की तैयारी में है। इसकी एक वजह गुज़रे साल की कुछ अच्छी बातें भी हैं।
गुजरे साल में 20 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का तोहफा मिला। किसानों को आर्थिक मदद देने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की गई। यह देश की सबसे कम ब्याज दर वाले लोन स्कीम है। इस स्कीम के तहत किसानों को शॉर्ट टर्म टेन्योर का लोन मिलता है, ताकि किसान अपनी अचानक वित्तीय ज़रूरत को पूरा कर सकें। इसका एक फायदा ये भी है कि किसानों को इस स्कीम के तहत जो लोन मिलता है, उसमें उन्हें ज़्यादा ब्याज भी नहीं देना पड़ता, उन्हें कहीं कम ब्याज पर लोन मिल जाता है।
कृषि में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा
गुज़रा साल ड्रोन के नाम भी रहा। देश में एग्री सेक्टर में आधुनिक मशीनों का उपयोग बढ़ाने, खेती की लागत कम करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पैदा करने के मकसद से सरकार कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को ड्रोन की खरीदी पर भारी सब्सिडी के साथ ही ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इसी कड़ी में फर्टिलाइजर कंपनी इफको कृषि ड्रोन खरीद के ग्रामीण इलाकों के चुनिंदा उद्यमियों को सौंप रही है। इनका इस्तेमाल उर्वरक और रसायन छिड़कने के लिए किया जा रहा है।
मोटे अनाज को बढ़ावा
साल 2023 में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए देश भर में श्री अन्न योजना शुरू की गई। उत्तर प्रदेश में लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए सरकार मोटे अनाज यानी श्री अन्न पर ख़ास जोर दे रही है। इसी कड़ी में, यूपी सरकार ने नवंबर से दिसंबर 2023 के बीच 3 माह में मोटे अनाज की खरीद का लक्ष्य बढ़ाकर 5.82 लाख मीट्रिक टन कर दिया । इसमें सबसे ज़्यादा 5 लाख मीट्रिक टन बाजरा की खरीद की गई। जबकि 30 हज़ार टन ज्वार, 50 हज़ार टन मक्का और 2 हज़ार टन कोदो की खरीद आगे भी की जाएगी।
कृषि मंत्रालय का नाम बदला
गुज़रे साल में किसानों की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए सात दशक पुराने कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर 'कृषि एवं किसान कल्याण' मंत्रालय कर दिया गया । सरकार का मानना है कि इससे कृषि क्षेत्र के समग्र विकास में मदद मिलेगी। आजादी से पहले भारत में राजस्व, कृषि एवं वाणिज्य विभाग था, जिसकी स्थापना जून 1871 में हुई थी। इसके बाद 1881 में इसे पुनगर्ठित कर राजस्व एवं कृषि विभाग को अलग कर दिया गया, लेकिन 1923 में शिक्षा और स्वास्थ्य को इसमें शामिल कर- शिक्षा, स्वास्थ्य और भूमि-कर दिया गया।
साल 2023 में बागवानी के लिए 2,200 करोड़ की राशिन आवंटित की गई I सरकार ने 2,200 करोड़ रुपये से उच्च गुणवत्ता वाली बागवानी फसलों के लिए रोगमुक्त गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर स्वच्छ पौध कार्यक्रम का शुभारंभ किया । गुजरे साल में बागवानी से जुड़े किसान भाइयों के लिए ये बड़ी मदद रही।
पीएम मत्स्य सम्पदा की नई उपयोजना के जरिए 6000 करोड़ खर्च किया जायेगा। गुज़रे साल में इससे जुड़ा फैसला लिया गया। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए देश में मछली का उत्पादन बढ़ाने की शुरुआत 2023 से की गई। सरकार की तरफ से इसके सफलतापूर्वक संचालन के लिए 20,050 करोड़ रुपए की धनराशि निर्धारित कर दी गई है। सरकार ने इस योजना की शुरुआत 17000 करोड़ से किया है। निर्धारित धनराशि का उपयोग सरकार द्वारा 2021 और 2025 तक किया जाएगा।
प्राकृतिक खेती के लिए जैव इनपुट संसाधन केंद्र
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 10 ,000 जैव इनपुट संसाधन केंद्र खोले जा रहे हैं। गुज़रे साल में जैव इनपुट संसाधन केंद्र खोलने का फैसला अहम् कदम था। ये केंद्र किसानों को प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के लिए ज़रूरी जैव-संसाधनों तक आसान पहुँच में सहायक हैं। गाय का गोबर और मूत्र, नीम और अन्य प्राकृतिक इनपुट इसके महत्वपूर्ण घटक हैं। ये जैव-इनपुट संसाधन केंद्र रणनीतिक रूप से प्राकृतिक खेती के प्रस्तावित 15,000 मॉडल समूहों के साथ स्थित हैं, जिससे यह तय होता है कि किसानों को उन संसाधनों तक पहुँच है जिनकी उन्हें ज़रूरत है।
किसानों की तरफ से उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलना बड़ी शिकायत थी। साल 2023 में केंद्र सरकार ने विपणन सीजन 2024-25 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में बढ़ोत्तरी की है, ताकि उत्पादक किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सकें। जौ और चने के लिए क्रमश: 115 रु. प्रति क्विंटल और 105 रु. प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंज़ूरी दी गई है।
तिलहन की खेती करने वाले किसानों के लिए गुज़रा साल ठीक ठाक रहा। सरकार की तरफ से घरेलु उत्पादन को बढ़ावा देने पर अब जोर दिया गया है। खाद्य तेल की आधे से अधिक घरेलू माँग आयात के जरिये पूरी की जाती है और यह दुनिया में पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा आयातक है। सभी आयातित खाद्य तेलों में, पाम तेल की हिस्सेदारी लगभग 57 प्रतिशत है, इसके बाद सोयाबीन तेल की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत और सूरजमुखी की 14 प्रतिशत है। भारत ज़्यादातर इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात करता है, जबकि सोयाबीन तेल का बड़ा हिस्सा अर्जेंटीना और ब्राजील से आता है। रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल आयात होता है।
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना पर गुज़रे साल में ख़ास जोर दिया गया। परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत सरकार द्वारा जैविक खेती के लिए 50000 प्रति हेक्टेयर 3 वर्षों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इस राशि में से 31000 प्रति हेक्टेयर की राशि जैविक उर्वरकों, कीटनाशकों, बीजों के लिए दिए किए जाएंगे। मूल्यवर्धन और वितरण के लिए 8800 की रकम दी जाएगी।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल आर्थिक मदद दी जाती है। साल 2023 में ख़ास जोर दिया गया। इस योजना के तहत किसानों को सालाना 6 हज़ार रुपये मिलते हैं। किसानों को ये राशि हर 4 महीने के अंतराल पर तीन-तीन किस्तों में दी जाती है। फिलहाल, किसानों के खाते में अब तक 15 किस्त ट्रांसफर की जा चुकी हैं।
20 लाख करोड़ तक कर्ज की सुविधा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कई बड़े एलान किए। सरकार ने इस दौरान किसानों को 20 लाख करोड़ तक कर्ज़ बांटने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा की इससे किसानों को खेती की योजना बनाने, बीमा, कर्ज, मार्केट इंटेलिजेंस, स्टार्टअप और कृषि आधारित उद्योगों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। उत्पादन क्षमता और लाभ कमाने की क्षमता भी बढ़ेगी। किसान, सरकार और उद्योगों के बीच समन्वय बढ़ेगा। इसके लिए एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड बनाया जाएगा ताकि कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा सके। इससे आधुनिक तकनीक को भी बढ़ाया मिल सकेगा।
ख़बर है कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र को और मज़बूत बनाने के साथ किसानों का मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए नए साल में अपना खज़ाना खोलने की तैयारी में है। इसके तहत किसानों को सालाना 6 हज़ार की जगह 9 हज़ार रुपये दिए जाएंगे। साथ ही फसलों की बीमा का दायरा भी बढ़ाया जाएगा। सरकार इसके लिए आगामी बजट में बड़ा आवंटन करने वाली है।
सरकार 2024-25 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन कर सकती है। यह चालू वित्तवर्ष में जारी किए गए 1.44 लाख करोड़ रुपये से करीब 39 फीसदी ज़्यादा होगा। इस फंड की मदद से किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ फसल बीमा का दायरा बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
किसानों को बाँटे गए 20 लाख किसान क्रेडिट कार्ड
किसान क्रेडिट कार्ड का आवेदन करने के लिए उपर्युक्त दस्तावेज लेकर अपनी नज़दीकी बैंक शाखा जाएं और आर्थिक सुरक्षा पाएं#PMFBYTech #PMFBY #KisanRinPortal@AgriGoI @KailashBaytu @ShobhaBJP pic.twitter.com/6ZHjVQn3Dt
— PM Kisan Yojana official (@naiyojana78) December 10, 2023
गुज़रा साल ड्रोन के नाम भी रहा। देश में एग्री सेक्टर में आधुनिक मशीनों का उपयोग बढ़ाने, खेती की लागत कम करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार पैदा करने के मकसद से सरकार कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को ड्रोन की खरीदी पर भारी सब्सिडी के साथ ही ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इसी कड़ी में फर्टिलाइजर कंपनी इफको कृषि ड्रोन खरीद के ग्रामीण इलाकों के चुनिंदा उद्यमियों को सौंप रही है। इनका इस्तेमाल उर्वरक और रसायन छिड़कने के लिए किया जा रहा है।
#विकसित_भारत_संकल्प_यात्रा के दौरान ग्राम पंचायत पडासली, महाराष्ट्र में ड्रोन द्वारा नैनो यूरिया का स्प्रे कर प्रदर्शन किया गया एवं केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से नागरिकों को अवगत करवाया गया।#agrigoi #ViksitBharatSankalpYatra #HamaraSankalpViksitBharat #drone #spray pic.twitter.com/pOCLHMQPqB
— Agriculture INDIA (@AgriGoI) December 28, 2023
साल 2023 में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए देश भर में श्री अन्न योजना शुरू की गई। उत्तर प्रदेश में लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए सरकार मोटे अनाज यानी श्री अन्न पर ख़ास जोर दे रही है। इसी कड़ी में, यूपी सरकार ने नवंबर से दिसंबर 2023 के बीच 3 माह में मोटे अनाज की खरीद का लक्ष्य बढ़ाकर 5.82 लाख मीट्रिक टन कर दिया । इसमें सबसे ज़्यादा 5 लाख मीट्रिक टन बाजरा की खरीद की गई। जबकि 30 हज़ार टन ज्वार, 50 हज़ार टन मक्का और 2 हज़ार टन कोदो की खरीद आगे भी की जाएगी।
जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम अंतर्गत मोटे/ पोषक अनाज को बढ़ावा दिया जा रहा है, रागी/मंडुआ की थ्रेशिंग । @KumarSarvjeet6 @SAgarwal_IAS @dralokghosh @abhitwittt @BametiBihar @BISA__India @Bau_sabour @AgriGoI @IPRD_Bihar #Fingermillet pic.twitter.com/G4I67SjvoJ
— Agriculture Department, Govt. of Bihar (@Agribih) October 21, 2023
गुज़रे साल में किसानों की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए सात दशक पुराने कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर 'कृषि एवं किसान कल्याण' मंत्रालय कर दिया गया । सरकार का मानना है कि इससे कृषि क्षेत्र के समग्र विकास में मदद मिलेगी। आजादी से पहले भारत में राजस्व, कृषि एवं वाणिज्य विभाग था, जिसकी स्थापना जून 1871 में हुई थी। इसके बाद 1881 में इसे पुनगर्ठित कर राजस्व एवं कृषि विभाग को अलग कर दिया गया, लेकिन 1923 में शिक्षा और स्वास्थ्य को इसमें शामिल कर- शिक्षा, स्वास्थ्य और भूमि-कर दिया गया।
बागवानी के लिए 2,200 करोड़
मत्स्य सम्पदा की नई उपयोजना
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (#PMMSY) के तहत, श्रीमती पायल जिंदल ने उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के बाजपुर में सफलतापूर्वक एक फिश कियोस्क स्थापित किया हैI #FishKiosk #VBSY pic.twitter.com/E9F7VkUvQK
— Department of Fisheries, Min of FAH&D (@FisheriesGoI) December 1, 2023
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 10 ,000 जैव इनपुट संसाधन केंद्र खोले जा रहे हैं। गुज़रे साल में जैव इनपुट संसाधन केंद्र खोलने का फैसला अहम् कदम था। ये केंद्र किसानों को प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के लिए ज़रूरी जैव-संसाधनों तक आसान पहुँच में सहायक हैं। गाय का गोबर और मूत्र, नीम और अन्य प्राकृतिक इनपुट इसके महत्वपूर्ण घटक हैं। ये जैव-इनपुट संसाधन केंद्र रणनीतिक रूप से प्राकृतिक खेती के प्रस्तावित 15,000 मॉडल समूहों के साथ स्थित हैं, जिससे यह तय होता है कि किसानों को उन संसाधनों तक पहुँच है जिनकी उन्हें ज़रूरत है।
एमएसपी में बढ़ोतरी
घरेलु उत्पादन को बढ़ावा
जैविक खेती को बढ़ावा
किसानों को वित्तीय मदद
माननीय प्रधानमंत्री श्री@narendramodi ने आज खूंटी, झारखंड से रिमोट का बटन दबाकर पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 15वीं क़िस्त जारी की। जिसके अंतर्गत 8 करोड़ से अधिक किसानों को ₹18,000 करोड़ से अधिक की धनराशि DBT के माध्यम से उनके बैंक खतों में हस्तांतरित कर दी गई है।#PMKisan pic.twitter.com/44cpKf3XlA
— Agriculture INDIA (@AgriGoI) November 15, 2023
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कई बड़े एलान किए। सरकार ने इस दौरान किसानों को 20 लाख करोड़ तक कर्ज़ बांटने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा की इससे किसानों को खेती की योजना बनाने, बीमा, कर्ज, मार्केट इंटेलिजेंस, स्टार्टअप और कृषि आधारित उद्योगों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। उत्पादन क्षमता और लाभ कमाने की क्षमता भी बढ़ेगी। किसान, सरकार और उद्योगों के बीच समन्वय बढ़ेगा। इसके लिए एग्रीकल्चर एक्सीलेटर फंड बनाया जाएगा ताकि कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा सके। इससे आधुनिक तकनीक को भी बढ़ाया मिल सकेगा।
साल 2024 में किसानों को क्या मिलेगा
सरकार 2024-25 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन कर सकती है। यह चालू वित्तवर्ष में जारी किए गए 1.44 लाख करोड़ रुपये से करीब 39 फीसदी ज़्यादा होगा। इस फंड की मदद से किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ फसल बीमा का दायरा बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।