देश में पहली बार बतौर मेहमान गणतंत्र दिवस परेड देखने जुटेंगे किसान
Gaon Connection | Jan 25, 2024, 09:53 IST
देश में पहली बार बतौर मेहमान गणतंत्र दिवस परेड देखने जुटेंगे किसान
Highlight of the story: इस बार का गणतंत्र दिवस ख़ास होने वाला है। दिल्ली में 26 जनवरी की परेड को देखने के लिए जहाँ तमाम देशी-विदेशी, वीवीआईपी और वीआईपी मेहमान होंगे वहीँ अपने देश के अन्न दाता यानी किसान भी मौज़ूद होंगे।
पहली बार सरकार के न्यौते पर देश के किसान वीआईपी की तरह 26 जनवरी की परेड देखने के लिए दिल्ली पहुँचे हैं।
गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों को ख़ास तौर पर बुलाया गया है। भारत के 75वें गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए 1500 से अधिक किसानों को आमंत्रित किया गया है।
इस मौके पर किसानों को सरकारी योजनाओं पर प्रशिक्षण दिया जाएगा और एक दिन पहले किसान पूसा भी पहुँचेंगे।
किसान गणतंत्र दिवस परेड देखने के बाद, एक विशेष कार्यक्रम के लिए पूसा में इकट्ठे होंगे, यह कार्यक्रम 26 जनवरी, 2024 को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण तथा जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में आयोजित किया जाएगा।
भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न क्षेत्रों के अतिथि गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए कर्तव्य पथ पर एकत्र होंगे। केंद्र सरकार की योजनाओं के कई लाभार्थियों को इस महत्वपूर्ण परेड को देखने के लिए आमंत्रित करके सम्मानित करने की सरकार की योजना है।
सम्मानित गेस्ट लिस्ट में एक उल्लेखनीय वृद्धि के रूप में, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 1500 से अधिक किसानों को 75 वें गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए आमंत्रित किया है, जो अलग अलग केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना आदि के लाभार्थी हैं।
इस उत्सव के एक भाग के रूप में, किसानों के लिए एआईएफ, एम एंड टी, राष्ट्रीय बीज सहयोग और प्रति बूंद अधिक फसल जैसी प्रमुख सरकारी पहलों पर एक व्यापक प्रशिक्षण सत्र के साथ ही पूसा परिसर के एक क्षेत्र दौरे का आयोजन किया गया है।
जहाँ एक तरफ गणतंत्र दिवस पर पहली बार किसानों को परेड में शामिल होने के लिए बुलाया गया है; एक बार किसान संगठन अपनी माँगों को लेकर दिल्ली जाने की तैयारी में हैं। हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों के किसान भी 13 फरवरी को दिल्ली पहुँचेंगे।
उत्तर भारत के 18 किसान-मजदूर संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के संयुक्त आह्वान पर किसान इकट्ठा हो रहे हैं।
इससे पहले किसान एक साल से भी अधिक समय तक दिल्ली में प्रदर्शन करते रहे हैं। चलिए जानते हैं किसानों की क्या माँगे हैं।
स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार किसानों की MSP पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए। देश के किसान-मजदूरों का पूरा कर्ज़ माफ किया जाए। 2015 में मॉडल एक्ट के माध्यम से 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में जो बदलाव किए गए हैं वो बदलाव वापस लिए जाएं और नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत हो रही किसानों की ज़मीन की लूट बन्द करी जाए। लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषी गृह-राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे को गिरफ़्तार किया जाए और घायल किसानों को मुआवज़ा दिया जाए। भारत सरकार मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाए और भारत सरकार WTO से बाहर आए। किसान आंदोलन की बची हुई माँगें पूरी की जाएँ और बिजली संशोधन बिल वापस लिया जाए।
गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों को ख़ास तौर पर बुलाया गया है। भारत के 75वें गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए 1500 से अधिक किसानों को आमंत्रित किया गया है।
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इस मौके पर किसानों को सरकारी योजनाओं पर प्रशिक्षण दिया जाएगा और एक दिन पहले किसान पूसा भी पहुँचेंगे।
किसान गणतंत्र दिवस परेड देखने के बाद, एक विशेष कार्यक्रम के लिए पूसा में इकट्ठे होंगे, यह कार्यक्रम 26 जनवरी, 2024 को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण तथा जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में आयोजित किया जाएगा।
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भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न क्षेत्रों के अतिथि गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए कर्तव्य पथ पर एकत्र होंगे। केंद्र सरकार की योजनाओं के कई लाभार्थियों को इस महत्वपूर्ण परेड को देखने के लिए आमंत्रित करके सम्मानित करने की सरकार की योजना है।
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सम्मानित गेस्ट लिस्ट में एक उल्लेखनीय वृद्धि के रूप में, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 1500 से अधिक किसानों को 75 वें गणतंत्र दिवस परेड को देखने के लिए आमंत्रित किया है, जो अलग अलग केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना आदि के लाभार्थी हैं।
इस उत्सव के एक भाग के रूप में, किसानों के लिए एआईएफ, एम एंड टी, राष्ट्रीय बीज सहयोग और प्रति बूंद अधिक फसल जैसी प्रमुख सरकारी पहलों पर एक व्यापक प्रशिक्षण सत्र के साथ ही पूसा परिसर के एक क्षेत्र दौरे का आयोजन किया गया है।
जहाँ एक तरफ गणतंत्र दिवस पर पहली बार किसानों को परेड में शामिल होने के लिए बुलाया गया है; एक बार किसान संगठन अपनी माँगों को लेकर दिल्ली जाने की तैयारी में हैं। हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों के किसान भी 13 फरवरी को दिल्ली पहुँचेंगे।
उत्तर भारत के 18 किसान-मजदूर संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के संयुक्त आह्वान पर किसान इकट्ठा हो रहे हैं।
क्या हैं किसानों की प्रमुख माँगे
स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार किसानों की MSP पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए। देश के किसान-मजदूरों का पूरा कर्ज़ माफ किया जाए। 2015 में मॉडल एक्ट के माध्यम से 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में जो बदलाव किए गए हैं वो बदलाव वापस लिए जाएं और नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत हो रही किसानों की ज़मीन की लूट बन्द करी जाए। लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषी गृह-राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे को गिरफ़्तार किया जाए और घायल किसानों को मुआवज़ा दिया जाए। भारत सरकार मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाए और भारत सरकार WTO से बाहर आए। किसान आंदोलन की बची हुई माँगें पूरी की जाएँ और बिजली संशोधन बिल वापस लिया जाए।