बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान

Chandrakant Mishra | Sep 17, 2019, 14:05 IST |
#family planning
बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान
बच्चे की प्लानिंग करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें : गर्भावस्था में मां का संपूर्ण आहार शिशु के लंबाई और ऊंचाई पर सकारात्मक असर डालता है, संपूर्ण आहार न मिलने पर बच्चे का मानसिक विकास भी नहीं हो पाता
लखनऊ। बच्चे की प्लानिंग करने वाले सभी दम्पत्तियों को गर्भधारण से पहले कुछ चीजों की तैयारी कर लेनी चाहिए। ऐसा करने से जच्चा-बच्चा कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं।

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए चिकित्सकीय सुविधा के साथ बेहतर परामर्श अत्यावश्यक है। गर्भवती महिला का सही पोषण उसके एवं उसके गर्भ में पल रहे शिशु के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालता है।

इस बारे में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में बाल रोग में प्रोफेसर डा. अनिता मेहता ने बताया, " गर्भावस्था में मां का संपूर्ण आहार शिशु के लंबाई और ऊंचाई पर सकारात्मक असर डालता है। संपूर्ण आहार न मिलने पर बच्चे का मानसिक विकास भी नहीं हो पाता। गर्भावस्था से पहले 1000 दिन बच्चे के शुरुआती जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है। आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है।"

ये भी पढ़ें: देश में सिजेरियन बच्चों के जन्म के मामले बढ़े

340125-family-planning
प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: इंटरनेट

"6 से 8 माह के शिशुओं को स्तनपान के साथ लगभग 250 मिलीलीटर की आधी कटोरी दो बार अर्ध ठोस भोजन के साथ दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए। 9 से 11 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ 250 मिलीलीटर की 2/3 कटोरी तीन बार अर्ध ठोस भोजन के साथ दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए। 12 से 24 माह तक के बच्चों को स्तनपान के साथ 250 मिलीलीटर की एक कटोरी तीन बार अर्ध ठोस भोजन एवं तीन बार पौष्टिक नाश्ता भी देना चाहिए। साथ ही बच्चों के बेहतर पोषण के लिए अनुपूरक आहार में विविधता भी काफी जरुरी है। इससे बच्चों को आहार से जरूरी पोषक तत्त्व प्राप्त होते हैं।" डॉक्टर मेहता ने आगे बताया।

डॉ. राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान की महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीतू सिंह ने बताया, "गर्भावस्था के दौरान महिला को 180 दिन तक प्रतिदिन आयरन एवं फॉलिक एसिड की एक गोली के साथ कैल्सियम की दो गोली प्रतिदिन लेनी चाहिए। प्रसव के उपरांत भी 180 दिन तक प्रतिदिन आयरन एवं फॉलिक एसिड की एक गोली के साथ कैल्सियम की दो गोली लेनी चाहिए। एक गर्भवती महिला को अधिक से अधिक आहार सेवन में विविधता लानी चाहिए। इससे महिला को सभी जरूरी पोषक तत्वों की प्राप्ति हो जाती है। माता के वजन से गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य प्रभावित होता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान निश्चित अंतराल पर माता का वजन जरूर करना चाहिए ताकि ज्ञात हो सके कि बच्चे का विकास हो रहा है।"



गर्भावस्था के समय इन चीजों का करें सेवन

- दालें तथा अन्य अनाज

- हरी पत्तेदार सब्जियां या साग

- दूध अथवा दूध से बने पदार्थ

- पीले अथवा नारंगी रंग के गूदे वाले फल

ये भी पढ़ें: अब गर्भवती को असुरक्षित प्रसव से नहीं गुजरना पड़ता

340126-0d7a1fc2-bc9b-4744-b26d-5b536a415b84


गर्भवती महिला इन बातों का रखें ध्यान

- गर्भावस्था के चौथे माह से प्रसव तक प्रतिदिन आयरन की एक गोली रात को सोने से पहले सादे पानी से खाएं। दूध या चाय के साथ बिल्कुल नहीं

- गर्भावस्था के चौथे माह से प्रसव तक प्रतिदिन कैल्शियम की एक गोली सुबह और एक गोली शाम को खाएं। इस दवा को आयरन की गोली के साथ बिल्कुल न खाएं।

- हर माह वजन जरूर कराएं। साथ ही चौथे महीने हर माह डेढ़ से दो किलो वजन बढ़ना जरूरी होता है।

- प्रसव के बाद शिशु को छह माह तक सिर्फ अपना ही दूध पिलाएं। बाहर का कुछ न दें, पानी भी नहीं।

ये भी पढ़ें: गर्भवती महिलाओं की आयरन-कैल्शियम से भरेंगे गोद

स्तनपान बहुत जरूरी

नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार प्रदेश में एक घंटे के अन्दर स्तनपान की दर अभी मात्र 25.2 प्रतिशत है जो कि काफी कम है। छह माह तक केवल स्तनपान की दर 41.6 फीसद है जो कि अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी कम है। छ्ह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त और निमोनिया के खतरे में 11 फीसद और 15 फीसद कमी लायी जा सकती है।



गर्भावस्था के दौरान संयमित और पौष्टिक भोजन बहुत जरूरी होता है। अगर मां कुपोषित है तो निश्चित रूप से उसका होने वाला बच्चा भी कुपोषित होगा। भारत में कुपोषण की समस्या काफी गंभीर है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार भारत के 38% बच्चों की ऊंचाई कम है, 21% बच्चों का भार उनकी ऊंचाई के मुकाबले बहुत कम है जबकि 35.7% बच्चों का वज़न आवश्यकता से कम है। 2005-06 के मुकाबले 2015-16 में बच्चों के शारीरिक विकास में कमी आई है, 2005-06 में 19.8% बच्चों का भार उनकी ऊंचाई के अनुरूप कम था, जबकि 2015-16 में यह आंकड़ा बढ़ कर 21% हो गया।

2017 में विश्व भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) में भारत का स्थान 119 देशों में 100वां था। भारत में औसतन 5 बच्चों में से एक बच्चा वेस्टेड (ऊंचाई के अनुरूप वजन कम होना) है। सरकार ने पोषण अभियान के लिए 9000 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है। यह मार्च 2018 में लांच किया गया था। इस अभियान का उद्देश्य बच्चों, महिलाओं व किशोरियों के शारीरिक विकास के मार्ग में बाधाओं को दूर करना है। इस अभियान का उद्देश 2022 तक बच्चों में स्टंटिंग (कुपोषण के कारण ऊंचाई कम होना) की दर को 38.4% से कम करके 25% तक लाना है।

ये भी पढ़ें:गर्भावस्था में फॉलिक एसिड का ज्यादा सेवन बच्चे में एलर्जी बढ़ा सकता है

Tags:
  • family planning
  • pregnancy
  • Exercise in Pregnancy
  • story

Previous Story
विश्व का पहला स्मार्ट एयर-प्यूरीफायर, जो पौधों की मदद से शुद्ध करेगा आपके घर के अंदर की हवा

Contact
Recent Post/ Events