कहीं आपका भी तो नहीं चुराया जा रहा है पैन कार्ड का नम्बर? हो सकते हैं धोखाधड़ी के शिकार
 गाँव कनेक्शन |  Aug 01, 2023, 09:50 IST | 
 कहीं आपका भी तो नहीं चुराया जा रहा है पैन कार्ड का नम्बर? हो सकते हैं धोखाधड़ी के शिकार
कहीं आप अपने आधार कार्ड की तरह अपना पैन कार्ड भी तो झट से किसी को नहीं पकड़ा देते हैं? अगर हाँ तो सावधान हो जाइये।
    आपके पैन कार्ड से न सिर्फ फर्जी जीएसटी का रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है बल्कि रातों रात फर्म बनाकर मोटी देनदारी आपके मत्थे कोई मढ़ सकता है। पुलिस ने ऐसे ही एक बड़े गिरोह का भंडा फोड़ किया है, जो लोगों के पैन और आधार कार्ड नंबर से लाखों करोड़ों की काली कमाई कर रहा था।   
   
आज हम आपको छोटे से आसान टिप्स से बता रहे हैं खुद को ऐसे जालसाजों से कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।
   
सबसे पहले आपको क्या नहीं करना है उसे समझ लीजिये।
   
पहला - अपना पैन कार्ड, आधार कार्ड और बिजली बिल पते या पहचान के दूसरे दस्तावेज कभी भी सोशल मीडिया पर शेयर न करें। किसी शिकायत के लिए भी उसकी कॉपी सोशल मीडिया पर न डालें।
   
दूसरा - किसी के कहने पर बिना कारोबारी मकसद के पैसे के लालच में जीएसटी का रजिस्ट्रेशन न कराएं।
   
तीसरा - अपने आधार कार्ड से वही फोन नम्बर लिंक कराये जिसका आप इस्तेमाल करते हैं।
   
चौथी बात - आपके पैन का कही गलत इस्तेमाल हो रहा है या नहीं इसे जांचने के लिए http://services.gst.gov.in/services/searchtpbypan लिंक को इंटरनेट के एड्रेस पर लिखें और फिर अपना पैन नम्बर डालकर देखें कि उस पर कोई जीएसटी रजिस्ट्रेशन तो नहीं हुआ है? अगर हुआ है तो तुरंत पुलिस और जीएसटी विभाग को इसकी जानकारी दें।
   
पांचवी बात - विभाग ऐसे मामलों में ये देखता है कि आप सही मायने में इसमें शामिल है या नहीं ? अगर नहीं हैं तो तुरंत एफआईआर कराये जिससे आपके ख़िलाफ जीएसटी विभाग कार्रवाई न करे।
   
   फ्रॉड करने वाले आपके ज़रूरी दस्तावेज जुटा कर जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराते हैं। फिर उससे होती है उनकी काली कमाई। इसके लिए वो चार काम करते हैं।   
   
1- पैसे के लिए लोगों को आधार अपडेट का लालच देते हैं और अपडेट करते समय असल कार्डधारक के मोबाइल नंबर की जगह अपने में से किसी का नंबर डाल देते हैं।
   
2- इसके बाद जस्ट डायल पर मौजूद डेटा बेचने वालों से थोक में पैन कार्ड डेटा खरीदते हैं।
   
3- सोशल मीडिया पर लोगों के डाले बिजली बिल डाउनलोड कर उसमें फोटोशॉप पर नाम बदल देते हैं।
   
4- जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए ज़रूरी दस्तावेजों में से एक नाम मिलना ज़रूरी है और जैसे ही सभी दस्तावेज एक नाम वाले हो जाते हैं वे रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। इसके लिए उन्हें 10 हज़ार रूपये तक मिल जाते हैं।
   
धोखाधड़ी करने वालों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन खरीदना और फिर उसे बेचना काली कमाई का आसान रास्ता लगता है। इसके जरिये नकली कंपनी बनाकर बाज़ार से पैसे उठाना और डिमांड आने पर उसे बेच देना आम है। लेकिन इस प्रक्रिया में रजिस्ट्रेशन में इस्तेमाल पैन नंबर के असली मालिक की कानूनीतौर पर जीएसटी देनदारी और आयकर देनदारी बनती है। ऐसे में ज़रूरी है आप अपने सभी दस्तावेजों को संभाल कर रखें और बहुत सोच समझकर ही किसी को उसकी कॉपी दें।
   
Also Read: यहाँ मिलेगा पैन कार्ड बनवाने से जुड़े हर सवाल का जवाब
    
    
आज हम आपको छोटे से आसान टिप्स से बता रहे हैं खुद को ऐसे जालसाजों से कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।
सबसे पहले आपको क्या नहीं करना है उसे समझ लीजिये।
पहला - अपना पैन कार्ड, आधार कार्ड और बिजली बिल पते या पहचान के दूसरे दस्तावेज कभी भी सोशल मीडिया पर शेयर न करें। किसी शिकायत के लिए भी उसकी कॉपी सोशल मीडिया पर न डालें।
दूसरा - किसी के कहने पर बिना कारोबारी मकसद के पैसे के लालच में जीएसटी का रजिस्ट्रेशन न कराएं।
तीसरा - अपने आधार कार्ड से वही फोन नम्बर लिंक कराये जिसका आप इस्तेमाल करते हैं।
चौथी बात - आपके पैन का कही गलत इस्तेमाल हो रहा है या नहीं इसे जांचने के लिए http://services.gst.gov.in/services/searchtpbypan लिंक को इंटरनेट के एड्रेस पर लिखें और फिर अपना पैन नम्बर डालकर देखें कि उस पर कोई जीएसटी रजिस्ट्रेशन तो नहीं हुआ है? अगर हुआ है तो तुरंत पुलिस और जीएसटी विभाग को इसकी जानकारी दें।
पांचवी बात - विभाग ऐसे मामलों में ये देखता है कि आप सही मायने में इसमें शामिल है या नहीं ? अगर नहीं हैं तो तुरंत एफआईआर कराये जिससे आपके ख़िलाफ जीएसटी विभाग कार्रवाई न करे।
कैसे होता है आपके कार्ड से फर्जी रजिस्ट्रेशन
1- पैसे के लिए लोगों को आधार अपडेट का लालच देते हैं और अपडेट करते समय असल कार्डधारक के मोबाइल नंबर की जगह अपने में से किसी का नंबर डाल देते हैं।
2- इसके बाद जस्ट डायल पर मौजूद डेटा बेचने वालों से थोक में पैन कार्ड डेटा खरीदते हैं।
3- सोशल मीडिया पर लोगों के डाले बिजली बिल डाउनलोड कर उसमें फोटोशॉप पर नाम बदल देते हैं।
4- जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए ज़रूरी दस्तावेजों में से एक नाम मिलना ज़रूरी है और जैसे ही सभी दस्तावेज एक नाम वाले हो जाते हैं वे रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। इसके लिए उन्हें 10 हज़ार रूपये तक मिल जाते हैं।
धोखाधड़ी करने वालों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन खरीदना और फिर उसे बेचना काली कमाई का आसान रास्ता लगता है। इसके जरिये नकली कंपनी बनाकर बाज़ार से पैसे उठाना और डिमांड आने पर उसे बेच देना आम है। लेकिन इस प्रक्रिया में रजिस्ट्रेशन में इस्तेमाल पैन नंबर के असली मालिक की कानूनीतौर पर जीएसटी देनदारी और आयकर देनदारी बनती है। ऐसे में ज़रूरी है आप अपने सभी दस्तावेजों को संभाल कर रखें और बहुत सोच समझकर ही किसी को उसकी कॉपी दें।
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