बाल झड़ने से परेशान हैं तो ये अनाज आपके काम का है
Dr K C Naithani | Jun 26, 2023, 05:50 IST |
बाल झड़ने से परेशान हैं तो ये अनाज आपके काम का है
मोटा अनाज यानी श्री अन्न अब पूरी दुनिया के लिए ज़रूरी हो गया है। इसके महत्व को समझते हुए ही साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स या मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया गया है। डॉक्टर बता रहे हैं कि अनियमित खानपान और भागदौड़ भरी ज़िंदगी में श्री अन्न को शामिल कर लेने से कई बीमारियाँ खुद ब खुद भाग जाती हैं।
शरीर को फिट रखने के लिए हम हर रोज़ जिम तो जाते हैं, लेकिन शरीर को अंदर से दुरुस्त रखने के लिए क्या करते हैं? कुछ नहीं। जबकि बाहर से ज़्यादा ज़रूरी है अंदर से स्वस्थ्य और मजबूत होना।
ज्वार, बाजरा, रागी, कुट्टु, काकुन, चीना, सांवा या कोदो जैसे सुपर ग्रेन को खाने में शमिल कर लें तो ज़िंदगी काफ़ी आसान हो जाएगी।
अगर सिर्फ बाजरा की ही पहले बात करें तो उसमें विटामिन ए, बी और कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और आयरन जैसे विटामिन हैं जो महिलाओं और बच्चों में सबसे अधिक होने वाली पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। ये ऐसा अनाज है जो हर जगह सुलभ है। यही नहीं इसमें कई बायोएक्टिव फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं जिनमें फैरेक्स, लिगनेन, बी ग्लूकेन,इनुलिन ,प्रतिरोधी स्टार्च,स्टेरोल्स और फेनोलिक यौगिक शामिल हैं। इससे बाल झड़ने की समस्या तक कम हो जाती है।
बच्चों या बुजुर्गों को बाजरा मिला खाना अगर दिया जाए तो आसानी से पच जाता है, क्योंकि इसमें फेरुलिक एसिड, कैफ़िक एसिड और क्वेरसेटिन यौगिक शामिल होता है।
आजकल 25 से 30 साल की उम्र में भी ही मधुमेह यानी डायबिटीज आम बात है। कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए खाने के बाद स्टीया के स्तर को बनाये रखने में ये मदद करता है। दरअसल बाजरे में फाइबर ज़्यादा होने से ये खून में ग्लुकोज को जल्दी मिलने नहीं देता है जिससे डायबिटीज का ख़तरा कम हो जाता है।
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दिल की बीमारी में तो ये राम बाण है। इस्तेमाल करके देखिये यकीन नहीं होता इंसान कैसे ठीक होने लगता है। इसमें मैग्नीशियम और पोटेशियम होने से ये खून के बहाव को ठीक रखता है। इससे कोलेस्ट्रॉल कम होता है और दिल के मरीजों के लिए वही सबसे बड़ा ख़तरा है।
कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अगर शरीर में ज़्यादा हुई तो पक्का ख़तरे की घंटी समझिए।
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इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में इसका जवाब नहीं है। तेज़ी से फैलने वाली संक्रामक बीमारियों का कारण संतुलित और पोषक आहार की कमी है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर बनाती है। मोटे अनाज से शरीर की इम्यूनिटी मज़बूत होती है। ज़ाहिर है जब शरीर स्वस्थ्य रहेगा तो किसी भी रोग से लड़ने में आप सक्षम होंगे।
आजकल वजन बढ़ना अब समस्या है,खासकर शहरों में। फ़ास्ट फ़ूड और आलस या यूँ कहे कसरत न करने से भी वजन तेज़ी से बढ़ता है। ऐसे में बाजरा फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर होने के कारण ये वसा की कमी करता है इसके साथ ही ये कैलोरी को कम करता है, जिससे धीरे-धीरे वजन कम होने लग जाता है।
अक्सर लोगों को लगता है मोटा अनाज है तो खाने में कैसा होगा? कैसे पचेगा? जानकर हैरानी होगी आपके गेहूँ के आटे से कहीं बेहतर है ये। गेहूँ की रोटी के मुकाबले इसकी रोटी जल्दी पच जाती है। शुरू में अगर इसकी रोटी नहीं भी पसंद आती है तो उसे गेहूँ के आटे में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। सिर्फ रोटी ही क्यों आप डोसा तक इससे बना सकते हैं। अगर खिचड़ी खाने के शौक़ीन हैं तो सब्ज़ी के साथ इसे मिलाकर बना सकते हैं। अब तो मिठाई तक लोग बनाने लगे है। ड्राई फ्रूट्स के साथ गेहूँ के आटे में इसे मिलाकर बर्फी या लड्डू आसानी से बनाया जा सकता है।
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अगर आप हाइपरटेंशन के शिकार हैं तो उसमें भी बाजरा कमाल करता है। आज से पाँच-छह दशक पहले मोटे अनाज की खेती हर किसान करता था। लेकिन समय के साथ ये कम हो गया। अब जौ, ज्वार, रागी, कोदो, सामा, बाजरा, सांवा जैसे अनाजों की शॉपिंग मॉल या स्टोर तक में माँग बढ़ गई है।
(डॉ केशव नैथानी मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली -एनसीआर में डायरेक्टर हैं )
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ज्वार, बाजरा, रागी, कुट्टु, काकुन, चीना, सांवा या कोदो जैसे सुपर ग्रेन को खाने में शमिल कर लें तो ज़िंदगी काफ़ी आसान हो जाएगी।
अगर सिर्फ बाजरा की ही पहले बात करें तो उसमें विटामिन ए, बी और कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और आयरन जैसे विटामिन हैं जो महिलाओं और बच्चों में सबसे अधिक होने वाली पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। ये ऐसा अनाज है जो हर जगह सुलभ है। यही नहीं इसमें कई बायोएक्टिव फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं जिनमें फैरेक्स, लिगनेन, बी ग्लूकेन,इनुलिन ,प्रतिरोधी स्टार्च,स्टेरोल्स और फेनोलिक यौगिक शामिल हैं। इससे बाल झड़ने की समस्या तक कम हो जाती है।
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बच्चों या बुजुर्गों को बाजरा मिला खाना अगर दिया जाए तो आसानी से पच जाता है, क्योंकि इसमें फेरुलिक एसिड, कैफ़िक एसिड और क्वेरसेटिन यौगिक शामिल होता है।
आजकल 25 से 30 साल की उम्र में भी ही मधुमेह यानी डायबिटीज आम बात है। कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए खाने के बाद स्टीया के स्तर को बनाये रखने में ये मदद करता है। दरअसल बाजरे में फाइबर ज़्यादा होने से ये खून में ग्लुकोज को जल्दी मिलने नहीं देता है जिससे डायबिटीज का ख़तरा कम हो जाता है।
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दिल की बीमारी में तो ये राम बाण है। इस्तेमाल करके देखिये यकीन नहीं होता इंसान कैसे ठीक होने लगता है। इसमें मैग्नीशियम और पोटेशियम होने से ये खून के बहाव को ठीक रखता है। इससे कोलेस्ट्रॉल कम होता है और दिल के मरीजों के लिए वही सबसे बड़ा ख़तरा है।
कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अगर शरीर में ज़्यादा हुई तो पक्का ख़तरे की घंटी समझिए।
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इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में इसका जवाब नहीं है। तेज़ी से फैलने वाली संक्रामक बीमारियों का कारण संतुलित और पोषक आहार की कमी है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर बनाती है। मोटे अनाज से शरीर की इम्यूनिटी मज़बूत होती है। ज़ाहिर है जब शरीर स्वस्थ्य रहेगा तो किसी भी रोग से लड़ने में आप सक्षम होंगे।
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आजकल वजन बढ़ना अब समस्या है,खासकर शहरों में। फ़ास्ट फ़ूड और आलस या यूँ कहे कसरत न करने से भी वजन तेज़ी से बढ़ता है। ऐसे में बाजरा फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर होने के कारण ये वसा की कमी करता है इसके साथ ही ये कैलोरी को कम करता है, जिससे धीरे-धीरे वजन कम होने लग जाता है।
अक्सर लोगों को लगता है मोटा अनाज है तो खाने में कैसा होगा? कैसे पचेगा? जानकर हैरानी होगी आपके गेहूँ के आटे से कहीं बेहतर है ये। गेहूँ की रोटी के मुकाबले इसकी रोटी जल्दी पच जाती है। शुरू में अगर इसकी रोटी नहीं भी पसंद आती है तो उसे गेहूँ के आटे में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। सिर्फ रोटी ही क्यों आप डोसा तक इससे बना सकते हैं। अगर खिचड़ी खाने के शौक़ीन हैं तो सब्ज़ी के साथ इसे मिलाकर बना सकते हैं। अब तो मिठाई तक लोग बनाने लगे है। ड्राई फ्रूट्स के साथ गेहूँ के आटे में इसे मिलाकर बर्फी या लड्डू आसानी से बनाया जा सकता है।
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अगर आप हाइपरटेंशन के शिकार हैं तो उसमें भी बाजरा कमाल करता है। आज से पाँच-छह दशक पहले मोटे अनाज की खेती हर किसान करता था। लेकिन समय के साथ ये कम हो गया। अब जौ, ज्वार, रागी, कोदो, सामा, बाजरा, सांवा जैसे अनाजों की शॉपिंग मॉल या स्टोर तक में माँग बढ़ गई है।
(डॉ केशव नैथानी मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली -एनसीआर में डायरेक्टर हैं )
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