पेट की समस्याओं से छुटकारे के लिए आज से ही शुरू करिए ये योग आसन
 Rekha Khanna |  Nov 20, 2023, 13:49 IST
पेट की समस्याओं से छुटकारे के लिए आज से ही शुरू करिए ये योग आसन
Highlight of the story: पेट की समस्याओं से पीड़ित लोगों को ये आसन ज़रूर करना चाहिए, इसे करने से एक नहीं कई बीमारियाँ दूर हो जाएँगी।
    अगर आप भी पेट की समस्याओं से पीड़ित हैं और पाचन क्रिया सही नहीं है तो अर्ध मत्स्येंद्रासन से आपकी समस्याओं का समाधान हो सकता है।   
   
अर्ध मत्स्येन्द्रासन तीन शब्दों के मेल से बना है, अर्ध यानी आधा, मत्स्य यानी मछली और इंद्र मतलब भगवान। आज की इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं इस आसन को करने का तरीका और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ और सावधानियाँ क्या हैं।
   
   अपने आसन पर दंडासन में बैठ जाएँ। स्वास भरते हुए रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच करते हुए लम्बा करें, अब बाएँ पैर को मोड़ें और दाएँ घुटने के ऊपर से लाते हुए बाएँ पैर को आसन से टिकाएँ। दहिने पैर को मोड़िये और पैर को बाएं नितम्ब (हिप्स) के निकट आसन पर रखें।   
   
अब बाएँ पैर के ऊपर से दाहिने हाथ को लाएँ और बाएँ पैर के अंगूठे को पकड़ें। गर्दन को क्षमतानुसार मोड़ें जिससे नज़र बाएँ कंधे पर केंद्रित हो सके, बाएँ हाथ को आसन से टिका कर रखें। इस स्थिति में सामान्य रूप से स्वास लेते रहें।
   
    
अर्ध मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास 30-60 सेकंड तक कर सकते हैं, आसन से बाहर आने के लिए सभी स्टेप्स विपरीत क्रम में करें।
   
इसी तरह दूसरे पैर से भी इसका अभ्यास करें, दोनों पैरों से करने पर एक चक्र पूरा होता है। इस आसन को आप चार-पाँच चक्र कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे अपनी क्षमतानुसार ही करें।
   
   पेट के अंगों की मालिश करता है, पाचन क्रिया में सुधार होता है, पेट की बीमारियों से मुक्ति मिलती है जिसमे कब्ज, अपच शामिल हैं।   
   
मधुमेह, सर्वाइकल, स्पोंडिलोसिस, मासिक धर्म की परेशानियों में लाभदायक है।
   
रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ता है।
   
पीठ में दर्द, कठोरता में आराम दिलाता है।
   
छाती को खोलता है जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है।
   
   गर्भावस्था में यह आसन न करें।   
   
जिनके पेट, मस्तिष्क या दिल का ऑपरेशन किया गया है, वे इस आसन का अभ्यास न करें।
   
रीढ़ की हड्डी में चोट या समस्या है तो यह आसन न करें।
   
ज़रुरी बात - अगर आपको किसी भी प्रकार की कोई भी स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्या है तो यह आसन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
   
    
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन तीन शब्दों के मेल से बना है, अर्ध यानी आधा, मत्स्य यानी मछली और इंद्र मतलब भगवान। आज की इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं इस आसन को करने का तरीका और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ और सावधानियाँ क्या हैं।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका
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अब बाएँ पैर के ऊपर से दाहिने हाथ को लाएँ और बाएँ पैर के अंगूठे को पकड़ें। गर्दन को क्षमतानुसार मोड़ें जिससे नज़र बाएँ कंधे पर केंद्रित हो सके, बाएँ हाथ को आसन से टिका कर रखें। इस स्थिति में सामान्य रूप से स्वास लेते रहें।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास 30-60 सेकंड तक कर सकते हैं, आसन से बाहर आने के लिए सभी स्टेप्स विपरीत क्रम में करें।
इसी तरह दूसरे पैर से भी इसका अभ्यास करें, दोनों पैरों से करने पर एक चक्र पूरा होता है। इस आसन को आप चार-पाँच चक्र कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे अपनी क्षमतानुसार ही करें।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन के शारीरिक लाभ
मधुमेह, सर्वाइकल, स्पोंडिलोसिस, मासिक धर्म की परेशानियों में लाभदायक है।
रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ता है।
पीठ में दर्द, कठोरता में आराम दिलाता है।
छाती को खोलता है जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है।
सावधानी
जिनके पेट, मस्तिष्क या दिल का ऑपरेशन किया गया है, वे इस आसन का अभ्यास न करें।
रीढ़ की हड्डी में चोट या समस्या है तो यह आसन न करें।
ज़रुरी बात - अगर आपको किसी भी प्रकार की कोई भी स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्या है तो यह आसन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।