BMC चुनाव में शिवसेना और BJP के बीच रहेगा मुकाबला: राजनीतिक पर्यवेक्षक
गाँव कनेक्शन | Jan 07, 2017, 11:56 IST
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मुंबई (भाषा)। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) का आगामी चुनाव जहां एक ओर सत्तारुढ़ शिवसेना के लिए अस्तित्व की लड़ाई साबित होगा, वहीं अब महाराष्ट्र में प्रमुख गठबंधन सहयोगी BJP की नजरें एशिया के सबसे धनी नगर निकाय की कमान हासिल कर शहर के राजनीतिक परिदृश्य में खुद की जगह बनाने पर टिकी हुई है।
हालांकि, सत्तारुढ़ सहयोगियों के रिश्तों में ठंडापन आया हुआ है और संभावित गठबंधन पर चर्चा के लिए इन दोनों का वार्ता की मेज पर आना अभी बाकी है। BJP के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने जिला इकाई के अध्यक्षों को नगर निकायों के चुनाव के लिए संभावित प्रत्याशियों की एक सूची जमा करने को कहा है। आंतरिक सर्वेक्षण सबसे अधिक रेटिंग पाने वाले प्रत्याशियों को ही पार्टी टिकट देगी।
जमीनी कार्यकर्ताओं का मानना है कि BJP को अपने बूते चुनाव मैदान में उतरना चाहिए। पार्टी को उम्मीद है कि उसे 227 सदस्यीय सदन में 80 से अधिक सीटों पर जीत मिलेगी या वह सदन की सबसे बडी पार्टी के रुप में उभरेगी। एक नेता ने कहा, ‘‘सही समय है। अगर अभी नहीं तो BJP कभी भी मुंबई में विस्तार करने में सक्षम नहीं हो सकेगा।''
BJP नेता ने कहा, ‘‘2014 में आये विधानसभा चुनावों के परिणामों के मुताबिक, BJP 144 वार्डों में आगे थी।'' नगर निकाय में दो दशक से अधिक समय से शिवसेना के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं करना चाहती है और वहां पर कथित भ्रष्टाचार को उजागर कर शिवसेना के साथ गठबंधन तोडना चाहती है।
इस समय BJP के 33 पार्षद हैं जबकि सत्तारुढ़ शिवसेना के 75 सदस्य हैं। कांग्रेस और राकांपा के पास क्रमश: 52 और 13 और मनसे के 28 सदस्य हैं।
BJP के एक नेता ने बताया, ‘‘शिवसेना और BJP के अलग-अलग चुनाव लडने से चुनावी समर में कांग्रेस के लिए कोई स्थान शेष नहीं रहेगा। कांग्रेस में पहले से गुटबाजी चल रही है और वह राष्ट्रीय मुद्दों को उठाएगी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाएगी। यह बात BJP के पक्ष में काम करेगी क्योंकि मोदी के समर्थक एकजुट होंगे और पार्टी के साथ खड़े होंगे।''
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मनना है कि राज ठाकरे की मनसे को अब दौड़ में नहीं माना जा रहा है जबकि विधानसभा चुनाव में एक सीट पर जीतने वाली एमआईएम की नजर मुस्लिम वोटों के एक बडे हिस्से पर रहेगी।
राकांपा ने पहले ही 45 प्रत्याशियों की एक सूची जारी कर दी है जिससे कांग्रेस-राकांपा के बीच गठबंधन की संभावना कमजोर नजर आती है। कांग्रेस के पास संभावित प्रत्याशियों की करीब 1,400 आवेदन पहुंचे हैं, और पार्टी ने उम्मीदवारों के चयन और छानबीन की प्रक्रिया शुरु कर दी है। शहर कांग्रेस के प्रमुख संजय निरुपम ने चुनाव में पार्टी के अकेले उतरने की बात कही है जबकि राज्य कांग्रेस के प्रमुख अशोक चव्हाण ने कहा है कि अगर स्थानीय इकाई चाहेगी तभी गठबंधन होगा।
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हालांकि, सत्तारुढ़ सहयोगियों के रिश्तों में ठंडापन आया हुआ है और संभावित गठबंधन पर चर्चा के लिए इन दोनों का वार्ता की मेज पर आना अभी बाकी है। BJP के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने जिला इकाई के अध्यक्षों को नगर निकायों के चुनाव के लिए संभावित प्रत्याशियों की एक सूची जमा करने को कहा है। आंतरिक सर्वेक्षण सबसे अधिक रेटिंग पाने वाले प्रत्याशियों को ही पार्टी टिकट देगी।
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जमीनी कार्यकर्ताओं का मानना है कि BJP को अपने बूते चुनाव मैदान में उतरना चाहिए। पार्टी को उम्मीद है कि उसे 227 सदस्यीय सदन में 80 से अधिक सीटों पर जीत मिलेगी या वह सदन की सबसे बडी पार्टी के रुप में उभरेगी। एक नेता ने कहा, ‘‘सही समय है। अगर अभी नहीं तो BJP कभी भी मुंबई में विस्तार करने में सक्षम नहीं हो सकेगा।''
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BJP नेता ने कहा, ‘‘2014 में आये विधानसभा चुनावों के परिणामों के मुताबिक, BJP 144 वार्डों में आगे थी।'' नगर निकाय में दो दशक से अधिक समय से शिवसेना के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा सत्ता विरोधी लहर का सामना नहीं करना चाहती है और वहां पर कथित भ्रष्टाचार को उजागर कर शिवसेना के साथ गठबंधन तोडना चाहती है।
इस समय BJP के 33 पार्षद हैं जबकि सत्तारुढ़ शिवसेना के 75 सदस्य हैं। कांग्रेस और राकांपा के पास क्रमश: 52 और 13 और मनसे के 28 सदस्य हैं।
BJP के एक नेता ने बताया, ‘‘शिवसेना और BJP के अलग-अलग चुनाव लडने से चुनावी समर में कांग्रेस के लिए कोई स्थान शेष नहीं रहेगा। कांग्रेस में पहले से गुटबाजी चल रही है और वह राष्ट्रीय मुद्दों को उठाएगी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाएगी। यह बात BJP के पक्ष में काम करेगी क्योंकि मोदी के समर्थक एकजुट होंगे और पार्टी के साथ खड़े होंगे।''
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मनना है कि राज ठाकरे की मनसे को अब दौड़ में नहीं माना जा रहा है जबकि विधानसभा चुनाव में एक सीट पर जीतने वाली एमआईएम की नजर मुस्लिम वोटों के एक बडे हिस्से पर रहेगी।
राकांपा ने पहले ही 45 प्रत्याशियों की एक सूची जारी कर दी है जिससे कांग्रेस-राकांपा के बीच गठबंधन की संभावना कमजोर नजर आती है। कांग्रेस के पास संभावित प्रत्याशियों की करीब 1,400 आवेदन पहुंचे हैं, और पार्टी ने उम्मीदवारों के चयन और छानबीन की प्रक्रिया शुरु कर दी है। शहर कांग्रेस के प्रमुख संजय निरुपम ने चुनाव में पार्टी के अकेले उतरने की बात कही है जबकि राज्य कांग्रेस के प्रमुख अशोक चव्हाण ने कहा है कि अगर स्थानीय इकाई चाहेगी तभी गठबंधन होगा।